आजकल वास्तु के संबंध में लोगों में काफ़ी भ्रम एवं असमंजस की स्थिति है. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. वास्तु शास्त्र का मूल आधार भूमि,…
आजकल वास्तु के संबंध में लोगों में काफ़ी भ्रम एवं असमंजस की स्थिति है. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. वास्तु शास्त्र का मूल आधार भूमि, जल, वायु एवं प्रकाश है, जो जीवन के लिए अति आवश्यक है. इनमें असंतुलन होने से नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होना स्वाभाविक है. उदाहरण के द्वारा इसे और स्पष्ट किया जा सकता है- सड़क पर बायें ही क्यों चलते हैं, क्योंकि सड़क की बायीं ओर चलना आवागमन का एक सरल नियम है. नियम का उल्लंघन होने पर दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है. इसी तरह वास्तु के नियमों का पालन न करने पर व्यक्ति विशेष का स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि उसके रिश्ते पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. वास्तु में रसोईघर के कुछ निर्धारित स्थान दिए गए हैं, इसलिए हमें किचन (रसोईघर) वहीं पर बनाना चाहिए. Vastu tips
रसोईघर की ग़लत दिशा से बढ़ सकती हैं मुश्किलें
* यदि रसोईघर नैऋत्य कोण में हो तो यहां रहने वाले हमेशा बीमार रहते हैं.
* यदि घर में अग्नि वायव्य कोण में हो तो यहां रहने वालों का अक्सर झगड़ा होता रहता है. मन में शांति की कमी आती है और कई प्रकार की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है.
* यदि अग्नि उत्तर दिशा में हो तो यहां रहने वालों को धन हानि होती है.
* यदि अग्नि ईशान कोण में हो तो बीमारी और झगड़े अधिक होते हैं. साथ ही धन हानि और वंश वृद्धि में भी कमी होती है.
* यदि घर में अग्नि मध्य भाग में हो तो यहां रहने वालों को हर प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
* यदि रसोईघर से कुआं सटा हुआ होे तो गृहस्वामिनी चंचल स्वभाव की होगी. अत्यधिक कार्य के बोझ से वह हमेशा थकी-मांदी रहेगी.
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रसोई कहां हो?
* रसोईघर हमेशा आग्नेय कोण में ही होना चाहिए.
* रसोईघर के लिए दक्षिण-पूर्व क्षेत्र सर्वोत्तम रहता है. वैसे यह उत्तर-पश्चिम में भी बनाया जा सकता है.
* यदि घर में अग्नि आग्नेय कोण में हो तो यहां रहने वाले कभी भी बीमार नहीं होते. ये लोग हमेशा सुखी जीवन व्यतीत करते हैं.
* यदि भवन में अग्नि पूर्व दिशा में हो तो यहां रहने वालों का ़ज़्यादा नुक़सान नहीं होता है.
* रसोईघर हमेशा आग्नेय कोण, पूर्व दिशा में होना चाहिए या फिर इन दोनों के मध्य में होना चाहिए. वैसे तो रसोईघर के लिए उत्तम दिशा आग्नेय ही है.
क्या करें, क्या न करें?
* उत्तर-पश्चिम की ओर रसोई का स्टोर रूम, फ्रिज और बर्तन आदि रखने की जगह बनाएं.
* रसोईघर के दक्षिण-पश्चिम भाग में गेहूं, आटा, चावल आदि अनाज रखें.
* रसोई के बीचोंबीच कभी भी गैस, चूल्हा आदि नहीं जलाएं और न ही रखें.
* कभी भी उत्तर दिशा की तरफ़ मुख करके खाना नहीं पकाना चाहिए. स़िर्फ थोड़े दिनों की बात है, ऐसा मान कर किसी भी हालत में उत्तर दिशा में चूल्हा रखकर खाना न पकाएं.
* भोजन कक्ष (डाइनिंग रूम) हमेशा पूर्व या पश्चिम में हो. भोजन कक्ष दक्षिण दिशा में बनाने से बचना चाहिए.
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स्मार्ट टिप्स
* रसोई में तीन चकले न रखें, इससे घर में क्लेश हो सकता है.
* रसोई में हमेशा गुड़ रखना सुख-शांति का संकेत माना जाता है.
* टूटे-फूटे बर्तन भूलकर भी उपयोग में न लाएं, ऐसा करने से घर में अशांति का माहौल बना रहता है.
* अंधेरे में चूल्हा न जलाएं, इससे संतान पक्ष से कष्ट मिल सकता है.
* नमक के साथ या पास में हल्दी न रखें, ऐसा करने से मतिभ्रम की संभावना हो सकती है.
* रसोईघर में कभी न रोएं, ऐसा करने से अस्वस्थता बढ़ती है.
* रसोई घर पूर्व मुखी अर्थात् खाना बनाने वाले का मुंह पूर्व दिशा में ही होना चाहिए. उत्तर मुखी रसोई खर्च ज़्यादा करवाती है.
* यदि आपका किचन आग्नेय या वायव्य कोण को छोड़कर किसी अन्य क्षेत्र में हो, तो कम से कम वहां पर बर्नर की स्थिति आग्नेय अथवा वायव्य कोण की तरफ़ ही हो.
* रसोई घर की पवित्रता व स्वच्छता किसी मंदिर से कम नहीं होनी चाहिए. ऐसा करने से मां अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है.
* रसोईघर हेतु दक्षिण-पूर्व क्षेत्र का प्रयोग उत्तम है, किन्तु जहां सुविधा न हो वहां विकल्प के रूप में उत्तर-पश्चिम क्षेत्र का प्रयोग किया जा सकता है, किन्तु उत्तर-पूर्व मध्य व दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र का सदैव त्याग करना चाहिए.
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मीति और मधुर बचपन से एक ही स्कूल में पढते थे, लेकिन मधुर के पिता का अचानक निधन हो गया और उसे मीति का स्कूल छोड़ सरकारी स्कूल में दाख़िला लेना पड़ा. लेकिन आते-जाते अक्सर दोनों के रास्ते मिल ही जाते थे और उनकी नज़रें मिल जातीं, तो दोनों केचेहरे पर अनायास मुस्कुराहट आ जाती. स्कूल ख़त्म हुआ तो दोनों ने कॉलेज में एडमिशन ले लिया था. दोनों उम्र की उस दहलीज़ पर खड़े थे जहां आंखों में हसीन सपने पलने लगते हैं. मधुर भी एक बेहद आकर्षक व्यक्तित्व में ढल चुका थाऔर उसके व्यक्तित्व के आकर्षण में मीति खोती जा रही थी. कई बार मधुर ने उसे आगाह भी किया था कि मीति तुम एक रईस पिता की बेटी हो, मैं तो बिल्कुल साधारण परिवार से हूं, जहां मुश्किल से गुज़र-बसर होती है, लेकिन मीति तो मधुर के प्यार में डूब चुकी थी. वहकब मधुर के ख्यालों में भी बस गई थी वह यह जान ही नहीं पाया. मीति कभी नोट्स, तो कभी असाइनमेंट के बहाने उसके पास आ जाती, फिर कभी कॉफी, तो कभी आइसक्रीम, ये सब तो उसका मधुरके साथ नज़दीकियां बढ़ाने का बहाना था. अब मीति और मधुर क़ा इश्क कॉलेज में भी किसी से छिपा नहीं रह गया था. करोड़पति परिवार की इकलौती लाडली मीति कोपूरा विश्वास था कि मध्यवर्गीय परिवार के मधुर के कैंपस सेलेक्शन के बाद वह पापा को अपने प्यार से मिलवायेगी. मल्टीनेशनल कंपनी के ऊंचे पैकेज का मेल मिलते ही मधुर ने मीति को अपनी आगोश में ले लिया ऒर वह भावुक हो उठा, ”मीति, तुम तो मेरे जीवन मेंकी चांदनी हो, जो शीतलता भी देती है और चारों ओर रोशनी की जगमगाहट भी फैला देती है. जब हंसती हो तो मेरे दिल में न जानेकितनी कलियां खिल उठती हैं. बस अब मेरी जिंदगी में आकर मेरे सपनों में रंग भर दो.” मीति मधुर के प्यार भरे शब्दों में खो गई और लजाते हुए उसने अपनी पलकें झुका लीं और मधुर ने झट से उसकी पलकों को चूम लिया था. इस मीठी-सी छुअन से उसका पोर-पोर खिल उठा. वह छुई मुई सी अपने में सिमट गई. लेकिन इसी बीच मीति के पापा ने उसकी ख्वाहिश को एक पल में नकार दिया और मधुर को इससे दूर रहने का फरमान सुना दिया. मधुर उदास पराजित-सा होकर दूर चला गया. दोनों के सतरंगी सपनों का रंग बदरंग कर दिया गया था. मधुर ने अपना फ़ोन नंबर भी बदल दिया था और अपनी परिस्थिति को समझतेहुए मीति से सारे संबंध तोड़ लिये थे. मीति के करोड़पति पापा ने धूमधाम और बाजे-गाजे के साथ उसे मिसेज़ मेहुल पोद्दार बना दिया. उसका अप्रतिम सौंदर्य पति मेहुल केलिए गर्व का विषय था. समय के साथ वह जुड़वां बच्चों की स्मार्ट मां बन गई थी. पोद्दार परिवार की बहू बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमतीऔर अपने चेहरे पर खिलखिलाहट व मुस्कान का मुखौटा लगाए हुए अपने होने के एहसास और वजूद को हर क्षण तलाशती-सी रहती. उसे किसी भी रिश्ते में उस मीठी-सी छुअन का एहसास न हो पाता और वह तड़प उठती. सब कुछ होने के बाद भी वह खोई-खोई-सी…