वास्तु को लेकर लोगों के मन में कई तरह के संदेह होते हैं, शायद आपके मन में भी कुछ सवाल होंगे. आपके मन में उठने वाले 10 सवालों के जवाब बता रही हैं वास्तु एवं फेंगशुई कंसल्टेंट दीप्ति एच. अरोरा.
1) वास्तु के हिसाब से कोई जगह शुभ है या अशुभ, ये हम कैसे जान सकते हैं?
जब हम किसी भवन में प्रवेश करते हैं, तो वहां के स्पंदन से हमारी श्वास गति में परिवर्तन आ जाता है. यदि हमारी श्वास गति सामान्य और तनाव मुक्त रहती है, तो यह उस भवन के शुभ होने का संकेत है, यदि श्वास गति बढ़ जाए, तो इसका अभिप्राय है कि उस भवन के निर्माण में कहीं कोई वास्तु दोष है.
2) क्या स्वस्तिक चिह्न का वास्तु से कोई संबंध है? यदि हां, तो क्या?
यह वास्तु का मूल चिह्न है. यह दिशाओं का ज्ञान करवाता है. इस चिह्न को प्राचीन काल से ही मांगलिक चिह्न के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है. शुभ कार्यों का प्रतीक यह स्वास्तिक चिह्न घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ़ बनाया जाता है, ताकि बुरी नज़र से रक्षा होती रहे. घर में सुख-समृद्धि बनी रहे. इसे गणेशजी का लिप्यात्मक स्वरूप भी माना जाता है.
3) क्या मछली की आकृति वास्तु के सिद्धांतों के हिसाब से अशुभ मानी जाती है?
नहीं, यह तो सच्चे प्रेम का प्रतीक मानी गई हैं. यात्रा शुरू करने से पहले मछली का दर्शन कार्य-सफलता का सूचक व शुभ शगुन माना जाता है. दशहरे पर मत्स्य दर्शन की प्राचीन परम्परा है.
4) ब्रह्मस्थान मकान के किस हिस्से को कहते हैं?
भवन का केन्द्रीय भाग ही ब्रह्मस्थान कहलाता है.
5) साफ़-सफ़ाई से जुड़ी चीज़ों को कहां रखना चाहिए?
झाडू, पोछा तथा सफ़ाई के सामान को हमेशा दक्षिण-पश्चिम में या उसके आसपास ही रखें. कभी भी, भले ही थोड़े समय के लिए, यह सामान उत्तर-पूर्व में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे तरह-तरह के आर्थिक विघ्न उत्पन्न होते हैं.
6) यदि कहीं वास्तुदोष है, तो क्या तुलसी के पौधे उस दोष से बचाने में सहायक होते हैं?
जहां तक तुलसी के पौधे की बात है, तो वह हर दृष्टि से लाभदायक होते हैं. चाहे वास्तुदोष हो या नहीं, पर इसका अभिप्राय यह नहीं है कि वास्तुदोष से बचने के लिए सिर्फ तुलसी का पौधा लगा लेना काफ़ी है.
7) वास्तु विज्ञान क्या सिर्फ हिंदू धर्म को मानने वालों के लिए है?
ऐसा बिल्कुल नहीं है. कोई भी विज्ञान किसी धर्म विशेष के लिए नहीं होता. यदि हम मान भी लें, तो वह विज्ञान ही नहीं है. वैसे धीरे-धीरे वास्तु विज्ञान को सभी धर्म के लोग मानने लगे हैं, क्योंकि सुख-शांति सभी चाहते हैं.
8) क्या ये सच है कि वास्तु विज्ञान को मानने वालों को ही इससे लाभ या हानि होती है. जो नहीं मानते, उन्हें लाभ या हानि नहीं होती?
ऐसा नहीं हैं. विज्ञान कोई भी हो, उसका प्रभाव मानने या न मानने पर नहीं होता. वह समान रूप से प्रभावित करता है. यदि कुछ ग़लत है, तो उसका परिणाम ग़लत और यदि कुछ सही है, तो उसका परिणाम लाभदायक रहता है. इसीलिए वास्तु विज्ञान भी सभी के लिए लाभदायक है.
9) वास्तु शास्त्र में रंगों पर ध्यान दिया जाता है. यह कहां तक तर्कसंगत है?
रंगों के उचित चयन से जीवन में विस्मयकारी प्रभाव पाए जा सकते हैं. विज्ञान भी इसका समर्थन करता है. कौन-सा रंग कहां के लिए उचित है, इसके नियम हैं.
10) भोजन करते समय मुख किस दिशा में होना चाहिए?
भोजन हमेशा पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए, दक्षिण या पश्चिम की ओर नहीं.
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