tax savings
इंश्योरेंस से लेकर फिक्स्ड डिपॉज़िट, होम लोन और निवेश के अन्य विकल्पों के अलावा भी आप टैक्स बचा सकते हैं, बशर्ते आपकी पत्नी वर्किंग हो. वर्किंग वाइफ से कैसे होगी डबल टैक्स सेविंग? जानने के लिए हमने बात की चार्टर्ड अकाउंटेंट उमाशंकर यादव से.
शिक्षा ख़र्च
आयकर अधिनियम (इनकम टैक्स एक्ट) की धारा 80सी के तहत एक व्यक्ति किसी विश्वविद्यालय, स्कूल और शैक्षणिक संस्थान में किए गए ख़र्च पर टैक्स छूट का फ़ायदा उठा सकता है. छूट की सीमा एक लाख रुपए है. हालांकि ये छूट केवल दो बच्चों के लिए ही उपलब्ध है, लेकिन पत्नी यदि वर्किंग है और दो से ज़्यादा बच्चे हैं, तो पत्नी भी टैक्स छूट का फ़ायदा क्लेम कर सकती है, क्योंकि बच्चों की सीमा प्रति करदाता (टैक्स अदा करने वाला) पर निर्भर करती है न कि प्रति परिवार पर. यदि आपके दो बच्चे हैं और शिक्षा का ख़र्च सालाना एक लाख रुपए से ज़्यादा है, तो पति-पत्नी इस ख़र्च को आपस में बांटकर एक लाख की सीमा को बनाए रखकर टैक्स बचा सकते हैं.
सेहत से जुड़े ख़र्च
आयकर अधिनियम की धारा 80डी के मुताबिक, एक करदाता मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान पर 15000 रुपए तक की टैक्स छूट का फ़ायदा उठा सकता है. हालांकि आजकल स्वास्थ्य संबंधी ख़र्चों को देखते हुए मेडिकल इंश्योरेंस पर 15000 रुपए की टैक्स छूट की सीमा बहुत कम है. इतना ही नहीं, 15000 रुपए की टैक्स छूट में से 5000 रुपए की छूट प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप पर मिलती है यानी आपको वास्तविक टैक्स छूट केवल 10000 रुपए की ही मिल रही है. ऐसे में वर्किंग वाइफ होने पर आपको ज़्यादा फ़ायदा मिलेगा. इसके लिए आपको पॉलिसी की ख़रीददारी और प्रीमियम का भुगतान इस तरह करना होगा कि ख़र्च दोनों में बंट जाए और आप दोनों को ही टैक्स छूट का फ़ायदा मिले.
लोन रिपेमेंट के फ़ायदे
धारा 80सी के तहत एक करदाता कई आइटम पर टैक्स छूट का फ़ायदा क्लेम कर सकता है. इसके अंतर्गत लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, प्रोविडेंट फंड, हाउसिंग लोन के रिपेमेंट पर ज़रूरी छूट का फ़ायदा उठाया जा सकता है. प्रॉपर्टी की क़ीमतों में काफ़ी इज़ाफा हुआ है. ऐसे में होम लोन के रिपेमेंट के ज़्यादातर मामलों में प्रिंसिपल अमाउंट (मूलधन) एक लाख रुपए से ज़्यादा होता है, जबकि आपको एक लाख रुपए मूलधन तक ही टैक्स छूट मिलती है. ऐसे में यदि पत्नी कामकाजी और प्रॉपर्टी की को-ओनर है, तो आपको ज़्यादा टैक्स बेनिफिट मिल सकता है.
हाउस प्रॉपर्टी के संबंध में फ़ायदे
यदि आपके पास एक मकान है जिसका इस्तेमाल आप ख़ुद कर रहे हैं, तो ऐसे में आपको कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा, लेकिन आपयदि एक से ज़्यादा प्रॉपर्टी का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको नोशनल रेंट के आधार पर टैक्स देना होगा, भले ही आपको प्रॉपर्टी से कोई किराया न मिल रहा हो. इस स्थिति में यदि पत्नी भी वर्किंग है, तो दूसरी प्रॉपर्टी पत्नी के नाम की जा सकती है. पति और पत्नी के बीच दो प्रॉपर्टी को सेल्फ ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी की श्रेणी में डाला जा सकता है और इस पर कोई नोशनल रेंट भी नहीं देना पड़ेगा. ठीक इसी तरह टैक्स क़ानून के अंतर्गत, एक रेज़िडेंशियल प्रॉपर्टी पर वेल्थ टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है. यदि करदाता एक से ज़्यादा रेज़िडेंशियल प्रॉपर्टी हासिल कर लेता है, तो उसे दूसरे घर के मूल्य पर वेल्थ टैक्स चुकाना पड़ता है, लेकिन दूसरा घर पत्नी के नाम पर करने पर इससे बचा जा सकता है.
महिलाओं को टैक्स बेनिफिट
* महिलाओं को बिज़नेस या प्रोफेशनल कार्यों के लिए दिए गए कैश पेमेंट पर टैक्स छूट मिलती है. आयकर नियम की धारा 6डीडी के तहत महिलाओं को रोज़ाना 20,000 रुपए तक के कैश पेमेंट पर टैक्स छूट मिल सकती है.
* महिलाएं अगर चैरिटेबल शिक्षण संस्था खोलना चाहती हैं, तो ऐसे शिक्षण संस्था की आय पर टैक्स नहीं लगेगा. साथ ही इस संस्था के लिए लोन लिया है तो इसके ब्याज़ पर भी टैक्स छूट मिल सकती है.
* यदि किसी महिला को पुश्तैनी जायदाद मिलती है, तो इस संपत्ति को बेचने के बाद मिली रकम पर वह टैक्स बचा सकती है, बशर्ते पुरानी संपत्ति बेचकर आप रेज़िडेंशियल प्रॉपर्टी में ही निवेश करें.
– कंचन सिंह
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