मैं फाइनल ईयर की छात्रा हूं. इंदौर में पली-बढ़ी हूं. आगे की पढ़ाई के लिए मुंबई आई हूं. यहां सब कुछ…
मासूम बचपन..... निश्छल मन में न जाने कितनी सही-ग़लत बातें घर कर जाती हैं. लेकिन जागरुक अभिभावकों के कारण कुछ…
कुछ रस्में अब न निभाएं तो अच्छा है, थोड़े-से अपने रूल्स बनाएं तो अच्छा है... कभी बचपने में खो जाएं…