“आशंकाओं का कोई अंत नहीं है. तुम्हारी आज की ईमानदारी बीते कल पर भारी पड़ेगी. यूं डरकर जीने की ज़रूरत…
“कैसी हो दर्शना?” एक मुस्कान के साथ दर्शना ने देखा, तो अचकचाकर उसने अपनी नज़रें झुका ली थीं. जाने क्या…
“तुम्हें ऐसा क्यों लगा कि मैं तुम्हारे घरवालों के साथ नहीं निभा पाऊंगी?” ऐसे अनेक प्रश्न दर्शना पूछती और वो…