बच्चों के सर्वांगीण विकास में ब्रेस्टफीडिंग की महत्वपूर्ण भूमिका (The Benefits Of Breastfeeding For Both Mother And Baby)

स्तनपान शिशु के पोषण और विकास की आधारशिला है. नेशनल ब्रेस्टफीडिंग मंथ (राष्ट्रीय स्तनपान माह) जो अगस्त में रहता है, इसमें स्तनपान के अद्भुत लाभों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता के तमाम कार्यक्रम होते हैं. हालांकि मौजूदा कोविड-19 के बीच स्तनपान को लेकर चिंता जताई गई है. कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल की स्त्री रोग और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा पवार ने स्तनपान और मां और बच्चे के संपर्क के महत्व पर कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं.

नई मांओं के लिए उपयोगी सुझाव
• नई मांएं , जिन्हें कोविड-19 संक्रमण का सन्देह है या पॉज़िटिव पाई गई हैं, के बीच स्तनपान कराने और न कराने को लेकर काफ़ी संशय की स्थिति रहती है. हालांकि डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देश अनुसार, नई मांताएं पहले दिन से ही शिशुओं को स्तनपान करा सकती हैं.

  • प्रसव के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराना शुरू कर देना चाहिए और प्रसव के बाद छह महीने तक स्तनपान जारी रखना चाहिए.
    • मांओं को अनिवार्य रूप से हाथ की स्वच्छता (हैंड हाइजीन) का पूरा घ्यान रखना चाहिए. बच्चे को संभालने से पहले और बाद में, उन्हें काम कम-से-कम 40 सेकंड के लिए अपने हाथ धोने चाहिए.
  • स्तनपान कराने के दौरान मास्क पहनना चाहिए.
    • वैसे शिशुओं को कोविड-19 संक्रमण का जोखिम बहुत कम होता. स्तनपान से जुड़े लाभों की ताक़त इस जोखिम को और कम कर देती हैं, क्योंकि मां का दूध शिशुओं के पोषण का सबसे अच्छा स्रोत है और प्रतिरक्षा निर्माण में मदद करता है.
  • यहां तक कि अगर शिशु/बच्चे को कोविड-19 संक्रमण का संदेह या इसके लक्षण विकसित होते हैं, तो भी माताओं को स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए.
    • मां और बच्चे को भीड़भाड़वाली जगहों से बचना चाहिए और केवल डॉक्टर के पास जाने के लिए ही बाहर निकलना चाहिए.
  • मां को पर्याप्त आराम मिले और अन्य संक्रमणों के संपर्क से बचाव सुनिश्चित करने के लिए बच्चे के साथ केवल एक देखभाल करनेवाला और मां ही साथ हो.
    • मां को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहने के लिए पर्याप्त पानी और तरल पदार्थ लेते रहने चाहिए और सभी प्रकार के भोजन को शामिल करके संतुलित व पौष्टिक आहार लेना चाहिए.
    • यदि मां अस्वस्थ है और उसे लगातार सर्दी-खांसी है, तब भी वह आवश्यक सावधानी बरतते हुए स्तनपान करा सकती है.
  • अगर मां बहुत बीमार है, तो मां का दूध एक कटोरी में निकालकर बच्चे को दिया जा सकता है. अन्य विकल्प है, जैसे- वेट नर्सिंग, जहां कोई नर्स मां के बदले बच्चे को स्तनपान कराएं. एक बार स्वास्थ्य बेहतर होने के बाद मां स्तनपान फिर से शुरू कर सकती है.
    • शुरुआती छह महीनों के दौरान फॉर्मूला दूध, पानी और शहद, बॉटल्स, पेसिफायर्स से बचना चाहिए, क्योंकि बच्चे के संक्रमित होने की अधिक संभावना होती है, ख़ासकर फॉर्मूला दूध के कारण.

ब्रेस्टफीडिंग से लाभ
• एक तरफ़ जहां ब्रेस्टफीडिंग से बच्चे को लाभ मिलता है, वहीं मां को अतिरिक्त कैलोरी बर्न करने में भी मदद करता है, ख़ासकर गर्भावस्था के समय बढ़े वज़न को तेज़ी से कम करने में मदद करता है.
• स्तनपान करने से ऑक्सीटोसिन हार्मोन उत्पन्न होती है, जो गर्भाशय को प्री-प्रेग्नेंसी साइज़ में लाने में मदद करती है.
• बच्चे को स्तनपान कराने के लिए कोई नियत समय या मात्रा नहीं हैं. उन्हें मांग के अनुसार स्तनपान कराया जाना चाहिए यानी जब बच्चे को दूध की आवश्यकता हो, तब उसे ब्रेस्टफीडिंग कराएं.
• लगातार स्तनपान कराने से मां और बच्चे के बीच मज़बूत रिश्ता बनने में मदद मिलती है.
• मां और बच्चे के बीच शुरुआती और निर्बाध संपर्क (स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट) बच्चे के संपूर्ण विकास में मदद करता है. मां और शिशु को हमेशा साथ रहने की कोशिश करनी चाहिए, विशेष रूप से जन्म के तुरंत बाद और स्तनपान के दौरान.

– ऊषा गुप्ता

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