Health Update

पीरियड्स में क्या है नॉर्मल, क्या है ऐब्नॉर्मल? (What is Normal & Abnormal in Periods?)

पीरियड्स में थोड़ी-बहुत तकलीफ़ होना नॉर्मल है, लेकिन तकलीफ़ ज़्यादा और बार-बार हो तो ये किसी हेल्थ प्रॉब्लम का संकेत हो सकता है. इसलिए ये जानना ज़रूरी है कि पीरियड्स में क्या नॉर्मल है और क्या ऐब्नॉर्मल, ताकि सही समय पर ज़रूरी क़दम उठाया जा सके.

पीरियड्स कभी-कभी बहुत ही पीड़ादायी होते हैं. पीरियड्स शुरू होने से पहले अधिकतर लड़कियों व महिलाओं को सिरदर्द, पेट में ऐंठन और दर्द की शिकायत होती है. पीरियड्स में ये सभी लक्षण होना सामान्य है. इसे पीएमएस यानी प्री-मेंस्ट्रूअल सिंड्रोम भी कहते हैं. इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी होते हैं, जो इस प्रकार से हैं-
* चिड़चिड़ापन
* अनिद्रा
* अधिक भूख लगना और वज़न बढ़ना
* पेडू, पीठ व कमर में दर्द होना
* पेडू पर दबाव पड़ना
* मुंहासे होना
* पेट फूलना
* स्तनों में भारीपन महसूस होना
* मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, थकान महसूस होना
* वॉटर रिटेंशन और सूजन आना
* दर्द के कारण एकाग्रता में कमी होना

सावधानियां: पीरियड्स में दर्द होने पर हल्की एक्सरसाइज़ करें. इससे ताज़गी का एहसास होता है.
* पेडू में दर्द होने पर गरम पानी की बोतल से सिंकाई करें.
* पीरियड्स के दौरान भारी सामान न उठाएं.

यह भी पढ़ें: वज़न घटाने के 25 ईज़ी टिप्स

क्या है ऐब्नॉर्मल पीरियड्स?
अनियमित व असामान्य मासिक धर्म का अर्थ है मासिक धर्म की अवधि में बदलाव आना. जब पीरियड्स महीने में एक से अधिक बार होने लगे या फिर 2-3 महीने में एक बार हो, तो उसे पीरियड्स का अनियमित होना कहते हैं.

किन कारणों से होते हैं पीरियड्स ऐब्नॉर्मल?
* पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)
* पेल्विक इंफ्लेमेट्री डिसीज़ (पीआईडी)
* प्री-मैच्योर ओवेरियन इंएफिशियंसी
* यूटेराइन ऐब्नॉर्मलिटीज़
* ईटिंग डिसऑर्डर, जैसे- एनोरेक्सिया, बुलिमिया आदि
* बहुत अधिक वज़न बढ़ना या कम होना
* बहुत अधिक एक्सरसाइज़ करना
* बर्थ कंट्रोल पिल्स
* भावनात्मक तनाव (इमोशनल स्ट्रेस)
* धूम्रपान और अल्कोहल का अधिक सेवन
* मेनोपॉज़
* एनीमिया

यह भी पढ़ें: किसी को न दें ये 8 चीज़ें, अपने क़रीबी को भी नहीं

ऐब्नॉर्मल पीरियड्स 3 तरह के होते हैं-
1. पीरियड्स न होना
2. हैवी पीरियड्स होना
3. पेनफुल पीरियड्स
ज़्यादातर महिलाएं अनियमित पीरियड्स की समस्या से पीड़ित होती हैं, लेकिन शर्म व झिझक के कारण इस विषय पर बात नहीं करतीं. कुछ स्थितियों में यह समस्या गंभीर बीमारियों का कारण बन जाती है, जो इस प्रकार से हैं-

पीरियड्स न होना (एमेनोरिया):
एमेनोरिया में 2 तरह की स्थिति होती है- प्राइमरी एमेनोरिया और सेकंडरी एमेनोरिया. प्राइमरी एमेनोरिया की स्थिति में लड़कियों को 15 साल तक की उम्र तक पीरियड्स शुरू नहीं होते या फिर प्यूबर्टी के संकेत दिखने के 3 साल बाद तक भी पीरियड्स आरंभ नहीं होते. प्राइमरी एमेनोरिया होने के कारण हैं- जेनेटिक ऐब्नॉर्मलिटीज़, हार्मोंस का असंतुलित होना और प्रजनन अंगों का पूरी तरह से विकसित न होना आदि.
सेकंडरी एमेनोरिया: हार्मोंस में गड़बड़ी होने के कारण भी सेकंडरी एमेनोरिया की समस्या होती है. इस स्थिति में लड़कियों को पीरियड्स तो नॉर्मल होते हैं, लेकिन अचानक 3 महीने या उससे अधिक समय तक के लिए बंद हो जाते हैं.
एमेनोरिया संबंधी अन्य कारण-
* तनाव
* बहुत अधिक वज़न बढ़ना या कम होना
* एनोरेक्सिया
* बर्थ कंट्रोल पिल्स रोकने पर
* ओवेरियन सिस्ट
* थायरॉइड होने पर
* अन्य मेडिकल कंडीशन, जिसके कारण हार्मोंस का स्तर प्रभावित हो.

सावधानियां: डॉक्टरी सलाह के अनुसार हार्मोन थेरेपी लें.
* यदि किसी बीमारी के ट्रीटमेंट के कारण पीरियड्स नहीं आ रहे हैं, तो पहले उस बीमारी का सही इलाज कराएं.
* डॉक्टर द्वारा बताए गए डायट चार्ट को फॉलो करें.
* एमेनोरिया के कारण इमोशनल स्ट्रेस का लेवल बढ़ जाता है. स्ट्रेस कम करने के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट टेकनीक को अपनाएं.
* स्ट्रेस लेवल को कम करने के लिए मेडिटेशन और रिलैक्सेशन एक्सरसाइज़ करें. स्ट्रेस लेवल कम होने पर मासिक चक्र अपने आप ही नॉर्मल हो जाते हैं.
* अल्कोहल और धूम्रपान से दूर रहें और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं.
* बहुत अधिक वज़न कम होना और एनोरेक्सिया जैसी बीमारियों से बचने के लिए ज़रूरी है कि हेल्दी बॉडी वेट मेंटेन करें.
* एमेनोरिया की स्थिति में हैवी एक्सरसाइज़ करने की बजाय मॉडरेट एक्सरसाइज़ प्रोग्राम को फॉलो करें.
* जिन महिलाओं व लड़कियों का वज़न बहुत ज़्यादा है, वे अपने वज़न को
कम करें.

यह भी पढ़ें: गर्म पानी पीने के चमत्कारी फ़ायदे

हैवी पीरियड्स होना (मेनोरेजिया):
इस स्थिति में नॉर्मल पीरियड्स की अपेक्षा बहुत अधिक ब्लीडिंग होती है और पीडियड्स की अवधि भी लंबी होती है. पीरियड्स के दौरान खून के बड़े-बड़े थक्के (क्लॉट्स) निकलते हैं. यही इसका मुख्य संकेत है. वैसे भी किशोरावस्था में हार्मोंस में असंतुलन होने के कारण हैवी ब्लीडिंग होती है, इसलिए लड़कियों में मेनोरेजिया की समस्या होना आम बात है.
किन कारणों से होता है मेनोरेजिया: शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन की मात्रा के बीच असंतुलन होने पर.
* थायरॉइड होने पर.
* यूटरस में फायब्रॉइड्स या पॉलिप्स होने पर.
* क्लॉटिंग डिसऑर्डर होने पर.
* योनि और सर्विक्स में जलन या संक्रमण होने पर

सावधानियां: यदि पीरियड्स 7 दिनों से ज़्यादा दिन तक आए, तो गायनाकोलॉजिस्ट से मिलें.
* यदि हैवी ब्लीडिंग हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.
* अधिक ब्लीडिंग होने के कारण यदि एनीमिया की समस्या हो, तो नियमित रूप से आयरन सप्लीमेंट्स लें.
* अपनी मर्ज़ी से दवाएं लेने की बजाय डॉक्टरी सलाह के अनुसार हार्मोनल दवाएं लें.
* यदि मेनोरेजिया में ड्रग्स ट्रीटमेंट से सफलता नहीं मिल रही हो, तो सर्जिकल ट्रीटमेंट भी करा सकती हैं.

यह भी पढ़ें: पर्सनल प्रॉब्लम्स: कंडोम के इस्तेमाल से प्राइवेट पार्ट में खुजली व जलन क्यों होती है?

अत्यंत पीड़ादायक पीरियड्स (डिसमेनोरिया):
यह दो तरह का होता है. प्राइमरी डिसमेनोरिया और सेकंडरी डिसमेनोरिया. प्राइमरी डिसमेनोरिया गर्भाशय में प्रोस्टग्लैंडीन नामक केमिकल का स्तर अधिक होने के कारण होता है, जिससे ऐंठन, सिरदर्द, पीठदर्द, मितली, जी घबराना, डायरिया और क्रैम्प्स की समस्या होती है. ये लक्षण 1-2 दिन तक तो रहते ही हैं.
सेकंडरी डिसमेनोरिया: इस स्थिति में यूटरस में पॉलिप्स और फायब्रॉयड के कारण, एंडोमीट्रिओसिस, पेल्विक इंफ्लेमेट्री डिसीज़ (पीआईडी) और एडिनोमायोसिस के कारण तेज़ दर्द (क्रैम्प्स) होता है. ये क्रैम्प्स प्रतिमाह 1-2 दिन तक तो रहते ही हैं.

सावधानियां: पीरियड्स के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द या ऐंठन होने पर गरम पानी की बॉटल या हीट पैड से सिंकाई करें.
* रोज़ाना व्यायाम करने से क्रैम्प्स को कम किया जा सकता है.
* प्राइमरी डिसमेनोरिया की स्थिति में डॉक्टर द्वारा बताई दवाएं लें.
* सेकंडरी डिसमेनोरिया की स्थिति में यदि क्रैम्प्स 3 दिन से अधिक हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.
* अल्कोहल और धूम्रपान का अधिक सेवन करने से पीरियड्स क्रैम्प्स और तेज़ होते हैं. इसलिए इन्हें नज़रअंदाज़ करें.
* पीरियड्स के दौरान तनावरहित रहें.

किन स्थितियों में मिलें डॉक्टर से?
* यदि पीरियड्स 15 साल तक की उम्र तक शुरू न हुए हों.
* पीरियड्स शुरू होने के 3 साल बाद यदि पीरियड्स रेग्युलर न हों.
* जब पीरियड्स 21 दिन से पहले आएं या फिर 35 दिन के बाद आएं.
* जब पीरियड्स अचानक रुक जाए.
* शुरुआत में पीरियड्स नॉर्मल थे, लेकिन कुछ समय बाद अनियमित या बंद हो गए हों.
* हैवी और 7 दिन से ज़्यादा ब्लीडिंग होने पर.
* पेनफुल पीरियड्स होने पर.
* पीरियड्स के दौरान उल्टी और जी घबराने पर.
* बर्थ कंट्रोल पिल्स बंद करने के दो महीने बाद भी यदि पीरियड्स न आए.
* प्रेग्नेंसी की संभावना होने पर.
* यदि पीरियड्स के संबंध में कोई सवाल हो.

– पूनम शर्मा

यह भी पढ़ें: वेट लॉस टिप ऑफ द डे (Weightloss Tip Of The Day)
Meri Saheli Team

Share
Published by
Meri Saheli Team

Recent Posts

पंचतंत्र कहानी- ईमानदारी (Panchtantra Story- Imandari)

"कहा न मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं. ईमानदारी के चक्कर में ही तो मुझे मजदूरी…

September 13, 2025

PRATIK GABA: The Architect Of India’s High-Octane Nightlife And Luxury Experiences

In the ever-evolving world of upscale nightlife and experiential luxury, Pratik Gaba is a name…

September 13, 2025

‘रागिनी MMS 2’ एक्ट्रेस करिश्मा शर्मा हुई घायल, चलती ट्रेन से कूदी एक्ट्रेस के सिर और पीठ पर लगी चोट (Ragini MMS-2 Karishma Sharma Injured In Horrible Train Accident)

इंडस्ट्री में अपनी बोल्डनेस का तड़का लगाने वाली रागिनी MMS 2 एक्ट्रेस करिश्मा शर्मा (Ragini…

September 12, 2025

पहला अफेयर: काश!.. (Love Story- Kash!..)

... ऐसे ना जाने कितने काश थे, पर काश.. तो काश ही है... सोचा था…

September 12, 2025
© Merisaheli