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जब पैसों के लिए ट्रैफिक सिग्नल पर च्युइंगम बेचने पर मजबूर हुए थे मधुर भंडारकर, फिर ऐसे बने फिल्म मेकर (When Madhur Bhandarkar was Forced to sell Chewing Gum at a Traffic Signal for Money, Know How He Became a Filmmaker)

बॉलीवुड इंडस्ट्री में वैसे तो ढेरों डायरेक्टर हैं, लेकिन बहुत कम ही ऐसे निर्देशक हैं जिनकी फिल्मों ने दर्शकों के दिलों को छू लिया हो. बॉलीवुड के उन्हीं चंद डायरेक्टर्स में से एक हैं मधुर भंडारकर, जिनकी लगभग सभी फिल्में दर्शकों को बेहद पसंद आती हैं. उनके करियर में ऐसे सुनहरा दौर भी आया था, जब उनकी फिल्मों को लेकर लोगों में अलग ही क्रेज़ देखने को मिलता था. मधुर भंडारकर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वो मौजूदा सब्जेक्ट्स को बेहद खूबसूरती से फिल्मों के ज़रिए दर्शकों तक पहुंचाते हैं. हालांकि उनकी लाइफ में ऐसा मुश्किल दौर भी आया था, जब पैसों के लिए उन्हें ट्रैफिक सिग्नल पर च्युइंगम तक बेचना पड़ा था, फिर वो फिल्म मेकर कैसे बने? आइए जानते हैं उनका दिलचस्प सफर…

जी हां, मधुर भंडारकर की गिनती बॉलीवुड के मशहूर निर्देशकों में होती है, लेकिन एक दौरा ऐसा भी रहा है, जब उन्हें ट्रैफिक सिग्नल पर च्युइंगम बेचना पड़ा था. इसके अलावा उन्हें कैसेट की दुकान पर भी काम करना पड़ा था. छोटे मोटे काम करने के बाद जब उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा तो अपने टैलेंट से हर किसी को अपना मुरीद बना लिया. यह भी पढ़ें: रीना दत्ता से शादी के लिए आमिर खान ने खर्च किए थे कितने रुपए? कुल रकम जानकर दंग रह जाएंगे आप (How much money did Aamir Khan spend to marry Reena Dutta? You will be stunned to know the total Amount)

मधुर भंडारकर का जन्म 26 अगस्त 1968 को मुंबई के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. उनका बचपन बेहद गरीबी में गुज़रा. बताया जाता है कि उनके घर के हालात इतने खराब थे कि उन्हें छठी कक्षा में अपनी पढ़ाई तक छोड़नी पड़ी थी, फिर अपने परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के चलते उन्हें ट्रैफिक सिग्नल पर च्युइंगम बेचना पड़ा, लेकिन हर गुज़रते वक्त के साथ वह लगातार कुछ न कुछ सीखते रहे.

ट्रैफिक सिग्नल पर च्युंगम बेचने का काम करने के बाद उन्होंने एक कैसेट स्टोर पर भी नौकरी की. उस दौरान उन्होंने कई सारी कैसेट देखी और बाद में कैसेट का कारोबार करते हुए उन्होंने करीब 1700 कैसेट जुटा लिए. इन कैसेट की मदद से वो फिल्म मेकिंग की बारीकियों को समझने लगे. उसी दौरान उन्होंने कई छोटे डायरेक्टर्स के साथ काम करना शुरु किया और फिर उन्हें राम गोपाल वर्मा के साथ असिस्टेंट के तौर पर काम करने का मौका मिला.

फिल्मी दुनिया में कदम रखने और कई डायरेक्टर्स के साथ काम करने के बाद उन्होंने बतौर डायरेक्टर अपनी पहली फिल्म ‘त्रिशक्ति’ बनाई, लेकिन उनकी पहली ही फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से फ्लॉप हो गई, जिसकी वजह से लोग उनसे बचने लगे, फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी गलतियों से सबक लेते हुए आगे बढ़ते रहे. यह भी पढ़ें: आखिर क्यों साथ काम नहीं कर सकते शाहरुख खान और अक्षय कुमार, खुद किंग खान ने किया था वजह का खुलासा (Why Shahrukh Khan and Akshay Kumar can’t Work Together, King Khan Himself Revealed the Reason)

इसके बाद मधुर भंडारकर ने मुंबई की गलियों और सड़कों पर भटकने के अपने एक्सपीरियंस का इस्तेमाल करते हुए फिल्म ‘चांदनी बार’ बनाई, जो न सिर्फ दर्शकों को खूब पसंद आई, बल्कि इसे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला. इसके बाद तो उन्हें फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा और उन्होंने अपने करियर में ‘ट्रैफिक सिग्नल’, ‘पेज 3’ और ‘फैशन’ जैसी कई बेहतरीन फिल्में बनाई. (फोटो सौजन्य: इंस्टाग्राम)

Merisaheli Editorial Team

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