कंगारू केयर नवजात शिशुओं के देखभाल की एक तकनीक है. ख़ासकर जिन शिशुओं का जन्म के समय वज़न कम होता है, उनके लिए कंगारू केयर का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें बच्चे को माता या पिता के खुले सीने से चिपकाकर रखा जाता, इस तरह से पैरेंट्स की त्वचा से शिशु की त्वचा का सीधा संपर्क होता रहता है. सभी नवजात शिशुओं की देखभाल में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है. बहुत ही प्रभावकारी और इस्तेमाल में बिल्कुल आसान तकनीक से बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है. समय से पहले या समय पूरा होने के बाद पैदा हुए सभी बच्चों की अच्छी देखभाल के लिए कंगारू केयर लाभकारी तकनीक है. इसके बारे में डॉ. नवीन बजाज, नियोनेटोलॉजिस्ट (इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स) ने महत्वपूर्ण जानकारियां दीं.
कंगारू केयर कौन दे सकता है?
कंगारू केयर तकनीक से शिशु की देखभाल के लिए सबसे सही व्यक्ति होती है शिशु की मां. लेकिन बच्चे के पिता या परिवार का कोई भी क़रीबी सदस्य (बच्चे को संभाल सकें ऐसे भाई-बहन, दादा-दादी, नाना-नानी, चाची, मौसी, बुआ, चाचा आदि में से कोई भी) बच्चे को कंगारू केयर देकर मां की ज़िम्मेदारी का कुछ हिस्सा उठा सकते हैं. कंगारू केयर दे रहे व्यक्ति को स्वच्छता के कुछ सामान्य मानकों का पालन करना आवश्यक है, जैसे- हर दिन नहाना, साफ़ कपड़ें पहनना, हाथों को नियमित रूप से धोकर स्वच्छ रखना, हाथों के नाख़ून काटे हुए और साफ़ हो आदि.
कंगारू केयर को कब शुरू करना चाहिए और इसकी अवधि कितनी होनी चाहिए?
कंगारू केयर यानी त्वचा से त्वचा का संपर्क तकनीक की शुरूआत बच्चे के जन्म से ही करनी चाहिए. इसके इस्तेमाल की अवधि शुरूआत में कम रखी जाएं यानी क़रीब 30 से 60 मिनट तक. और जब धीरे-धीरे मां को इसकी आदत पड़ जाए और इस तकनीक के इस्तेमाल का आत्मविश्वास उसमें आ जाए, तब इसे जितना हो सकें उतने लंबे समय के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. ख़ासकर कम वज़न के शिशुओं के लिए कंगारू केयर की अवधि जितनी ज़्यादा हो, उतनी अच्छा होता है. बच्चे को कंगारू केयर देते हुए मां ख़ुद भी आराम कर सकती है या आधा लेटकर सो सकती है.
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कंगारू केयर की प्रक्रिया
मां के ब्रेस्ट यानी स्तनों के बीच शिशु को इस तरह रखते हैं कि उसका सिर एक तरफ़ झुका हो, ताकि उसे सांस लेने में आसानी हो और मां सदैव आंखों के सामने रहें. बच्चे का पेट मां के पेट के ऊपरी भाग से लगा हो, हाथ और पैर मुड़े हुए हो. शिशु को आधार देने के लिए स्वच्छ, सूती कपड़ा या कंगारू बैग का इस्तेमाल किया जा सकता है.
कंगारू केयर के फ़ायदे
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पिता के लिए भी उपयोगी
माताओं की तरह, पिता भी कंगारू केयर यानी त्वचा से त्वचा का संपर्क तकनीक से बच्चे की देखभाल कर सकते हैं. यह शिशु और पिता दोनों के लिए फ़ायदेमंद है. पिता के लिए कुछ ख़ास फ़ायदा यह है कि वे बच्चे की देखभाल अच्छी तरह से कर सकेंगे और अपने आपको असहाय महसूस नहीं करेंगे. इससे शिशु और पिता के बीच अपनापन निर्माण होता है और बच्चे की देखभाल में महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी निभा पाने की ख़ुशी भी पिता को मिलती है. यह तकनीक उन्हें बच्चे के भूख और तनाव के संकेतों को समझने में भी मदद करती है. जब पिता कंगारू केयर दे रहे हो, तब मां आराम कर सकती है और बच्चे की अच्छी देखभाल के लिए अपनी ऊर्जा और उत्साह को बनाए रख सकती है.
इस तकनीक के इस्तेमाल से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलती है. बच्चे अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं और उनकी पूरी ऊर्जा बेहतरीन विकास में लग जाती है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन और चिकित्सकों का यह मानना है कि सभी बच्चों के लिए कंगारू केयर तकनीक का इस्तेमाल ज़रूर किया जाना चाहिए.
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