''शायद तुम ठीक कहती हो. अब ज़िंदगी आराम की रहेगी. आख़िर तुम्हारी तो पूरी ज़िंदगी ही एक रिटायर्ड लाइफ़ रही…
“क्या बात कर रही हो स्वाती! लोग अपने समाज का सड़ा-गला भी खाने को तैयार हैं, पर दूसरे समाज का…
मेरे मस्तिष्क में विचारों का बवंडर चल रहा था. कभी आंखों के आगे तन्वी का चेहरा आता, तो कभी मीता…
प्रेम तो कृष्ण ने किया था राधा से. उन्हें प्रेम दिया, उनसे कुछ लिया नहीं. जाते-जाते अपनी प्राणप्रिया बांसुरी भी…
“मैंने बहुत कोशिश की कि मैं वहां से भाग जाऊं, पर मैं तो जैसे किसी अंधे कुएं में गिर…
क्या लड़का है! कितने अधिकार से अपनी पसंद बताकर लौट गया. सीटी तो ऐसे बजा रहा है, जैसे उसका…