आज भी जब मैं आईना देखती हूं, तो अपनी पलकों के खूंटे में टंगी उसकी नज़र, झांकती हुई मिल जाती…
“जी. तुम्हारे बारे में जानकारी लेने के लिए जनाब मेरे घर के चक्कर लगाने लगे थे. एक दिन मम्मी…
मैंने अगले कुछ महीने तक उस गली के अकेलेपन का अनुभव अपने भीतर किया. वहां शोर होता, किंतु मुझे…
“क्या है? थप्पड़ खाना है क्या...” लेकिन वह न तो सहमा और न ही मेरे सामने से हटा. मुस्कुराते…
शादी के बाद मैं और श्लोक ऑस्ट्रेलिया शिफ्ट होनेवाले हैं. मैं अपनी आगे की पढ़ाई भी वही से करनेवाली…