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जानें महिलाओं के सुरक्षा क़ानून के बारे में (Women’s Rights And Self Defence Laws In India)

महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों को ध्यान में रखते हुए यह बहुत ज़रूरी है कि वो अपने सुरक्षा से जुड़े क़ानून और अधिकारों के प्रति जागरूक रहें. यहां हमने महिला सुरक्षा से जुड़े सेल्फ डिफेंस क़ानून के बारे में जानकारी देने की कोशिश की है, जिससे आज भी बहुत-सी महिलाएं अनभिज्ञ हैं.

मजबूरी कहें या बेबसी, आज भी बहुत-सी महिलाएं अपने ख़िलाफ़ हो रहे अपराध को सहती रहती हैं, क्योंकि उन्हें अपने सेल्फ डिफेंस और सुरक्षा क़ानून के बारे में पता ही नहीं होता. हमारे देश का क़ानून सभी को सेल्फ डिफेंस का अधिकार देता है, पर महिलाओं को विशेषतौर पर अतिरिक्त अधिकार मिले हैं, जिससे कोई उनकी मजबूरी का फ़ायदा न उठा सके.

क्या है सेल्फ डिफेंस का क़ानून?

मूल सिद्धांतों के अनुसार, हर व्यक्ति का पहला कर्त्तव्य ख़ुद की मदद करना है और अगर ऐसे में स्वयं की रक्षा के लिए उसे किसी और को चोट भी पहुंचानी पड़े, तो वह अपराध नहीं माना जाएगा. प्राइवेट डिफेंस के बारे में भारतीय दंड संहिता के सेक्शन्स 96 से लेकर 106 तक में विस्तारपूर्वक बताया गया है. हर नागरिक को ख़ुद को बचाने का अधिकार है, लेकिन उसकी भी एक मर्यादा है.

किन स्थितियों में मान्य होगा सेल्फ डिफेंस?

–     इसके लिए सबसे ज़रूरी है, ख़तरा या डर. अगर आप ख़तरा भांप लें कि कोई आपको जान से मार सकता है, आपका बलात्कार कर सकता है, आपको किडनैप कर सकता है, आपको गंभीर चोट पहुंचा सकता है, तो आप अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं.

–     अगर आपको ख़तरा महसूस हो कि कोई आपकी प्रॉपर्टी को नुक़सान पहुंचा सकता है, उसे लूट या चुरा सकता है या फिर ज़बर्दस्ती आपके घर में घुसने की कोशिश कर सकता है, तो यह अधिकार मान्य होगा.

–     अगर आपके पास पुलिस या किसी सरकारी अधिकारी को सूचित करने का कोई साधन मौजूद न हो, तो ऐसे में अपनी सुरक्षा के लिए उठाया गया आपका कदम जायज़ माना जाएगा.

क्या है इस अधिकार की सीमा?

इस अधिकार की कुछ सीमाएं हैं. क़ानून में साफ़-साफ़ लिखा है कि आपका बचाव हमले के अनुरूप होना चाहिए, न कम, न ज़्यादा. इसे कुछ उदाहरण से समझते हैं-

–     ए ने बी पर चाकू से हमला किया, जिसके बचाव में बी ने धारदार हथियार का इस्तेमाल कर उसे मार दिया, तो यह मान्य होगा.

–     ए ने बी को धक्का मारा और कई तमाचे मारे, तो बचाव में बी ने भी ए को पीट दिया, यह भी सही है.

–     ए ने बी को कई तमाचे मारे, लेकिन बी ने ए को जान से मार दिया, यह मान्य नहीं होगा, क्योंकि तमाचे के लिए आप उसे चोट पहुंचा सकते हैं, पर उससे आपको जान का ख़तरा नहीं, इसलिए जान से नहीं मार सकते.

–     कोर्ट हमला करनेवाले का इरादा, बचाव करनेवाले का इरादा, हमला किस तरह किया गया आदि तथ्यों को ध्यान में रखकर ही फैसला लेता है.

यह भी पढ़ें: इन क़ानूनी शब्दों को कितना समझते हैं आप? (Legal Terms Everyone Must Know About Indian Law)

बलात्कार व सेल्फ डिफेंस

– अपने शरीर की सुरक्षा आपकी अपनी ज़िम्मेदारी है. सेक्शन 96 और 97 के अनुसार, अगर किसी महिला को परिस्थितियों को देखते हुए यह ख़तरा महसूस हो कि सामनेवाला व्यक्ति उसका बलात्कार कर सकता है, तो उस महिला को पूरा अधिकार है कि वह अपने बचाव के लिए उस व्यक्ति पर हमला करे.

–     सेक्शन 100 के अनुसार, अगर बलात्कार से ख़ुद को बचाने के लिए आप किसी पर जानलेवा हमला करती हैं, जिससे उसकी मौत हो जाती है, तो यह सेल्फ डिफेंस माना जाएगा.

किडनैपिंग और सेल्फ डिफेंस

–     अगर किसी महिला को कोई किडनैप कर रहा हो या फिर ज़बर्दस्ती किसी जगह पर बांधकर रखना चाहता हो या फिर ऐसी जगह पर रखने की कोशिश करे, जहां से वह किसी से संपर्क न कर पाए, तो ऐसी स्थिति में महिला को अधिकार है कि वह अपने बचाव के लिए उस व्यक्ति पर हमला कर सकती है.

–     ऐसे मामलों में ज़रूरी नहीं कि महिला स़िर्फ बचाव करे या विरोध करे, बल्कि उसे पूरा अधिकार है कि वह हमलावर/ख़तरे को ख़त्म करे.

एसिड अटैक में सेल्फ डिफेंस

अगर किसी महिला को यह ख़तरा महसूस हो कि सामनेवाला व्यक्ति उसके चेहरे या शरीर के किसी अन्य हिस्से पर एसिड से हमला करनेवाला है, तो वह महिला अपने बचाव में उस व्यक्ति पर हमला कर सकती है. बचाव के दौरान अगर हमलावर की मौत हो जाए, तो यह हत्या की श्रेणी में नहीं आएगा.

बचें फेक न्यूज़ से

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक मैसेज बहुत वायरल हो रहा था, जिसमें लिखा था कि- ‘मोदी सरकार ने आज ही एक ऐसा क़ानून पारित किया है, जिसके अनुसार आईपीसी के ‘सेक्शन 233’ के तहत अगर किसी महिला को यह शक हो जाए कि उसका बलात्कार हो सकता है या फिर अगर वह बलात्कार की शिकार हो चुकी है, तो उसे पूरा अधिकार है कि वह बलात्कारी को जान से मार डाले, उसके प्राइवेट पार्ट को घायल करे या फिर उसे गंभीर चोट पहुंचाए और इसके लिए उसे हत्या का दोषी नहीं ठहराया जा सकता.’ आपको बता दें कि यह मैसेज पूरी तरह फेक है. ऐसा कोई नया क़ानून नहीं बना है और आईपीसी की धारा 233 में बलात्कार का कोई ज़िक्र नहीं आता, बल्कि यह धारा नकली सिक्के बनाने और बेचने के अपराध के बारे में है.

–     सोशल मीडिया पर आए दिन ऐसे कई ग़लत मैसेज वायरल होते रहते हैं, इसलिए बिना सोचे-समझे कोई भी मैसेज फॉरवर्ड न करें. ख़ुद के साथ साथ दूसरों को भी सुरक्षित रखें.

घरेलू हिंसा से सुरक्षा

हर महिला को पता होना चाहिए कि घरेलू हिंसा से सुरक्षा क़ानून के तहत सरकार हर ज़िले में प्रोटेक्शन ऑफिसर की नियुक्ति करती है, जो पीड़िता की मदद करते हैं. अगर आप घरेलू हिंसा की शिकार नहीं हुई हैं, लेकिन आपको ऐसा ख़तरा महसूस हो रहा है कि आपके साथ ऐसा कुछ हो सकता है, तब भी आप प्रोटेक्शन ऑफिसर की मदद ले सकती हैं. वो आपको अपने अधिकारों व सेफ्टी रूल्स के बारे में गाइड कर सकते हैं, जिससे भविष्य में होनेवाले किसी भी ख़तरे को आप टाल सकती हैं.

सेक्सुअल हैरेसमेंट से सुरक्षा

आईपीसी की धारा 354ए सेक्सुअल हैरेसमेंट के ख़िलाफ़ सबसे महत्वपूर्ण सेक्शन है. इसमें गंदी नीयत से किसी महिला को छूना, शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव डालना, अश्‍लील वीडियो या मैसेज दिखाना या फिर अश्‍लील कमेंट करना या मैसेज भेजने जैसे अपराध शामिल हैं. इसके लिए दोषी को एक से तीन साल तक की सज़ा का प्रावधान है.

अस्मिता भंग करने की कोशिश करना

आईपीसी की धारा 354बी के तहत अगर कोई पुरुष ज़बर्दस्ती किसी महिला को नग्न अवस्था में देखता है, उसके कपड़े उतारता है या उतारने के लिए उकसाता है, तो उसे पांच से सात साल तक की सज़ा हो सकती है.

बिना अनुमति फोटो खींचना

अगर कोई व्यक्ति किसी महिला का अश्‍लील वीडियो बनाता है या उसकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ फोटो खींचता है, तो आईपीसी की धारा 354 सी के तहत उसे एक से तीन साल तक की सज़ा हो सकती है.

स्टॉकिंग से सुरक्षा

अगर कोई व्यक्ति लगातार किसी महिला का पीछा करता है, तो स्टॉकिंग के लिए उसे तीन से पांच साल तक की सज़ा हो सकती है. स्टॉकिंग किसी और बड़े अपराध की साज़िश के तहत भी हो सकती है, इसलिए जैसे ही आपको शक हो कि कोई आपका लगातार पीछा कर रहा है, तो तुरंत अलर्ट हो जाएं. उस व्यक्ति के ख़िलाफ़ एक्शन लें और कभी भी स्टॉकिंग को अनदेखा न करें.

दूसरों की मदद से न हिचकिचाएं

बहुत-से लोग अपने सामने अपराध होते हुए देखते रहते हैं, पर क़ानूनी चक्कर में फंसने के डर से आगे नहीं आते. आपको बता दें कि अगर कोई अपराधी किसी महिला या पुरुष के साथ अपराध को अंजाम देने की कोशिश कर रहा हो, तो आम नागरिक होने के नाते आपको यह अधिकार है कि आप उसकी सुरक्षा के लिए हमलावर पर हमला कर सकते हैं. प्राइवेट डिफेंस का क़ानून आपको यह अधिकार देता है कि आप अपने साथ-साथ दूसरों की भी रक्षा कर सकते हैं.

– अनीता सिंह

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Aneeta Singh

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