ऑफिस में जब बॉस ही बायस्ड यानी पक्षपाती हो जाए, तो भला आप अपनी बात किससे कहेंगे? कैसा महसूस होता होगा आपको जब आपके सहकर्मी पर बॉस कुछ ज़्यादा ही मेहरबान होने लगे, उसकी ग़लतियों पर परदा डाले और उसके काम की लिस्ट को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने लगे. इन बातों से जहां आपके सहकर्मी के हौसले बुलंद होते हैं, वहीं आपका मनोबल गिरने लगता है. कैसे हैंडल करें इस सिच्युएशन को? आइए, जानते हैं.
परिस्थिति को समझने का प्रयास करें
जिस पल से आपको महसूस होने लगे कि आपके सहकर्मी के साथ बॉस की ट्यूनिंग ज़्यादा बढ़ रही है, उसी समय से प्रतिदिन उसकी गतिविधियों पर ध्यान देना शुरू कर दें. ऑफिस की स्थिति के साथ ही इस बात को समझने का प्रयास करें कि आख़िर ऐसा हुआ क्यों? क्या सच में आपका सहकर्मी कुछ दिनों से आपसे ज़्यादा काम करने लगा है या फिर बात कुछ और है. कई बार ऐसा भी होता है कि व्यक्तिगत कारणों से भी बॉस किसी एक सहकर्मी से ज़्यादा जुड़ जाता है. इसके चलते वो ऑफिस में खुलकर उसका पक्ष लेने से भी पीछे नहीं हटता.
क्या न करें?
तुरंत ग़ुस्सा ज़ाहिर न करें. कुछ दिन देखने के बाद सीधे अपने बॉस से बात करें. उनसे कहें कि ऑफिस के बदले माहौल के कारण आपका काम भी प्रभावित हो रहा है.
सकारात्मक बने रहें
जीवन में किसी भी काम में सफल होने के लिए बहुत ज़रूरी है कि आप हर पल अपने आप पर क़ाबू रखें और सकारात्मक बने रहें. माना बॉस का व्यवहार देखने के बाद आपको बहुत ग़ुस्सा आता है, काम में आपका मन नहीं लगता, लेकिन अपने ग़ुस्से पर क़ाबू रखें और ऑफिस में अपने व्यवहार को सकारात्मक बनाए रखें. बॉस या सहकर्मी के प्रति आपका नकारात्मक व्यवहार आपकी छवि बिगाड़ सकता है. बेहतर होगा कि दोनों के बारे में सोचने की बजाय आप अपने काम पर ध्यान देने की कोशिश करें.
क्या न करें?
भूलकर भी ग़ुस्से में सहकर्मी या बॉस से कोई ग़लत बात न कहें. अपने व्यवहार में नरमी बनाए रखें और पहले जैसा ही बर्ताव करें. ग़ुस्से में कुछ ऐसा न करें कि लोग आप पर ही उंगलियां उठाने लगें.
प्रोफेशनल बने रहें
ऑफिस में हर दिन बॉस का फेवरिज़्म देखकर भले ही आप मन मसोसकर रह जाते हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आप कलीग से पर्सनल लेवल पर झगड़ा करें. वो आपका भाई/बहन या दोस्त नहीं है, जिससे आप झगड़ा करके मामले को सुलझा लेंगे. ऑफिस में प्रोफेशनली पेश आएं. आप वहां काम करते हैं. स़िर्फ कुछ घंटों के लिए आप ऑफिस में रहते हैं, ऑफिस आपकी पूरी दुनिया नहीं है. यहां पर यदि आपके साथ कुछ ग़लत हो रहा है, तो इसका ये मतलब नहीं है कि पर्सनल लाइफ में भी आप ख़ुद को बाकी चीज़ों से अलग कर दें.
क्या न करें?
ऑफिस की बात को पर्सनल लेवल पर न ले जाएं. ऐसा व्यवहार न करें जैसे इससे आपकी निजी ज़िंदगी में भी बहुत बड़ा तूफ़ान आ गया हो.
काम पर ध्यान दें
ऐसा बहुत बार होता है कि ऑफिस में काम का सही माहौल न मिलने पर काम करने का मूड नहीं होता. इतना ही नहीं, बॉस का किसी एक एंप्लॉई के प्रति झुकाव को देखकर काम से मन उचट जाता है, लेकिन ये बात हमेशा याद रखें कि समय कभी एक जैसा नहीं रहता. अतः वर्तमान हालात को नज़रअंदाज़ करके आगे बढ़िए.
क्या न करें?
बॉस की इस हरक़त से निराश होकर काम करना बंद न करें, क्योंकि इसमें नुक़सान आपका ही है.
अपना पक्ष रखें
यदि कोई समस्या है, तो उसका समाधान भी होता है. ऑफिस के माहौल से तनावग्रस्त होकर बाकी लोगों से बातें शेयर करने की बजाय सीधे बॉस से बात करके अपना पक्ष रखें. हो सकता है, वो आपकी बात समझने का प्रयास करे. ये भी हो सकता है कि आपके देखने का नज़रिया ग़लत हो और बॉस ने जानबूझकर किसी का फेवर न किया हो, अतः बात करना ज़रूरी है.
क्या न करें?
यदि बॉस आपकी बात नहीं सुनता, तो ग़ुस्से में कोई अपशब्द कहने की ग़लती न करें. संयम बनाए रखें.
स्मार्ट टिप्स
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