इसे कहते हैं सरकार द्वारा कुछ विशेष वर्ग की रातों की नींद उड़ाना. ये तो वही हो गया कि बैंक में नहीं है रुपया, लेकिन घर में नोटों के गद्दे पर सोते हैं, लोग. अगर यह क्रिकेट की पिच होती, तो नज़ारा कुछ ऐसा होता कि मैदान पर आते ही मोदी सरकार विरोधी खेमे की हर बॉलर की धुनाई कर रही है. वाह! कुछ इसी तरह बीती रात अचानक जब हर जगह 500 और हज़ार के नोट बंद होने की न्यूज़ फ्लैश होने लगी, तो लोगों की नींद उड़ गई.
काले धन वालों की बढ़ी मुसीबतें
वैसे तो सरकार के इस निर्णय से आम से लेकर कुछ ख़ास लोगों की मुश्किलें बढ़ गईं, लेकिन सबसे ज़्यादा मुसीबत तो उन लोगों की बढ़ी है, जिनकी आमदनी कागज़ पर कम, लेकिन घर में ज़्यादा है. इसे कहते हैं वाह क्या सरकारी चाल है!
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