आखा तीज का पर्व पुराना क्यूं हमने इसे माना है क्या इसकी है कथा कहानी क्या हमने इसे जाना है…
फिर से एक छोटी बच्ची हो गई हूं मैं मां नहलाती है, पाउडर लगती है कपड़े पहनाकर, बाल बनाती है…
मन को जो इतना मथा है हृदय में तेरे कितनी व्यथा है अब खोल दे बांहें यूं भर ना तू…
पृथ्वी घूमे धुरी पर, बदले दिन सँग रात।चक्कर काटे सूर्य के, शीत उष्ण बरसात। घेरे पृथ्वी को सदा, रेखाएँ हैं…
काश मैं दे पातातुम्हें वो उपहारजो अनेक बार देने के लिए सोचता रहाऔर न दे सकासंकोच के कारणकि तुम्हारे पास…
बचपन का सपना अचानक सच हो जाता हैजब मुझे दूल्हे के रूप मेंएक दिन सुपर हीरो मिल जाता हैअपने प्यार…
काँपें थर-थर तन सभी, मुख से निकले भाप।रगड़ें लोग हथेलियाँ, बढ़े तनिक सा ताप।बढ़े तनिक सा ताप, युक्ति सारी कर…
दिनभर की किच-किचऔर काम की आपाधापी में भी अक्सरसैंकड़ों मेंएक सेल्फी क्लिक करके मैं ख़ुद को सौंप देती हूंअदनी सी मुस्कुराहट…
यहांकोई भी व्याकरण नहीं होतीबारिश के गिरने कीन हीकोयल की कूक का कोई रागहवाओं के बहने का कोई नियम नहीं…
अतीत की ओरकिवाड़मज़बूती से भेड़और विस्मृति की चादर ओढ़मैं तो लगभग सो ही चुकी थीओ भूली हुई यादोंतुमने क्योंफिर आकरमेरा…
ये धड़कनें भी अजीब हैंकभी-कभी बेवजह धड़कती हैंसांस लेने के लिएदिल पूछता हैजब तुम नहीं हो तोसांस चलना बस यूं…
आज उम्र की इस दहलीज़ पर खड़ी हूंमैं जाऊं उधर, या कि अंदर लौट आऊं? चलती रही अब तक नियति…