कहानी- पारितोषिक

कहानी- पारितोषिक 3 (Story Series- Paritoshik 3)

“आशंकाओं का कोई अंत नहीं है. तुम्हारी आज की ईमानदारी बीते कल पर भारी पड़ेगी. यूं डरकर जीने की ज़रूरत…

January 15, 2020

कहानी- पारितोषिक 2 (Story Series- Paritoshik 2)

“कैसी हो दर्शना?” एक मुस्कान के साथ दर्शना ने देखा, तो अचकचाकर उसने अपनी नज़रें झुका ली थीं. जाने क्या…

January 14, 2020

कहानी- पारितोषिक 1 (Story Series- Paritoshik 1)

“तुम्हें ऐसा क्यों लगा कि मैं तुम्हारे घरवालों के साथ नहीं निभा पाऊंगी?” ऐसे अनेक प्रश्‍न दर्शना पूछती और वो…

January 13, 2020
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