मौत सिरहाने खड़ी है, इसीलिए मैं अपनी कमियों का विश्लेषण बहुत ईमानदारी से कर पा रही हूं. मैंने कहीं पढ़ा…
‘‘पापा, आपको अपनी पत्नी की इज़्ज़त प्यारी हो या न हो, किंतु मुझे अपनी मां से बहुत प्यार है. आपकी…
प्रथम रात्रि को सुहागरात की मधुरिम कल्पना से रोमांचित मैं अनुराग की प्रतीक्षा कर रही थी. कुछ क्षण बाद भावहीन…
इंसान की सभी कामनाएं पूर्ण हो जाएं, तब भी क्या वह मरना चाहेगा? मौत सिरहाने खड़ी हो, तो कौन जीवट…
चाहती तो यह थी कि वक़्त के साथ सांसारिक मोह-माया से धीरे-धीरे स्वयं को दूर कर लूं, किंतु मोह है…