बचपन हम सभी के जीवन का बेस्ट पार्ट होता है. बच्चें छोटी-छोटी चीज़ों में खुशी ढूंढ़ लेते हैं. उन्हें खुश होने के लिए क़ीमती या बहुमूल्य चीज़ की चाह नहीं होती. छोटी-छोटी बातें व चीज़ें भी उन्हें असीम खुशी प्रदान करती हैं. बाल दिवस के अवसर पर कुछ जाने-माने टीवी स्टार्स बता रहे हैं कि बचपन में उन्हें कौन-सी एेक्टिविटीज़ से खुशी मिलती थीं, जिन्हें वे आज भी करते हैं.
पर्ल वी पुरीः बचपन में मुझे कार्टून देखने का नशा था, जो आज तक जारी है. मैं अब भी टॉम एेंड जेरी, स्कूबी-डूबी डू, पोकिमॉन, पोपोय द सेलर मैन, जॉनी ब्रैवो जैसे कॉर्टून सीरियल्स देखना पसंद करता हूं. इसके अलावा मुझे अपने पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर्स के कार्ड इकट्ठा करना भी बहुत अच्छा लगता था. अाज भी मेरे कंप्यूटर के डेस्कटॉप पर इन कैरेक्टर्स के वॉलपेपर्स सेव हैं.
सारा ख़ानः बचपन में जन्मदिन मेरे लिए सबसे ख़ास अवसर होता था. दोस्त के बर्थडे के बारे में जानकर भी मेरे चेहरे पर खुशी छा जाती थी. शाम को होनेवाली बर्थडे पार्टीज़ बेहद मजेदार होती थीं. मुझे बेसब्री से जन्मदिन का इंतज़ार रहता था और एेसा अभी भी है. बड़े होने के बाद फ़र्क़ सिर्फ़ इतना आया है कि ईवनिंग पार्टीज़ की जगह मिडनाइट सेलिब्रेशन्स ने ले ली हैं
एली गोनीः जब कोई मेरे काम की तारीफ़ करता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है. यह आदत बचपन से ही है. मुझे अपने काम को पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ करता हूं. जब किसी को मेरा काम अच्छा लगता है तो मुझे ख़ुशी होती है. बचपन में जब क्लास में टेस्ट के बाद पेपर्स मिलते थे, तो सबसे पहले मेरी निगाहें स्टार्स तलाशती थीं और आज भी जब कोई मेरे काम की प्रशंसा करता है तो मुझे अच्छा लगता है.
तान्या शर्माः मुझे याद है, बचपन में मैं अपनी बहन से टीवी के रिमोट के लिए झगड़ती थी. आज जब हमारे पास अलग-अलग टीवी है, फिर भी हम एक ही टीवी में देखना पसंद करते हैं और रिमोट के लिए झगड़ते हैं. टीवी मॉनिटर बनना और बहन को अपनी मनपसंद प्रोग्राम देखने के लिए मज़बूर करने से बड़ी खुशी और कुछ नहीं हो सकती.
कुणाल जयसिंहः बचपन में मुझे कलरिंग का शौक़ था. इसलिए मुझे कलरिंग क्लासेज़ बहुत पसंद थे. मेरा बैग कलरिंग पेन्स, स्केच पेन्स, वैक्स क्रैयॉन्स से भरा रहता था. मुझे बचपन में डॉट्स को जोड़कर उन्हें कलर करना बहुत अच्छा लगता था. अब भी मुझे रंगों से बहुत प्रेम है.
तेजस्वी प्रकाशः बचपन से लेकर अब तक, मुझे बारिश के मौसम से प्यार है. मुझे बचपन में दोस्तों पर बारिश का पानी फेंकना और बारिश के पानी में खेलना बहुत अच्छा लगता था.
सुयश रायः बचपन में मुझे किसी भी ऐक्टिविटी का फा़इनल वर्क करना बहुत अच्छा लगता था. स्कूल में जब नई क्लास शुरू होती थी तो बुक्स पर कवर तो मम्मी चढ़ाती थी, लेकिन उन पर नेम स्लिप्स लगाने का काम सिर्फ मैं करता था. बड़े होने पर भी जब मेरी मां, बहन या बीवी यदि सलाद काटती हैं तो मुझे उसे सजाना अच्छा लगता है.
हेली शाहः ज़िंदगी प्रतिस्पर्धाओं से भरी हुई है. बचपन में मुझे कुछ जीतने पर बहुत उत्साह होता था और यह उत्साह अब भी कायम है. किसी स्पर्धा में भाग लेने पर मुझे बहुत रोमांच का अनुभव होता है. मुझे बचपन में इवेंट के लिए स्कूल में प्रैक्टिस के लिए रुकना बहुत अच्छा लगता था और आज भी मुझे अपने पर्फॉमेंस के लिए प्रैक्टिस करना अच्छा लगता है.
मनीष गोपलानीः मुझे बचपन में व्हाइट कैनवस शूज़ पहनकर पीटी क्लासेज़ अटैंड करना बहुत पसंद था. मैं इस बात का ध्यान रखता था कि मेरे जूते सबसे अच्छे दिखें इसलिए मैं अपने साथ व्हाइट चॉक रखता था. मेरे जूते जैसे ही गंदे होते थे, मैं उन पर चॉक रगड़ लेता था. आज भी जब मैं जिम से बाहर निकलता हूं तो अपने शूज़ पर बहुत ध्यान देता हूं और इस बात का ख़्याल रखता हूं कि वे सबसे ख़ास दिखें.
महिका शर्माः बचपन में जब मुझे किसी बात की चिंता होती थी या घबराहट होती थी, तो मैं अपने नाख़ून चबाती थी और एेसा आज भी होता है. कभी-कभी मैं यह भूल जाती हूं कि मैंने अपने नेल्स को स्टाइल किया है और उन्हें चबाने लगती हूं. इसके अलावा मेरी एक और आदत थी. चाहे न्यूज़पेपर हो या बुक्स, पहले मैं इमेज़ देखती थी और उसके बाद पढ़ती थी. यह आदत आज भी बनी हुई है.
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