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जब प्यार में सब कुछ गवां बैठे गुरुदत्त: तीन बार की आत्महत्या की कोशिश और जान से हाथ धो बैठे (Tormented by His Love Life Guru Dutt attempted suicide thrice)

कुछ लोग एक अजीब सी बेचैनी में जीते हैं और इन्हीं बेचैनियों में पागलपन भरा कदम उठा लेते हैं. वे जिंदगी भर जैसे किसी तलाश में भटकते रहते हैं. कोई भी चीज उन्हें सुकून नहीं देती. कई बार यह बेचैनी उनके साथ ही जाती है और कई बार उन्हें अपने साथ लेकर ही.

गुरु दत्त भी जीवनभर ऐसी ही बेचैनी के साथ जीते रहे और इसी बेचैनी के साथ इस दुनिया को अलविदा भी कह दिया, जिसने 39 साल की उम्र में ही उनकी जान ले ली. जिसके बारे में आज तक ठीक से कहना मुश्किल है कि वह सचमुच आत्महत्या ही था या कुछ और.

उनकी खामोश नज़रों में दर्द ही नज़र आता
महलों ये तख्तों ये ताजों की दुनिया, ये दौलत के भूखे रवाजों की दुनिया, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है… आज तक ये गाना हर किसी की ज़ुबान पर गाहे बगाहे आ ही जाता है. इतने दर्द भरे गीत के पीछे एक आदमी का दर्द था, जिसे बॉलीवुड ने अपनी आंखों से देखा और महसूस किया था. वो था गुरुदत्त का दर्द. शायद यही कारण था कि गुरुदत्त ने दो बार सुसाइड की असफल कोशिशें की, लेकिन फिर एक बार तीसरी बार में वो कामयाब हो गए. दर्द में डूबे गुरुदत्त ने अपना जीवन, शराब के नशे में डुबो लिया था. नींद की गोलियां, उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का बेशुमार हिस्सा बन गई थीं.

जब उन्हें गीता रॉय से प्यार हुआ
जब गुरुदत्त ‘बाज़ी’ बना रहे थे, तो फ़िल्म के ही सेट पर उनकी मुलाकात गायिका गीता रॉय से हुई और उन्हें उनसे प्यार हो गया. उस समय गीता रॉय एक गायिका के रूप में मशहूर हो चुकी थीं और अक्सर गुरुदत्त से मिलने उनके माटुंगा वाले फ़्लैट पर आया करती थीं. सरल इतनी थीं कि रसोई में सब्ज़ी काटने बैठ जाती थीं.
उस दौरान राज खोसला गुरुदत्त के असिस्टेंट हुआ करते थे. उन्हें गाने का बहुत शौक था. गुरुदत्त के यहां होने वाली बैठकों में राज खोसला और गीता रॉय डुएट गाया करते थे और पूरा दत्त परिवार बैठ कर उनके गाने सुनता था. दोनों एक दूसरे को प्रेमपत्र भी लिखा करते थे, जिन्हें गुरुदत्त की छोटी बहन ललिता लाजमी एक दूसरे तक पहुंचाती थीं. तीन साल तक प्यार करने के बाद आखिरकार 1953 में गुरुदत्त और गीता रॉय विवाह बंधन में बंध गए.

पजेसिव गुरुदत्त ने गीता दत्त पर कई पाबंदियां लगा दीं

कहा जाता है कि गुरुदत्त इमोशनल होने के साथ साथ ओवर पजेसिव भी थे, जिन्हें न सुनना कतई पसंद नहीं था. कहते हैं शादी के बाद गुरुदत्त ने गीता पर बाहर की फिल्मों पर गाने पर पाबंदी लगा दी, इसके बावजूद चोरी चोरी गीता दूसरे बैनर्स के लिए गाती रहीं. फिर भी दोनों में सब ठीक ठाक चलता रहा और उनके तीन बच्चे भी हुए, जिनसे गुरुदत्त बेशुमार प्यार करते थे. दोनों की जिंदगी में दिक्कतें तब आने लगीं जब मशहूर एक्ट्रेस वहीदा रहमान की एंट्री हुई. ‘प्यासा’ फिल्म के दौरान वहीदा रहमान से गुरुदत्त का नाम जुड़ने लगा, जिसके चलते दोनों में दूरियां बढ़ने लगीं और विवाद इतना बढ़ा कि गीता अपने बच्चों को लेकर मायके चली गईं.

वहीदा रहमान से बढ़ीं नज़दीकियां

बेहद ही खूबसूरत शख्सियत के मालिक गुरुदत्त की लाइफ का एक कड़वा सच यह भी था कि वो वहीदा रहमान से बेइंतहा मोहब्बत भी करने लगे थे. ऐसा कहा जाता है कि वहीदा और गुरुदत्त एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे लेकिन गुरुदत्त शादीशुदा थे और वहीदा की वजह से दोनों के रिश्ते बिगड़ रहे थे, ये देखकर वहीदा परेशान रहने लगीं, वो नहीं चाहती थीं कि उनकी वजह से उनका परिवार टूटे. और जब वहिदा को पता चला कि गुरुदत्त अपनी पत्नी से अलग हो गए और इसका कारण उन्हें माना जा रहा है तो उन्होंने गुरुदत्त से दूरियां बना लीं. उनके ही एक करीबी दोस्त के अनुसार उन्होंने इसलिए अपने कदम पीछे खींच लिए थे कि उन्हें एहसास हो चुका था कि गुरुदत्त की जिन्दगी में गीता दत्त की जगह कोई नहीं ले सकता. उन्हें लगा कि वे पीछे लौट जाएंगी और सब सुधर जाएगा. पर ऐसा हो न सका.

गीता गुरुदत्त पर नज़र रखने लगीं
गुरुदत्त ज़्यादा समय स्टूडियो में बिताने लगे थे. गीता को उन पर शक हो गया था. वो उन पर नज़र रखतीं, उनका पीछा करतीं. एक बार तो गीता दत्त उनके करीबी दोस्त अबरार अल्वी के घर पहुंच गईं और उनसे वहीदा रहमान और गुरुदत्त के बारे में पूछताछ करने लगीं. वो नर्वस थीं, रो रही थीं. अल्वी साहब ने उन्हें समझाया कि गुरुदत्त सिर्फ़ फ़िल्म और काम से मुहब्बत करते हैं, बेफ़िक्र रहो. लेकिन गीता दत्त समझ ही नहीं पाईं.

जब वहीदा की चिट्ठी मिली कि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती

इतना ही नहीं, दोनों के बीच शक़ इस हद तक बढ़ गया कि एक दिन गुरुदत्त को एक चिट्ठी मिली, जिसमें लिखा था कि, “मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती. अगर तुम मुझे चाहते हो तो आज शाम को साढ़े छह बजे मुझसे मिलने नरीमन प्वॉइंट आओ. तुम्हारी वहीदा.” जब गुरुदत्त ने ये चिट्ठी अपने दोस्त अबरार को दिखाई तो उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि ये चिट्ठी वहीदा ने लिखी है. दोनों ने सच जानने की योजना बनाई. अबरार अपनी फ़िएट कार में नरीमन प्वॉइंट पहुंचे, तो देखा कि गीता दत्त अपनी एक दोस्त के साथ एक कार की पिछली सीट पर बैठी किसी को खोजने की कोशिश कर रही हैं. पास की बिल्डिंग से गुरुदत्त भी ये सारा नज़ारा देख रहे थे. घर पहुंच कर दोनों में इस बात पर ज़बरदस्त झगड़ा हुआ और दोनों के बीच बातचीत तक बंद हो गई.

दो बार आत्महत्या की कोशिश की

इधर पत्नी-बच्चे उन्हें छोड़कर जा चुके थे, उधर वहीदा ने भी उनका साथ छोड़ दिया. इस वजह से गुरुदत्त डिप्रेशन में रहने लगे… खुद को एकदम खामोश कर लिया उन्होंने. वह हमेशा आत्महत्या करने के बारे में सोचते रहते थे और दो बार आत्महत्या की कोशिश भी कर चुके थे. वे हमेशा गीता और अपने बच्चों को याद करते रहते थे. पहली बार आत्महत्या की कोशिश में तो गुरुदत्त बिल्कुल सुरक्षित बच गए, लेकिन जब दूसरी बार उन्होंने आत्महत्या करने की कोशिश की थी तो तीन दिन के लिए कोमा में चले गए थे. और वह जब कोमा से बाहर आए थे तो कहते हैं उन्होंने सबसे पहले जो नाम लिया था, वह ‘गीता’ था.

गुरु दत्त अक्सर मरने के तरीकों पर बातें करने लगे

अबरार अल्वी ने ही एक बार बताया था कि गुरुदत्त अक्सर मरने के तरीकों के बारे में बातें किया करते थे. एक बार गुरुदत्त ने उनसे कहा था, “नींद की गोलियों को उस तरह लेना चाहिए जैसे मां अपने बच्चे को गोलियां खिलाती है…पीस कर और फिर उसे पानी में घोल कर पी जाना चाहिए.” अबरार ने बताया कि उस समय उन्हें लगा वो मज़ाक में ये बातें कर रहे थे. उन्हें क्या पता था कि गुरुदत्त इस मज़ाक का अपने ही ऊपर परीक्षण कर लेंगे.

और आखिर हमेशा के लिए बिछड़ गए गुरुदत्त

एक तो गीता दत्त की वजह से वहीदा को वो प्रेमिका के रूप में अपना नहीं पाये और वहीदा रहमान के उनकी जिंदगी से निकल जाने के बाद भी गीता दत्त गुरु दत्त के घर वापस लौट आने की पुकार को अनसुना करती रहीं. ऐसे में गुरुदत्त डिप्रेशन में चले गए, बिल्कुल अकेले हो गए. गुरुदत्त के अकेले पड़ जाने का एक कारण यह भी था कि वे अति की सीमा तक ‘पजेसिव’ थे. अपनी बनाई कैद में लोगों को बांधकर रखते हुए वे यह भी भूल जाते थे कि सामने वाला भी उनकी ही तरह एक इंसान और कलाकार है. इसी दौरान उनकी फिल्म ‘कागज के फूल’ भी बुरी तरह फ्लॉप हो गयी. गुरूदत्त मन और धन दोनों से दिवालिया हो गये और बुरी तरह टूट गए और शराब व नींद की गोलियों को अपना साथी बना लिया.

ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन गुरुदत्त ने दुनिया को अलविदा कहा उस दिन उन्होंने कुछ भी नहीं खाया था और शाम से ही शराब पी रहे थे. उन्होंने गीता को फोन किया और बच्चों से मिलने की इच्छा जताई, लेकिन गीता ने साफ इंकार कर दिया. गुरुदत्त ने गीता से कहा भी कि अगर आज बच्चों को नहीं भेजा तो मेरा मरा हुआ मुंह देखोगी, पर गीता ने उनकी बात नहीं मानी. कहते हैं उस रात गुरुदत्त सुबह पांच बजे तक शराब पीते रहे और सुबह अपने कमरे में मृत पाए गए. ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने पहले खूब शराब पी. उसके बाद ढेर सारी नींद की गोलियाँ खा लीं और यही उनकी मौत की वजह बनी.

इस तरह सामने वाले की आंखों के भावों को लगातार टोहता हुआ, छूता हुआ… उन्हें रुपहले परदे पर उतारता हुआ सिल्वर स्क्रीन का सबसे गोल्डन ख्व़ाब बहुत छोटी उम्र में हमेशा के लिए खामोश हो गया.

Meri Saheli Team

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