इस व़क़्त तो मुझे ख़ुश होना चाहिए था कि अपर्णा राज़दान की देह मेरी मुट्ठी में थी. उसके जिस्म की…
चाय पीकर वह मेरे एकदम पास बैठ गई. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे कंधे से सिर टिकाकर बैठ…
ऑफ़िस में भी उसके बारे में कोई बहुत अच्छी राय नहीं थी. ख़ासतौर से मर्दों में. उन्हें झटक जो देती…
इन दो सालों में तुमने बहुत कुछ किया है मेरे लिए... तुम्हारी जगह कोई नहीं ले सकता. तुम समझ सकते…