Categories: Parenting Q&AOthers

ऑनलाइन पढ़ाई के दौर में ज़रूरी है बच्चों के लिए डिजिटल डिटॉक्स? (Why Digital Detox Is Necessary For Children Doing Online Education?)

कोरोना काल में एक नया शब्द आजकल काफी सुनने में आ रहा है डिजिटल डिटॉक्स. डिजिटल यानी इलेट्रॉनिक्स उपकरण (मोबाइल, टेबलेट, लैपटॉप आदि). डिटॉक्स का अर्थ तो हम सभी जानते हैं कि शरीर में जमा विषैले पदार्थों को बाहर निकालना. इस प्रकार से डिजिटल डिटॉक्स का अर्थ है इलेट्रॉनिक्स उपकरणों से दूरी बनाना. ऑनलाइन पढ़ाई के दौर में जहां बच्चे कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल, टेबलेट के जरिए 6-7 घंटे पढाई कर रहे हैं, लेकिन उसके अलावा इन इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस पर घंटों गेम खेलते और मूवी देखते हुए समय बिताना  उनकी सेहत को नुक़सान पंहुचा रहा है. इसलिए जरूरी है कि उनका डिजिटल डिटॉक्सिफिकेशन किया जाए. आइए, हम बताते हैं कैसे?

कब होती है बच्चों को डिजिटल डिटॉक्स की जरूरत?

– जब पैरेंट्स को अपने बच्चों के व्यवहार में बदलाव महसूस होने लगे.

– यदि बच्चे बात-बात पर गुस्सा करने लगे.

– छोटी-छोटी बातों पर बच्चे आक्रमक होने लगे.

– बच्चों के स्वभाव में चिड़चिड़ापन या झुंझलाहट जब पैरेंट्स को महसूस हो.

– इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइसेस के कारण जब बच्चे परिवार को नज़रअंदाज़ करने लगे.

– बच्चे जब आवश्यकता से अधिक समय इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइसेस पर बिताने लगे.

शोध में भी बताया गया है

.अमेरिकन अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने पिछले कुछ सालों में अपने निर्देशों में बदलाव किया है. बहुत साल पहले अकादमी ने अपने निर्देशों में बताया था कि बच्चों का स्क्रीन टाइम प्रतिदिन दो घंटे होना चाहिए, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में नई-नई चीजें आने से ये दो घंटेवाली समय-सीमा कम पड़ने लगी है. अगर बच्चा पढाई स्मार्टफोन, मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर और टेबलेट का इस्तेमाल करता है, तो पैरेंट्स उसका स्क्रीन टाइम कम नहीं कर सकते हैं.

बच्चों के लिए जरूरी है डिजिटल डिटॉक्स?

पढाई के दौर में डिजिटल मीडिया परिवारों पर इतना हावी हो गए है कि उनकी ज़िंदगी मोबाइल, लैपटॉप, टेबलेट आदि तक सीमित होकर रह गई है. बच्चे सारा दिन इलेट्रॉनिक्स उपकरणों के सामने बैठे रहते हैं, जिसकी वजह से वे बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कटकर अलग होते जा रहे हैं. अगर बच्चा ऑनलाइन पढाई के अतिरिक्त मूवी या गेम्स  के लिए  सारा इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइसेस सामने बैठा रहता है. तो उसे डिजिटल डिटॉक्स यानी इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन से ब्रेक लेने की बहुत जरूरत है. कुछ हेल्दी हैबिट्स काफी अपनाकर पैरेंट्स अपने बच्चों का डिजिटल डिटॉक्स कर सकते हैं.

हेल्दी  हैबिट्स, जो पैरेंट्स को डिजिटल डिटॉक्स के बारे में जाननी चाहिए

  1. एक अध्ययन के अनुसार, एक बच्चा औसतन रोज़ाना सात घंटे इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस का इस्तेमाल करता है. इस टाइम के अलावा अगर बच्चा घंटों तक वीडियो गेम्स खेलता है या प्रतिदिन घंटों टीवी देखता हैं, तो उसे डिजिटल डिटॉक्स की आवश्यकता है. बच्चे का मनोरंजन या टाइम पास करने के लिए पैरेंट्स उसे अन्य विकल्प दे सकते हैं.

2. इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों का बहुत अधिक इस्तेमाल करने से बच्चे के स्वभाव में आक्रामकता और गुस्सा झलक रहा है, तो यह पैरेंट्स के लिए खतरनाक संकेत हैं. इसका मतलब है कि उसे डिजिटल डिवाइसेस से दूर रहने की आवश्यकता है.

3. डिजिटल डिटॉक्स के दौरान बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों से होनेवाले शारीरिक और मानसिक नुक़सान के बारे में बताएं. ये इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण सेहत को कितनी हानि पहुंचाते  हैं. ऐसा करने बच्चों के व्यवहार में धीरे-धीरे बदलाव आने लगेगा.   

4. डिजिटल डिटॉक्स कारण बच्चों और पैरेंट्स में एक-दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिताने आदत विकसित होती है.

     5. इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों से दूरी बच्चों को अनुशासित और आज्ञाकारी बनाती है और परिवार के करीब ले जाने में मदद करती है.

6. आउटडोर गेम्स खेलने से बच्चों में प्रॉब्लम सॉल्विंग, क्रिएटिविटी और सेफ्टी स्किल विकसित होती है.

7. एक अन्य अध्ययन से यह बात सामने आई है कि जब-जब नई तकनीक यानी नए-नए वीडियो गेम्स और मूवी आदि आती हैं, तो बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ने लगता है और उन्हें इस्तेमाल करने का तरीका भी बदलने लगता है, जैसे- टेक्नोलॉजी के दौर में बच्चे ऑनलाइन पढाई के साथ-साथ अपने हर छोटे- बड़े काम के स्मार्टफोन, टेबलेट, लैपटॉप और कंप्यूटर का इस्तेमाल करना सीख गए हैं.

8. कंप्यूटर, मोबाइल और लैपटॉप के कारण बच्चे आउटडोर गेम्स खेलने से बचने लगे हैं, जिसकी वजह से उनमें आक्रमकता, गुस्सा, मोटापा, एकाग्रता की कमी जैसे समस्याएं होने लगी है. आउटडोर गेम्स खेलने से बच्चों की शारीरिक गतिविधियां बढ़ती हैं और वे शारीरिक तौर पर फिट रहते हैं. उनमें तनाव का असर कम होता है

 बच्चों के लिए ही नहीं पैरेंट्स के लिए जरूरी है डिजिटल डिटॉक्स

   – टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल के कारण डिजिटल डिटॉक्स न केवल बच्चों के लिए बल्कि पैरेंट्स के लिए भी आवश्यक है. ऐसा करने से पैरेंट्स और बच्चे के बीच बॉन्डिंग मजबूत होती है.

– बच्चों का डिजिटल डिटॉक्सिफिकेशन यानी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस से दूरी बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि पहले पैरेंट्स बच्चों का माइंड सेट करें. उनको यह समझाएं कि डिजिटल डिटॉक्सिफिकेशन क्यों जरूरी है? इसके क्या-क्या नुक़सान हो सकते हैं. जब बच्चों को यह बात बिलकुल साफ़तौर पर समझ आ जाएगी, तो वे खुद-ब-खुद अपना डिजिटल डिटॉक्स करना शुरू कर देंगे.

– बच्चों का डिजिटल डिटोक्सिफिकेशन करने के लिए पैरेंट्स चाहें तो अपने मोबाइल पर ऐप भी डाउनलोड कर सकते हैं. इन ऐप्स की मदद से पैरेंट्स यह जान सकते हैं कि आपके बच्चे ने मोबाइल, टेबलेट, लैपटॉप और कंप्यूटर पर कितना समय बिताया है.एक तरह से ये ऐप्स पैरेंट्स को समय-समय पर अलर्ट करते रहेंगे.

  – टेक्नोलॉजी के इस दौर में बहुत जल्दी-जल्दी डिजिटल डिटॉक्सिफिकेशन करना संभव नहीं है. डिजिटल डिटॉक्सिफिकेशन करने के लिए चार-पांच दिन तो इलेट्रॉनिक डिवाइस से दूर नहीं रहा जा सकता है, लेकिन सप्ताह में एक-दो दिन इलेट्रॉनिक डिवाइस को अनप्लग या ऑफ करके डिजिटल डिटॉक्सिफिकेशन जरूर किया जा सकता है. बच्चे ही नहीं पैरेंट्स भी हर वीकेंड पर इलेक्ट्रॉनिक फ्री वीकेंड मनाएं.

– बच्चे और पैरेंट्स मिलकर डिजिटल डिटॉक्स करने की सोच रहे हैं, तो इलेट्रॉनिक फ्री वीकेंड पर अपने फेसबुक, व्हाट्सएप और मेल का नोटिफिकेशन ऑप्शन टर्न ऑफ कर दें. ऐसा करने से आपका ध्यान नोटिफिकेशन पर नहीं जाएगा और न ही आप बार नोटिफिकेशन चेक करेंगे.

– पैरेंट्स की जिम्मेदारी है कि बच्चों के रोल मॉडल बनें, यदि वे बच्चों के सामने खुद मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप का इस्तेमाल करेंगे तो उनको तो बच्चों को डिजिटल डिटॉक्स समझ नहीं आएगा. बेहतर होगा कि उनके साथ बैठकर डिजिटल डिटॉक्स को डिस्कस करें और डिजिटल फ्री वीकेंड मनाएं.

 डिजिटल डिटॉक्स करने के लिए पैरेंट्स कुछ ऐसी प्लानिंग करें?

– फैमिली के साथ हॉलिड, कैंपिंग ट्रिप या ऐसी जगह पर जाएं, जहाँ टेक्नोलॉजी से दूर रहें और फैमिली के साथ समय व्यतीत करें. जब आप इलेट्रॉनिक डिवाइसेस से दूर रहते हैं, तो अपने परिवार के साथ अच्छा समय बिताते हैं.

– पैरेंट्स और बच्चे मिलकर इलेक्ट्रॉनिक फ्री वीकेंड का नियम बनाएं.

– महीने का पहला या चौथा शनिवार/रविवार फैमिली डे रूप में मनाएं. इन दिन को भी “डिजिटल डिटॉक्स डे” के तौर पर सेलिब्रेट करें.

– जरूरी नहीं कि कोई दिन फिक्स करें, जब आपका मन करें तब भी बच्चों के साथ मिलकर डिजिटल डिटॉक्स की प्लानिंग करें.  

– देवांश शर्मा

और भी पढ़ें: बच्चे की इम्युनिटी को कमज़ोर करती है उसकी ये 8 बुरी आदतें (8 Habits That Can Weaken A Child’s Immunity)

Poonam Sharma

Share
Published by
Poonam Sharma

Recent Posts

बोल्ड एंड ब्यूटीफुल मौनी रॉय, देखें तस्वीरें और वीडियो… (Bold And Beautiful Mouni Roy, See Beautiful Photos And Video)

अपने ख़ूबसूरत अंदाज़ और आकर्षक स्टाइल के लिए मशहूर हैं मौनी रॉय. वेस्टर्न आउटफिट हो…

March 11, 2025

Experience the Magic: Pratik Gaba Entertainment Presents Renowned Street Artist & DJ Alec Monopoly Mumbai & Delhi Tour

Pratik Gaba bought the renowned street artist and dj Alec monopoly to India. For an…

March 11, 2025

दीपिका कक्कर तिचं पहिलं लग्न आणि घटस्फोट याबद्दल झाली व्यक्त (Dipika Kakar Reacts On Daughter From First Marriage)

‘ससुराल सिमर का’ फेम दीपिका कक्कर तिच्या वैयक्तिक आयुष्यामुळे चर्चेत असते. दीपिकाने ७ वर्षांपूर्वी अभिनेता…

March 11, 2025

रिश्तों में परफेक्शन नहीं, ढूंढ़ें कनेक्शन (Relationship Isn’t About Chasing Perfection, It’s About Finding Connetion)

हम सभी अपने रिश्ते को परफेक्ट बनाना चाहते हैं, जिसके लिए हम अपने लिए ढूंढ़ना…

March 11, 2025

लघुकथा- दहलीज़ का बंधन… (Short Story- Dahleez Ka Bandhan…)

"जो लौट रहा है वो इस घर का बेटा है, भाई है. मेरा रिश्ता तो…

March 11, 2025
© Merisaheli