Love Relationship

पहला अफेयर: प्यार कोई खेल नहीं… (Pahla Affair… Love Story: Pyar Koi Khel Nahi)

दिल्ली के एक कॉलेज में बेटी को इंजीनियरिंग में एडमिशन दिलवा कर हॉस्टल में उसका सामान रखकर मैंने उसे मेस में खाना खाने केलिए चलने को कहा. उसका खाना खाने में मन नहीं था, उसने मना कर दिया. मैं अकेला ही मेस की ओर निकल गया. बड़ी तेज़ भूख लगरही थी. मेस में खाने की खुशबू ने भूख को और बढ़ा दिया. मैं थाली लगाकर एक टेबल पर बैठ गया और जल्दी-जल्दी खाने लगा. अचानक गले में निवाला अटक गया और मैं ज़ोर-ज़ोर से खांसने लगा. मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया. सहसा एक मधुर आवाज़सुनाई दी-‘पानी’ मैंने नज़रें उठाकर उसे देखा, आश्चर्य चकित रह गया- “विभूति तुम…” “पहले पानी पी लो.” मेरे हाथों में ग्लास पकडाकर वह पास की कुर्सी पर बैठ गई. पानी पीते-पीते ही पुराने दिन याद आने लगे. बरसों पहले गांव से शहर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने आया था. हॉस्टल में रूम नहीं मिला. कॉलेज के पास ही किराए पर कमरा लेलिया. ज़रूरत का सब सामान सेट कर लिया था. पास में ही एक टिफिन सेंटर था, वहां से टिफिन लगवा लिया. टिफिन में रोज़-रोज़दाल-सब्ज़ी खाकर बोर हो गया था. एक दिन आंटी को मेनू बदलने के लिए कहने टिफिन सेंटर पर गया. सेंटर पर टिफिन पैक करतीएक मोटी लड़की दिखाई दी. मुझे लगा यही टिफिन सेंटर वाली आंटी है. “आंटी ज़रा सुनिए…” वह जैसे ही पलटी, मैं उसे देखता ही रह गया. वह मोटी ज़रूर थी मगर उसके घुंघराले बाल, गहरी भूरी आंखें और गुलाबी होंठों पर सजीमुस्कान किसी को भी दीवाना बना सकती थी. जब मैंने उसकी आंखों को देखा तो देखता ही रह गया. मै उसके आकर्षण में गुम हो गया. उसने क्या बोला मुझे सुनाई नहीं दिया. उसने मुझे झंझोड़ते हुए पूछा-“मम्मी घर पर नहीं है आपको क्या चाहिए?” मैं जैसे-तैसे होश में आया. “आज अलसाया-सा रविवार है और रविवार को छुट्टी होती है. इस दिन आप कुछ अच्छा नहीं खिला सकतेक्या? आप लोग रोज़-रोज़ टिफिन में दाल-चावल भेज देते हो.” मैं थोड़ी तेज़ आवाज़ में कहा. “पहले तो आप धीरे बोलिए. दूसरी बात, यह टिफिन सेंटर है, आपकी घर का किचन नहीं, जहां आप अपनी मर्ज़ी चलाएं. वैसे भी सेहतके लिए दाल-रोटी ज़्यादा बेहतर होती है. स्वाद बदलने के लिए रेस्टोरेंट खुले हुए हैं… समझे आप.” वह अपनी बात खत्म कर अपने काममें व्यस्त हो गई और मैं मायूस होकर लौट आया. घर आकर मेरा मन किसी काम में नहीं लगा. बार-बार उसका चेहरा याद आता रहा. उसकी आंखों ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा. अब मैं बहानेसे उसके घर के चक्कर लगाता रहता. पहले जान-पहचान, फिर दोस्ती और उसके बाद प्यार हो गया. मैं अक्सर उससे कहता था, ‘विभूतुम्हारी आंखें बहुत सुंदर है. कहीं मैं डूब न जाऊं’ और वह कहती, ‘कभी इन आंखों में समन्दर मत रखना मुझे तैरना नहीं आता.’ अब कभी-कभी टिफिन के साथ एक और टिफिन आता, जिसमें कभी इडली-सांबर होता, तो कभी मूंग का हलवा. यह विभूति मेरे लिएस्पेशल तौर पर भेजती जिसका कभी एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लिया. मेरी पढ़ाई पूरी हो गई और मैं अपने घर लौट गया. नौकरी मिलते हीपरिवार वालों ने एक सुंदर कन्या देखकर मेरी शादी फिक्स कर दी. इन सबमें मै विभूति को भूल गया और अपनी ज़िंदगी में व्यस्त होगया.  विभूति से मेरी दोबारा मुलाकात होगी यह तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था. विभूति अब पहले से काफी बदल चुकी थी. पतली-दुबली मगरआकर्षक लग रही थी. उसकी आंखें पहले जैसी ही थीं. “मां चाहती थी कि मैं शादी कर लूं मगर मुझे तुम्हारा इंतज़ार था और विश्वास थाकि तुम ज़रूर लौटोगे. तुम्हें न आना था, न आए मगर तुम्हारी शादी की सूचना ज़रूर मिल गई थी. बस, उस दिन के बाद तुम्हारे आने कीआस खत्म हो गई, लेकिन मेरा प्रेम नहीं. आज भी तुम मेरा पहला और आखिरी प्यार हो. तुम्हारे बाद इन आंखों में किसी को डूबने नहींदिया. तुमने मेरी आंखों में जो समन्दर रखा था, उसमें मैंने तैरना सीख लिया है. फ़िक्र न करो, मेरे प्यार मुझ तक ही सीमित है… तुम्हें कोईपरेशानी नहीं होगी. हमारी ज़िंदगी में बदलाव की ज़रूरत होती है ना, बस वही बदला है. मां के जाने के बाद मैंने घर और टिफिन सेंटरबेच दिया और इस शहर में आकर मेस इंचार्ज बन गई. मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है. तुम तो मुझे कुछ इस तरह मिले, जैसे बरसोंपहले एक यात्रा के दौरान तुम मेरे सहयात्री रहे हो और बरसों बाद अचानक दोबारा मुलाकात हो गई… अस्थाई मुलाकात. जीवनयात्रा मेंतो यह सब चलता रहता है. प्रेम की परिणीति शादी हो… ज़रूरी तो नहीं. तुम्हारे साथ गुज़रा हुआ वक्त मेरे जीवन का सुखद हिस्सा है…”  वह चली गई और मैं आत्मग्लानि में डूब गया. कुछ लोगों के लिए प्रेम कोई खेल नहीं, उनके लिए तो प्रेम इबादत है और जीने की वज़ह… मुझे अपने किए पर पछतावा होने लगा. शोभा रानी गोयल

December 12, 2022

पहला अफेयर… क्या ये प्यार था? (Pahla Affair… Love Story: Kya Ye Pyar Tha?)

कॉलेज का वो दौर, वो दिन आज भी याद आते हैं मुझे. 18-19 की उम्र में भला क्या समझ होती है. मैं अपने बिंदास अंदाज़में मस्त रहती थी. कॉलेज में हम चार दोस्तों का ग्रुप था. उसमें मैं अकेली लड़की थी, लेकिन मुझे लड़कों के साथ रहने परभी कभी कुछ अटपटा नहीं लगा. उनमें से सिद्धार्थ तो सीरियस टाइप का था,पर  दूसरा था सुबीर, जो कुछ ज़्यादा ही रोमांटिक था. उसे मेरे बाल और कपड़ों की बड़ी चिंता रहती. लेकिन अजीब से रोमांटिक अंदाज़ में उसके बात करने से मुझेबड़ी चिढ़ होती थी. लेकिन इन सबसे अलग था हमारे ग्रुप का वो तीसरा लड़का, नाम नहीं लिखना चाहती, पर हां, सुविधा के लिए अवनि कहसकते हैं. करीब चार साल तक हमारा साथ रहा, लेकिन पढ़ाई और घर के सदस्यों के हाल चाल जानने तक तक ही हमारी बातचीतसीमित थी. आगे भी एक साल ट्रेनिंग के दौरान भी हम साथ थे, लेकिन हमारे डिपार्टमेंट अलग थे और काफ़ी दूर-दूर थे. वो दौर ऐसा था कि लड़के-लड़कियों का आपस में बात करना समाज की नज़रों में बुरा माना जाता था, लेकिन अवनिआधे घंटे के लंच टाइम में भी पांच मिनट निकाल कर मुझसे मिलने ज़रूर आता था, बस थोड़ी इधर-उधर की बातें करके चला जाता. फिर वो समय भी आ गया जब साल भर की ट्रेनिंग भी ख़त्म होने को आई और अवनि को उसके भाई ने नौकरी के लिएअरब कंट्री में बुला लिया था. उसकी कमी खल तो रही थी लेकिन हमारे बीच सिर्फ़ एक दोस्ती का ही तो रिश्ता था. वो जबभी अपने पैरेंट्स से मिलने इंडिया आता तो मुझसे भी ज़रूर मिलकर जाता. मेरे घर में सभी लोग उससे बड़े प्यार से मिलते थे, वो था ही इतना प्यारा. निश्छल आंखें और बिना किसी स्वार्थ के दोस्तीनिभाना- ये खूबी थी उसकी. मैं अक्सर सोचती कि हम दोनों के बीच कुछ तो ख़ास और अलग है, एक लगाव सा तो ज़रूरहै, वही लगाव उसे भारत आते ही मुझ तक खींच लाता था. वो जब भी आता मेरी लिए बहुत सारे गिफ़्ट्स भी लाता. उसे पता था कि मेकअप का शौक़ तो मुझे था नहीं, इसलिए वो मेरे लिए परफ़्यूम्स, चॉक्लेट्स और भी न जाने क्या-क्या लाता.  इसी बीच उसकी शादी भी तय हो गई और जल्द ही उसने सात फेरे ले लिए. मैं खुश थी उसके लिए, लेकिन उसकी शादी में मैं नहीं जा पाई. हां, अगले दिन ज़रूर गिफ्ट लेकर अवनि और उसकी पत्नीसे मिली. इसके बाद उससे अगली मुलाकात तब हुई, जब वो अपने एक साल के बेटे को लेकर मुझसे मिलने आया.  कुछ समय बाद मेरी भी शादी हो गई. वो भी मेरी शादी में नहीं आ पाया. फिर मैं भी घर-परिवार में इतनी खो गई कि कुछसोचने का वक़्त ही नहीं मिला. लेकिन दिल के किसी कोने में, यादों की धुंधली परतों में उसका एहसास कहीं न कहीं था. मुझे याद आया कि आख़री बार जब उससे मिली थी तो जाते समय उसने एक फिल्मी ग़ज़ल सुनाई, जिसका कुछ-कुछअर्थ था कि मैं अपना वादा पूरा नहीं कर पाया, इसलिए मुझे फिर जन्म लेना होगा…  उसे सुनकर मैं भी अनसुलझे से सवालों में घिरी रही. अब घर-गृहस्थी में कुछ राहत पाने के बाद यूं ही अवनि का ख़यालआया और मन में हूक सी उठी. मैंने एक दिन सोशल मीडिया पर अवनि को ढूंढ़ने की कोशिश की और मैं कामयाब भी होगई. हमारे बीच थोड़ी-बहुत बात हुई और जब मैंने उससे पूछा कि इतने वक़्त से कहां ग़ायब थे, न कोई संपर्क, न हाल-चाल पूछा, मेरी इस बात पर उसने कहा, "तुम्हारी याद तो बहुत आई, पर मैंने सोचा तुम अपनी गृहस्थी में व्यस्त हो, तोबेवजह डिस्टर्ब क्यों करना.” मैं हैरान रह गई उसकी यह बात सुनकर कि अवनि इतनी भावुक बात भी कर सकता है? फिर काफ़ी दिन तक हमारी बातनहीं हुई. एक दिन मैं अपने लैपटॉप पर कुछ देख रही थी कि अचानक अवनि का मैसेंजर पर वीडियो कॉल आया, क्योंकि अरब देशों…

February 2, 2022

पहला अफेयर: लॉन्ग डिसटेंस (Pahla Affair… Love Story: Long Distance)

आज उसकी शादी है… वो वाक़ई आगे बढ़ चुका है अपनी ज़िंदगी में… और मैं? कहने को तो मैं भी मूव ऑन कर चुकी हैं, लेकिन मेरा दिल जानता है कि ये सच नहीं है.  एक कॉमन फ्रेंड के ज़रिए हमारी पहली मुलाक़ात हुई थी और तभी लग गया था कि ये मुलाक़ातें और बढ़ेंगी और हमारा रिश्ता भी… उसको यू एस में जॉब मिला था और मैं अभी स्टूडेंट थी, मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी. हमने फ़ोन नम्बर्स लिए एक-दूसरे के और कब थोड़े ही समय में दोस्त से हमसफ़र बनने का फ़ैसला हमने ले लिया उसका एहसास ही नहीं हुआ.  वो जब भी इंडिया आता तो सबसे पहले मेरे घर जयपुर आता, मेरी फ़ैमिली भी उसको पसंद करती थी और उसकी फ़ैमिलीभी खुले विचारों की थी. वो अक्सर अमेरिका में मेरे लिए चॉकलेट्स और गिफ़्ट्स कलेक्ट करके रखता था. हमने साथ मेंबहुत अच्छा वक़्त गुज़ारा, गोवा से लेकर मुंबई तक हॉलिडे मनाई. लेकिन कहते हैं ना जब सब कुछ इतना परफेक्ट लगे तो समझ जाना चाहिए कि कहीं न कहीं कुछ सही नहीं है. विकास को लेकर मैं ज़्यादा ही पज़ेसिव होती जा रही थी. अगर मेरा फ़ोन नहीं उठाता या मैसेज का जवाब नहीं देता तो मैंलड़ पड़ती. धीरे-धीरे हमारे झगड़े बढ़ने लगे. मैं हर बात पर उससे सवाल करती और वो यही कहता कि रितु काम में बिज़ी रहता हूं तो ज़रूरी नहीं कि हमेशा जिस वक़्त तुम फ़ोन करो मैं कॉल ले सकूं, इतना तो समझो इंडिया और अमेरिका काटाइम अलग-अलग है!  लेकिन मैं समझने को ही तैयार नहीं थी, हम जितने क़रीब थे अब उतने ही दूर होते जा रहे थे. मेरे इस तरह के बर्ताव से विकास भी मुझसे उखड़ा-उखड़ा रहने लगा था. उसका मानना था कि मेरे और उसके मैच्योरिटी लेवल में बहुत फ़र्क़ है, मैं स्टूडेंट वाली टीन एज की सोच और व्यवहार से बाहर ही नहीं आ रही थी, तो ऐसे में वो मानसिक रूप से डिस्टर्ब रहने लगाथा और खुद इसका असर उसके नेचर और बर्ताव पर पड़ने लगा था. विकास और मैंने यही निर्णय लिया कि हमको ब्रेकअप कर लेना चाहिए. हालांकि मैं नहीं चाहती थी कि हम अलग हों, लेकिन वो निर्णय ले चुका था. मैंने कहा कि हम दोस्त तो रह सकते हैं ना, उसने भी हामी भर ली, लेकिन मैं खुद को सम्भाल नहीं पा रही थी, दोस्ती का रिश्ता मुझे दर्द दे रहा था और इसीलिए विकास ने मुझे सोशल मीडिया पर ब्लॉक कर दिया ये कहकर कि इस तरह हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे और न ही इस रिश्ते में भी रह पाएंगे! उसके निर्णय का मैं सम्मान करती हूं और आज जब एक कॉमन फ्रेंड ने उसकी शादी की खबर दी तो मैं टूट गई, लगा कोई अपना अब हमेशा के लिए किसी और का हो गया है… मैं भी अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ रही हूं, लेकिन दिल के किसी कोने में उसका प्यार आज भी दबा हुआ है जो वक़्त-वक़्त पर दस्तक दे ही देता है… विकास और मुझे लगा था कि हमारी लॉन्ग डिसटेंस रिलेशनशिप एक बड़ा कारण था हमारे बीच मनमुटाव और ग़लतफहमियों का, लेकिन आज सोचती हूं कि मेरी ज़्यादा क़रीब रहने की कोशिश ही हमारी दूरियों का कारण बन गई थी. मैं अपने दिल और प्यार को सम्भाल ही नहीं…

October 4, 2021

एक्ट्रेस किम शर्मा ने लिएंडर पेस के साथ रोमांटिक पोज़ देकर अपने रिश्ते का इज़हार किया… (Actress Kim Sharma expressed her relationship with Leander Paes by giving a romantic pose…)

आखिर किम शर्मा ने अपने प्यार का इजहार कर ही दिया. उन्होंने अपने फ्रेंड कहे या बॉयफ्रेंड मशहूर टेनिस खिलाड़ी…

September 5, 2021
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