meditation therapy

एसिडिटी से छुटकारा: मंत्र-मुद्रा और ध्यान के द्वारा (Meditation Therapy For Acidity)

आजकल की बिज़ी लाइफस्टाइल में ना खाने का ठिकाना है और ना सोने का. हमने अपनी जीवन शैली ही ऐसी बना ली हैकि पाचन संबंधी समस्याएं होना आम बात है और इसी का नतीजा है एसिडिटी. एसिडिटी एक धीमा ज़हर एसिडिटी आपके रोज़ के क्रिया कलापों में काफ़ी बाधा उत्पन्न कर सकती है. अगर इसे समय रहते ठीक नहीं किया गयातो यह अल्सर का रूप भी धारण कर सकती है. तनाव भी है एक प्रमुख कारण कभी प्रोफेशनल लाइफ़ को लेकर तो कभी पर्सनल रिश्तों की वजह से हम अक्सर स्ट्रेस में रहते हैं. यह स्ट्रेस हमारीजठराग्नि को बेहद प्रभावित करता है और पाचन में गड़बड़ी को जन्म देता है. लेकिन आप घबराएं नहीं. बस, थोड़ा-सासमय निकालकर मंत्र-मुद्रा व ध्यान विज्ञान का सहारा लें, जिससे अपने आप संतुलन स्थापित होने लगेगा और आप स्वस्थव ऊर्जावान हो जाएंगे. मंत्रों की शक्ति मंत्र पूर्णतः वैज्ञानिक आधार पर आपको स्वस्थ करते हैं, क्योंकि मंत्र दरअसल साउंड एनर्जी ही हैं जिनकी अपनी निश्चितफ़्रीक्वन्सी होती है. जब हम उनका जाप करते हैं तो शरीर में वायब्रेशन पैदा होता है जिससे अंगों में संतुलन आता है, ज़हरीले तत्व बाहर निकलते हैं, प्राण शक्ति उत्पन्न होती है और हम बेहतर स्वास्थ्य की ओर बढ़ते हैं. एसिडिटी के लिए मंत्र है ॐ अग्नि देवाय नम: और मुद्रा है समान मुद्रा. मंत्र के द्वारा आप अग्नि देव को प्रार्थना करते हो कि आप शांत हो जाओ, क्योंकि एसिडिटी अतिरिक्त अग्नि के कारण हीहोती है. जो लौ पेट के भीतर भभक रही है उसे मंत्र से संतुलित और शांत करें. समान मुद्रा से पेट के आसपास जो समानप्राण प्रवाहित हो रहे हैं, उससे पाचन क्रिया संतुलित होने लग जाती है. मंत्र के द्वारा हम मणिपुर चक्र को सक्रिया करते हैं  वहाँ मौजूद ज़हरीले तत्वों को श्वास के माध्यम से बाहर का रास्ता दिखाते हैं. इससे मणिपुर चक्र संतुलित होगा और पाचनशक्ति मज़बूत होगी. जठराग्नि भी संतुलित अवस्था में आएगी एसिडिटी से मुक्ति मिलेगी. मुद्रा विज्ञान मुद्रा हाथों का योग है. हमारी पांच उँगलियाँ पंच तत्वों का प्रतीक हैं और जब मुद्रा द्वारा इन्हें आपस में स्पर्श करवाया जाताहै और इन पर प्रेशर पड़ता है तो सम्बंधित तत्व संतुलन की अवस्था में आने लगते हैं. समान मुद्रा के लाभ• पेट के आस-पास के क्षेत्र को समान प्रांत कहा जाता है. जब यह समान प्रांत असंतुलित होता है तो पाचन संबंधीसमस्याएं बढ़ेंगी. इसलिए समान मुद्रा आपके पाचन तंत्र को संतुलित करती है.• यह लिवर को स्वस्थ करके भूख बढ़ाती है.• शरीर और ख़ासतौर से मणिपुर चक्र के आसपास के हिस्से से टॉक्सिंस को बाहर करने में मदद करती है.• गैस और पित्त से मुक्ति दिलाती है और हीलिंग इफेक्ट देती है. मेडिटेशन ही है बेस्ट मेडिकेशन मेडिटेशन यानी ध्यान. मन से एकाकार होने की क्रिया है मेडिटेशन.• शोध बताते हैं कि ध्यान की अवस्था में हमारा मस्तिष्क अल्फ़ा स्टेट में पहुंच जाता है और हैपी हॉर्मोन्स का रिसावबढ़ने लगता है.• ध्यान में गहरी श्वास के ज़रिए शरीर के चक्र को जागृत करके संतुलन की अवस्था में लाया है.• सम्बंधित ग्लैंड्स ऐक्टिवेट होकर हार्मोन्स का रिसाव संतुलित तरीक़े से करने लगते हैं.• शरीर से टॉक्सिंस बाहर निकलने लगते हैं और प्राण वायु व ऊर्जा बढ़ने लगती है• ध्यान से शरीर में ऑक्सिजन  का प्रवाह सही रूप से होने लगता है जिससे रक्त संचार सही होता है और विषैले तत्वदूर होने लगते हैं. एसिडिटी के लिए ध्यान विज्ञान मंत्र-मुद्रा धारण करने के बाद सुखासन में बैठकर ध्यान में उतरना शुरू कर दें. ध्यान नाभि स्थान पर, जिसे मणिपुर चक्रकहा जाता है, वहां पर ध्यान लगाएं. आपके नाभि यानी मणिपुर चक्र के स्थान पर जब आप मंत्र का उच्चारण करते हो, तोवहां और उसके आसपास मौजूद ज़हरीले और विजातीय तत्वों में हचलच में आ जाती है और वो  श्‍वास के द्वारा बाहर जानेशुरू हो जाते हैं.  जैसे ही नाभि क्षेत्र के आस-पास का चक्र संतुलन में आएगा, एसिडिटी की समस्या दूर होना शुरू होजाएगी. अगर आप भी मंत्र-मुद्रा और ध्यान विज्ञान की ख़ास तकनीकों के बारे में जानना चाहते हैं तो ट्राई करें वैदिक हीलिंग मंत्रऐप, जिसमें 48 बीमारियों से संबंधित 48 मंत्रों व मुद्राओं के साथ-साथ 48 मेडिटेशन टेक्नीक यानी ध्यान के तरीक़ों के भीआपको मिलेंगे. मंत्र-मुद्रा-ध्यान विज्ञान की इस प्राचीन विद्या का लाभ उठाकर स्वस्थ-निरोगी जीवन पा सकते हैं. https://www.youtube.com/watch?v=j6ANWwupo2A&t=48s वैदिक हीलिंग मंत्रा ऐप से पाएं हेल्दी लाइफ, ज़रूर ट्राई करें 14 दिनों का फ़्री ट्रायल…

April 18, 2020
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