Love Story

पहला अफेयर- बूंदों की सरगम… (Love Story- Boondon Ki Sargam)

हल्की सी बूंदाबांदी शुरू हो गई. वह बूंदों की सरगम पर फिर गुनगुनाने लगी. उसका आसमानी दुपट्टा हवा से लहरा…

September 11, 2024

पहला अफेयर- मेट्रो वाला प्यार… (Love Story- Metro Wala Pyar…)

सौम्य, सुसंस्कृत लडका रिया को पहली नज़र में ही भा गया. जब दोनो एक ही स्टेशन पर उतरे और एक…

August 29, 2024

पहला अफेयर- स्क्रिबलिंग डे (Love Story- Scribbling Day)

तुम बाजू पर लिखने लगी थी, तो मैंने कहा, “यहां नहीं, ऊपर दिल पर…” ये सुनते ही पहली बार तुम्हारी…

August 20, 2024

कहानी- कतरा-कतरा आत्महत्या (Short Story- Katra-Katra Aatmhatya)

उस रात फिर वही भयानक स्वप्न… पंखे से लटकी उलाहने भरी आंखों से उसे देखती लाश, उसे लगा कि वो…

August 9, 2024

कहानी- पतझड़ में मधुमास (Short Story- Patjhad Mein Madhumas)

 "…‌ मैंने उन्हें ध्यान से देखा है, उनमें ग़म में भी ख़ुशी तलाशने वाली अद्भुत इच्छाशक्ति है. अपने सद्प्रयासों से…

August 5, 2024

पहला अफेयर- एक मुलाक़ात… (Love Story- Ek Mulaqat…)

गर्मी की छुट्टियों में मैं मायके गई थी. वहां बाज़ार में अचानक मेरी मुलाक़ात मेरी पुरानी सहेली रिया से हो…

July 10, 2024

जीनत अमान संग शादी रचाना चाहते थे दीपक परासर- एक्टर ने खुद किया खुलासा, बोले- आज भी हैं उनके लिए फीलिंग्स (Deepak Parashar Reveals He Wanted To Marry Zeenat Aman Still Have Feelings For Her)

हाल ही में दिए लेटेस्ट इंटरव्यू में वेटेरन एक्टर दीपक खुलासा ने इस बात का खुलासा किया कि वे जीनत…

April 27, 2024

पहला अफेयर: दिल ए नादान (Pahla Affair… Love Story: Dil E Nadaan)

“नमन, बेटा ज़रा सुनो, तुम और रोली कब शादी करने वाले हो?” “ममा रोली से तो मेरा कब का बेक्रअप हो गया और अगले हफ्ते तो उसकी शादी है…” बेपरवाह स्वर में बोलकर नमन वहां से चला गया. मैं उसे देख कर हैरत में पड़ गई. आज के बच्चे इतने बिंदास… इन्हें मोहब्बत खेल लगती है. प्यार को यूं भुला देना जैसे किक्रेट के मैदान मेंछक्का लगाते वक्त बॉल गुम हो गई हो… मैं गुमसुम-सी खड़ी अपने अतीत में झांकने लगी. पापा का लखनऊ से दिल्ली ट्रांसफर हो गया था. मैंने वहां पर नए स्कूल में दाखिला लिया. चूंकि मैंने बीच सेशन में एडमिशन लिया था, इसलिए मेरे लिए पूरी क्लास अपरिचित थी. शिफ्टिंग के कारण मैं काफी दिन स्कूल नहीं जा पाई, इसलिए मेरा काफी सिलेबस मिस भीहो गया था. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. मेरी क्लास टीचर ने उसी क्लास में पढ़ने वाले अनमोल से मेरा परिचय करवाया औरउसको हिदायत दी- “अनमोल तुम निधि की पढ़ाई में मदद करना.” अनमोल ने मुझे अपने नोट्स दिए, जिससे मुझे स्टडी में काफी मददमिली. यह एक संयोग ही था कि मैं और अनमोल एक ही कॉलोनी में रहते थे, फिर क्या था हम स्कूल भी साथ आने-जाने लगे. एक-दूसरे के घरजाकर पढ़ाई भी करते और पढ़ाई के साथ अन्य विषयों पर भी चर्चा करते थे. कभी-कभी साथ मूवी देखने जाते, तो कभी छत पर यूं हीटहलते. धीरे-धीरे हमारे मम्मी-पापा भी जान गए कि हम अच्छे दोस्त हैं. हम दोनों ने स्कूल में टॉप किया‌. इसके बाद हम कॉलेज में आ गए. अनमोल इंजीनियरिंग करने रुड़की चला गया और मैं दिल्ली में पासकोर्स करने लगी. कॉलेज पूरा होते-होते पापा ने मेरी शादी के लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दिया. छुट्टियों में अनमोल के घर आने पर उसेअपनी शादी की चर्चा के बारे में बताया. वह एकाएक गंभीर हो गया. मेरा हाथ पकड़कर बोला, “निधि मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूं. आजसे नहीं, जब से पहली बार देखा था, तब से ही. मैंने रात-दिन तुम्हारे ख्वाब देखे हैं. प्लीज़ मेरी नौकरी लगने तक इंतज़ार कर लो. मेरेअलावा किसी से शादी की सोचना मत.” मुझे भी अनमोल पसंद था. मैंने उसे हां कह दिया. दो महीने के बाद पापा ने ऋषभ को पसंद कर लिया. उनके मान-सम्मान के आगे मै अपनी पसंद नहीं बता पाई. एक बार मां से ज़िक्रकिया था, “मां मैं अनमोल को पंसद करती हूं और उससे ही शादी…” बात पूरी होती उससे पहले ही मां ने एक चांटा मेरी गाल पर रसीदकर दिया. “बड़ों के सामने यूं मुंह खोलते हुए शर्म नहीं आती? चुपचाप पापा के बताए हुए रिश्ते के बंधन में बंध जाओ वरना अच्छा नहींहोगा.” मां की धमकी के आगे मै मजबूर थी. मैं चुपचाप शादी करने के लिए तैयार हो गई. उस वक्त मोबाइल नहीं होते थे. मैं अनमोल को अपनीशादी के बारे में नहीं बता पाई. शादी के बाद मै आगरा आ गई. करीब दो साल बाद मेरी मुलाकात अनमोल से हुई. हम दोनों के बीच सुनने-सुनाने को कुछ शेष नहीं था. अनमोल ने ही अपनी बात कही, “ज़रूर तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी, वरना कोई यूं बेवफा नहीं होता. तुम्हारी शादी हो गई तो इसका मतलब यह नहीं है कि मैं तुमसेमोहब्बत करना छोड़ दूं. तुम अपनी शादी निभाओ और मुझे अपने इश्क से वफ़ा करने‌ दो…” हम दोनों के गले रूंध गए और आंखें बह गईं. तब से लेकर आज तक अनमोल ने मेरी हर तकलीफ, हर दुख और हर खुशी में बखूबी साथ दिया. मैं अनमोल जैसा सच्चा दोस्त पाकरनिहाल हो गई. ऋषभ और अनमोल की बनती भी खूब है. उसने शादी नहीं की. एक बार मेरे ज़ोर देने पर कहा- “मेरे मन में बसी मूरत केजैसी कोई मिली तो इन यादों को एक पल में ही अलविदा कह दूंगा…”  वह अक्सर कहता है… “तुझे पा लेते तो यह किस्सा ही खत्म हो जाता  तुझे खोकर बैठे हैं यकीनन कहानी लंबी होगी.” शोभा रानी गोयल

February 19, 2024

पहला अफेयर: मोगरा महक गया… (Love Story… Pahla Affair: Mogra Mahek Gaya)

बात है तो पुरानी लेकिन पहले प्यार की महक मन में हमेशा बसी रहती है. गर्मियों की छुट्टियों में अपनी एक नज़दीकी रिश्तेदारी की शादीमें शरीक होने गया था. पहली शाम घर के आंगन में बैठ सभी लोग गपशप कर रहे थे कि तभी एक ख़ुशबू फैली… देखा एक ट्रे में पानी के ग्लास के साथ लहंगा-ओढ़नी पहने वह आई, सभी के आसपास होते हुए भी मैंने हिम्मत की और जैसे ही वो मेरे पास आई तो मैंने नज़रभर उसको निहारा… सांवला निश्छल रूप, लंबी लहराती एक चोटी और छोटी में मोगरा की वेली गुंधी हुई थी. जाने क्या हुआ पर पहली हीनज़र में मेरा मन जैसे महक उठा.  समय बीता, फिर यूं ही बातचीत में पता चला कि वो हॉस्टल में रह कर पढ़ रही है. मैं भी अपनी पढ़ाई में व्यस्त था. लेकिन रह-रहकरउसका ख़याल और मोगरे की ख़ुशबू मुझे तरोताज़ा कर जाती. ख़ैर, पढ़ाई पूरी हुई तो नौकरी लगी, पिता स्वर्गवासी हो चुके थे. बड़े भाई ने विवाह पर दबाव डाला, कुछ रिश्ते सुझाए, तो मैं चुप रहा. सबने पूछा कि क्या बात है? मैंने अपनी पसंद बताई, तो पता चला किसी स्थानीय स्कूल में अध्यापिका है. विवाह नहीं हुआ है., लेकिन मन में एक सवाल था कि क्या वो भी मेरे लिए ऐसा ही महसूस करती होगीजैसा मैं? कहीं शादी के लिए मना कर दिया तो? बड़े भैया का संपर्क काम आया और पता चला उसने शादी के लिए फ़ौरन हां कह दिया. सब जाकर मेरे जीवन में असली मोगरा महका और मेरा पहला प्यार मुकम्मल हुआ. शादी के बाद एक कमरे की गृहस्थी में मुझे डर था न जाने ये एडजस्ट कर पाएगी या नहीं. घर में प्रवेश करते ही मेरे भांजे के हाथ से तेलकी बोतल थी छूट गई और तेल फैल गया. कांच की बोतल भी टूट गई. दरवाज़े से भीतर तक तेल व कांच बिखरा पड़ा था. नई-नवेली दुल्हन, मेहंदी लगे हाथों से ही उसने जल्दी से झाडू मांगी, इस बीच जल्दी से अपने कपड़े बदले और सफ़ाई में जुट गई. सबउसकी तारीफ़ करने लगे. उसने मेरा घर ऐसे सम्भाला कि हम सोच भी नहीं सकते थे. कभी माथे पर कोई शिकन नहीं और ज़ुबान पर कोई शिकायत नहीं. उससे पूछा कि आते ही तुमको सब सम्भालना पड़ा, कितने सपनेहोंगे तुम्हारे, मैं ज़रूर पूरा करूंगा. उसने कहा कि मेरा एक ही सपना था और वो पूरा हो गया. आपका साथ ज़िंदगीभर के लिए मिला है और क्या चाहिए. उसकी बातों ने मेरे दिल में उसके लिए प्यार ही नहीं सम्मान भी बढ़ा दिया था. मैने यहां-वहां नज़र घुमाई, कहीं फूल न थे, पर जीवन मेंउस पल जो मोगरा महका, आज तक महक रहा है. किरन नाथ 

December 9, 2023

पहला अफेयर: पीला पत्ता (Pahla Affair… Love Story: Peela Patta)

राधिका ने मोबाइल चेक किया. देव का मैसेज था- आज तीन तारीख है, पेंशन लेने बैंक जा रहा हूं, समय हो तो तुम भी आ जाओ. पेंशन लेने के बाद पास ही के रेस्तरां में टमैटो सूप पीने चलेंगे. प्रेम की खुशबू से भीगे मैसेज में मुलाकात की चाह झलक रही थी. कभी-कभी कोई शख्स बिना किसी रिश्ते या नाम के जिन्दगी कोमुकम्मल बनाने की कोशिश करता है. दोस्ती में रूहानी चाहत जन्म ले लेती है. मैसेज देखकर राधिका का रोम-रोम खिल उठा. वहकिशोरी की तरह मुस्कुरा उठी. मिलने के लिए ये छोटे-छोटे पल उर्जा का काम करते थे. पिछले साल शिक्षक पद से रिटायर्ड हुई थी. रिटायर होने के बाद खालीपन कचोटने लगा. शाम काटने के उद्देश्य से कॉलोनी मे बने पार्कमें टहलने चली जाती थी. वहीं पर पहली बार देव को देखा था. ट्रैक सूट और सिर पर कैप में आकर्षक लग रहे थे. जाने क्यों मन खिंचनेलगा था. मैं अक्सर चोरी-छिपे उन्हें देख लेती थी. देव का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि नजर नहीं हटती थी. हालांकि दोस्ती और प्रेम की उम्रनहीं थी, फिर भी दिल तो बच्चा है और जिद्दी भी, मानता कैसे? उस दिन जाने क्या हुआ, देव उसी बेंच पर आ बैठे जिस पर अक्सर मैं बैठा करती थी. बेंच के आसपास अशोक के सूखे पत्ते बिखरे हुएथे, उन्हीं में से एक उठाकर मेरी ओर बढ़ाकर कहा, ‘आज मेरा जन्मदिन है, चाहो तो इसे देकर मुझे विश कर सकती हो.’ मैं देव के इस तरह के आग्रह पर अचकचा गई. ‘नजरें चुरा सकती हो, विश नहीं कर सकती?’ देव ने मेरी आंखों में झांका. उस दिन हम दोनों में दोस्ती हो गई. हम दोनों ढेर सारी बातें करने लगे. एक-दूसरे के सुख-दुख बांटने लगे. अकेलापन दूर होने लगा. हमदोनों के बच्चे विदेश रहते हैं. जीवनसाथी पहले ही साथ छोड़ गए. ऐसे में देव का मिलना मेरे सूने जीवन की नेमत था. बातचीत के सिरेपकड़ते-पकड़ते दोनों एक-दूसरे का दिल बांट चुके थे. मन का रीता कोना अब भीगने लगा था. एक दिन मैंने कहा- ‘देव, उम्र का आखिरी पड़ाव है, न जाने कब ज़िन्दगी की शाख कट जाए. मैं संशय में हूं कि इस उम्र में प्रेम करनाग़लत हो सकता है.’ ‘नहीं, प्रेम किसी भी उम्र में ग़लत नहीं होता. प्रेम तो खुद खुबसूरत शै है जिसमें हर व्यक्ति निखर जाता है. प्रेम को गलत-सही कीपरिभाषा से दूर रखना चाहिए. गलत है तो अपनी भावनाओं को रोकना और उन्हें शक की नजरों से देखना. मेरी एक बात मानोगी, जानेकब सांसें साथ छोड़ दें, क्यों न कुछ दिन इस तरह जी लें जैसे टीनएज में जीते थे. जीवन के उपापोह में जो न कर सके, अब कर लें…’ और उस दिन से सच में हम किशोर उम्र में उतर गए. चुपके-चुपके मैसेज करना, छिप-छिपकर मिलना, एक-दूसरे की पंसद का ख्याल रखना… छोटी-छोटी शरारतें कर एक-दूसरे कामनोरंजन करना… वो सब करते जो एक उम्र में करने से चूक गए थे. दोनों मंद-मंद मुस्कुराते. मैं देव की पंसद की कोई डिश बना लेती तो, वहीं देव कोई प्रेम गीत गुनगुना देते. नीरस जीवन में बहार आ गई थी. एक दिन देव साथ छोड़ गए और मैं अकेली रह गई. मैं उदास-सी खिड़की पर खड़ी होकर देव के साथ बिताए पलों को याद करती. देवमेरे जीवन के तुम वो झरोखा थे जो मेरे जीवन को महका गए. तुम मेरे स्वरों में अंकित हो, आज तुम्हारा जन्मदिन है. अशोक का यहपीला पत्ता उस दिन की याद दिला रहा है, जिस दिन हम दोनों के दिलों में चाहत का बीज पनपा था. जिस प्रेम को इस पत्ते ने संजोयाथा, वह आज भी लहलहा रहा है. मैं इस पौधे के साथ जल्द ही तुम्हारे पास आने वाली हूं… मेरे अंतस की पुकार में, तेरा अस्तित्व महफूज़ है… फिज़ा आज भी बहती है, बस मोगरे ने खुशबू बदल ली है… शोभा रानी गोयल

October 19, 2023

पहला अफेयर: चूड़ियों  की खनक (Pahla Affair… Love Story: Choodiyon Ki Khanak)

जीवन में प्रेम जब दस्तक देता है तो उसका एहसास अत्यंत ख़ूबसूरत होता है और वो भी मेरे जैसे नीरस इंसान के लिएजिसके लिए प्रेम और उसका एहसास मात्र लैला-मजनू, हीर-रांझा वाले किताबों के काल्पनिक क़िस्से थे, पर जब तुम्हें पहली बार देखा तो मैं भी प्रेम के एहसास से रु-ब-रु हो गया.  वो काल्पनिक क़िस्से मुझे यथार्थ से लगने लगे थे. मुझे किंचित भी आभास न हुआ कि कब तुम मेनका बन आयी और मेरी विश्वामित्रि तपस्या भंग कर मेरे दिल में समाती चली गईं. उस दिन जब पहली बार तुम्हें मेले में चूड़ियों की दुकान परदेखा था तो मंत्र-मुग्ध-सा तुम्हें देखता ही रह गया. सलोना-सा मासूम चेहरा, कज़रारी आंखें और खुले लम्बे काले बालतुम्हारी सुंदरता में चार चांद लगा रहे थे. तुम्हारे हाथों में ढेर सारी चूड़ियां, उनकी खनखनाहट मेरे कानों में सरगम का रस घोल रहीं थीं. हर बात पर तुम्हारा चूड़ियों का खनखनाना मुझे मंत्रमुग्ध कर रहा था. उस दिन तुम सफ़ेद कलमकारी वाली कढ़ाई वाले सूट में अनछुई चांद की चांदनी लग रही थी. अनिमेश दृष्टि से तुम्हें देखता मैं जड़ चेतन हो गया था. तुम्हारी चूड़ियों की खनक से मैं वापिस यथार्थ के धरातल पर आ गया. मैं भी अपनी बहन के लिए चूड़ियां ख़रीदने आया था, तभी इत्तेफाकन ही हम दोनों ने एक लाल रंग की चूड़ी पर हाथ  लगा कर अपनी पसंद दुकानदार को ज़ाहिर कर दी. तुम्हारे कोमल हाथों के स्पर्श से मैं एकदम सिहर-सा  गया. तुम तो वहां से चली गईं, साथ में मेरा दिल और चैन भी ले गई. मैं मोहब्बत के अथाह सागर की गहराइयों मेंगोते खाने लगा. मुझे तुम्हारा नाम-पता कुछ भी नहीं मालूम था. मैं बस तुम्हारी एक झलक पाने के लिए बेचैन-सा रहने लगा था. कहते हैं ना मन की गहरियों से ढूंढ़ो तो भगवान भी मिल जाते हैं, अंतत: मैंने तुम्हारे बारे में पता लगा ही लिया. तुम तो मेरे सामने वाले कॉलेज में पढ़ती थीं और रोज़ बस से कॉलेज जाती थी. इतना नज़दीक पता मिलने से मेरी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा. मैं रोज़ तुम्हारी चूड़ियों की खनखनाहट सुनने के लिए बस स्टॉप पर तुम्हारा इंतज़ार करने लगा… और तुम, तुम तोमुझे देख कर भी अनदेखा करने लगी. तुम्हारी अनदेखी मुझे बहुत तकलीफ़ देती थी, लेकिन फिर एक दिन मैंने किसी तरह हिम्मत जुटाई और अपने दिल की बात बताने की ठानी, लेकिन तब तुमसे बात करने की कोशिश में पता  चला ईश्वर ने तुम्हें फ़ुर्सत से गढ़ा था, पर वोतुम्हें आवाज़ देना भूल गया…और यही चूड़ियों की खनक ही तुम्हारी आवाज़ थी…तुम्हारी भाषा थी. तुम्हें डर था कि तुम्हारा यह सचजानकर कहीं मैं तुम्हें छोड़ न दूं, पर कहते हैं न "मोहब्बत कभी अल्फ़ाज़ों की मोहताज नहीं होती, ये तो वो ख़ूबसूरत एहसास है जिसमें आवाज़ की ज़रूरत नहीं होती" मैंने तो तुम्हें मन की गहराइयों से निस्वार्थ प्रेम किया था. और प्रेम तो समर्पण और त्याग की मूरत है और मैं इतना स्वार्थी नहीं था. धीरे -धीरे मैंने भी तुम्हारी और तुम्हारी चूड़ियों  की भाषा सीख ली. तुम्हारी इन चूड़ियों की खनक में सम्पूर्ण जीवनगुज़ारने का एक सुंदर सपना संजोने लगा. समय के साथ कब तुम्हारा कॉलेज पूरा हो गया पता ही नहीं चला. तुम आगेपढ़ना चाहती थीं… एक शिक्षिका बन कर अपने जैसे मूक लोगों के लिए प्रेरणा बन उन्हें राह दिखाकर उन्हें उनकी मंज़िल तक पहुंचाना चाहती थीं. बस फिर क्या था, तुम्हारे इसी हौसले और हिम्मत के आगे मैं नतमस्तक हो गया. एक-एक दिन तुम्हारे इंतज़ार और मिलनेकी आस में काट रहा था और आख़िर तुम्हारा सपना पूरा हो गया. मैंने भी अपने सपने को पूरा कर तुम्हें अपना हमसफ़र बना लिया और तुम्हारी इन चूड़ियों की खनक को हमेशा के लिए अपने जीवन की सरगम बना लिया. "मोहब्बत हमसफ़र बने इससे बड़ी ख़ुशनसीबी नहीं, रूह से रूह का बंधन हो तो इससे बड़ी इबादत नहीं"  कीर्ति जैन 

September 12, 2023

पहला अफेयर: सद्धयः स्नात प्रेम… (Pahla Affair… Love Story: Saddhyah Snaat Prem)

कंपकपाती ठंड से परेशान होकर नाश्ता करने के बाद मैं छत पर चला आया. बाहर गुनगुनी धूप पसरी हुई थी जो बड़ी भली लग रही थी. मैं मुंडेर के पास दरी बिछाकर उस पर लेट गया. धूप चटक थी लेकिन मुंडेर के कारण हल्की सी छांव के साथ सुहावनी लग रही थी. ठंडसे राहत मिलते ही कंपकपी बंद हो गई. धूप की गर्माहट से कुछ ही समय में आंखें उनींदी होने लगी और मैं पलकें मूंदकर ऊंघने लगा. यूंभी पिछले साल भर से किताबों में सर खपा कर मैं बहुत थक चुका था और कुछ दिनों तक बस आराम से सोना चाहता था, इसलिए लॉकी परीक्षा देने के बाद अपनी मौसी के यहां कानपुर चला आया था. अभी हल्की-सी झपकी लगी ही थी कि अचानक मुंह पर पानी की बूंदे गिरने लगी. मैंने चौक पर आंखें खोली, आसमान साफ था. नीलेआसमान पर रुई जैसे सफेद बादल तैर रहे थे. तब मेरा ध्यान गया कि पानी की बूंदें मुंडेर से झर रही हैं. दो क्षण लगे नींद की खुमारी सेबाहर आकर यह समझने में कि पानी किसी के लंबे, घने काले बालों से टपक रहा है. शायद कोई लड़की बाल धोकर उन्हें सुखाने केलिए मुंडेर पर धूप में बैठी थी. एक दो बार खिड़की से झलक देखी थी. एक बार शायद गैलरी में भी देखा था, वह मौसी के पड़ोस वालेघर में रहती थी. उसके भीगे बालों से शैंपू की भीनी-भीनी सुगंध उठ रही थी. मैं उस सुगंध को सांसों में भरता हुआ अधखुली आंखों से उन काले घने भीगेबालों को निहारता रहा. बूंद-बूंद टपकते पानी में भीगता रहा जैसे प्रेम बरस रहा हो, सद्धयः स्नात प्रेम… कितना अनूठा एहसास था वह. भरी ठंड में भी पानी की वह बूंदें तन में एक गर्म लहर बनकर दौड़ रही थी. मेरे चेहरे के साथ ही मेरा मन भी उन बूंदों में भीग चुका था. तभी उसने अपने बालों को झटकारा और ढेर सारी बूंदें मुझ पर बरस पड़ी. मेरा तन मन एक मीठी-सी सिहरन से भर गया. मैं उठ बैठा. मेरेउठने से उसे मेरे होने का आभास हो गया. वह चौंककर खड़ी हो गई. उसके हाथों में किताब थी. कोई उपन्यास पढ़ रही थी वह धूप मेंबैठी. मुझे अपने इतने नज़दीक देखकर और भीगा हुआ देखकर वह चौंक भी गई और सारी बात समझ कर शरमा भी गई. उसे समझ हीनहीं आ रहा था कि इस अचानक आई स्थिति पर क्या बोले. दो पल वह अचकचाई-सी खड़ी रही और फिर दरवाज़े की ओर भागकरसीढ़ियां उतर नीचे चली गई. पिछले पांच दिनों में पहली बार उसे इतने नज़दीक से देखा था. किशोरावस्था को छोड़ यौवन की ओर बढ़ती उम्र की लुनाई से उसकाचेहरा दमक रहा था. जैसे पारिजात का फूल सावन की बूंदों में भीगा हो वैसा ही भीगा रूप था उसका. रात में मैं खिड़की के पास खड़ा था. इस कमरे की खिड़की के सामने ही पड़ोस के कमरे की खिड़की थी. सामने वाली खिड़की में रोशनीदेखकर मैंने उधर देखा. उसने कमरे में आकर लाइट जलाई थी और अलमारी से कुछ निकाल रही थी. उसने चादर निकाल कर बिस्तर पररखी, तकिया ठीक किया और बत्ती बुझा दी. मैं रोमांचित हो गया, तो यह उसका ही कमरा है, वह मेरे इतने पास है. मैं रात भर एकरूमानी कल्पना में खोया रहा. देखता रहा उसके बालों से बरसते मेह को. एक ताज़ा खुशबूदार एहसास जैसे मेरे तकिए के पास महकतारहा रात भर. मैं सोचता रहा कि क्या उसके मन को भी दोपहर में किसी एहसास ने भिगोया होगा, क्या वह भी मेरे बारे में कुछ सोच रहीहोगी? जवाब मिला दूसरे दिन छत पर. जब मैं छत पर पहुंचा, तो वह पहले से ही छत पर खड़ी इधर ही देख रही थी. हमारी नज़रें मिली औरउसने शरमा कर नज़रें झुका लीं. कभी गैलरी में, कभी खिड़की पर हमारी नज़रें टकरा जाती और वह बड़े जतन से नज़रें झुका लेती. उनझुकी नज़रों में कुछ तो था जो दिल को धड़का देता. नज़रों का यह खेल एक दिन मौसी ने भी ताड़ लिया. मैंने उन्हें सब कुछ सच-सच बता दिया. फिर तो घर में बवाल मच गया और मुझेसज़ा मिली. सज़ा उम्र भर सद्धयः स्नात केशों से झरती बूंदों में भीगने की और मैं भीग रहा हूं पिछले छब्बीस वर्षों से, उसके घने कालेबालों से झरते प्रेम के वे सुगंधित मोती आज भी मेरे तन-मन को सराबोर कर के जीवन को महका रहे हैं और हम दोनों के बीच का प्रेमआज भी उतना ही ताज़ा है, उतना ही खिला-खिला जैसा उस दिन पहली नज़र में था, एकदम सद्धयः स्नात. विनीता राहुरीकर

August 21, 2023
© Merisaheli