ज्यादातर पैरेंट्स इस बात से परेशान रहते हैं कि बच्चे को हेल्दी फूड और कम्पलीट वैक्सीनशन शेडूल के बाद भी उनका बच्चा बार-बार बीमार क्यों पड़ता हैं? इसका कारण है आपके बच्चे की कमज़ोर इम्युनिटी. सुनने में थोड़ी हैरानी होती है न, पर हम आपको बताते है कि कैसे बच्चे की बुरी और गंदी आदतों का असर उसकी इम्युनिटी पर पड़ता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1980 के बाद से अस्थमा से पीड़ित बच्चों की संख्या में दो गुना इज़ाफ़ा हुआ है. इसका कारण है उन्हें मिलने वाला, ख़राब पोषण, निष्क्रिय जीवनशैली, प्रदूषण और तनाव. इन सभी का बुरा असर बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है. पैरेंट्स के तौर पर हमें कुछ ऐसा करना चाहिए कि बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत बने, जो बच्चे के स्वस्थ वयस्क बनने के विकास में मदद करें.
पैरेंट्स करें ख़ुद ये सवाल ?
बच्चे के बार-बार बीमार होने पर पैरेंट्स का परेशान होना लाज़िमी हैं. ऐसा नहीं है कि वे बच्चे को हेल्दी फूड नहीं खिलाते हैं या फिर उसकी अच्छी देखभाल नहीं करते हैं, लेकिन क्या इतना करना ही पर्याप्त है. नहीं, पैरेंट्स को चाहिए कि इन सबके अलावा उसकी इम्युनिटी को बढ़ाएं. क्योंकि बच्चा जितना बाहरी वातावरण में मौजूद कीटाणुोँ और जीवाणुओं के के संपर्क में आता है, उसकी रोग-प्रतिरक्षा क्षमता उतनी ही बेहतर होती है. पैरेंट्स ऐसी ही आदतों को बच्च्चो में विकसित कर सकते हैं. बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता है, उसकी आदतें, जैसे- 8-10 घंटे की पूरी नींद न लेना, जल्दी-जल्दी बीमार होने होने पर तुरंत एंटीबायोटिक दवा लेना आदि ही उसके इम्यून सिस्टम के विकास में रुकावट डालती हैं. ये बुरी आदतें इस प्रकार से हैं-
बुरी आदत न। 1: आउटडोर गेम्स न खेलना
टेक्नोलॉजी के बढ़ते चलन के कारण अधिकतर बच्चे घर पर वीडियो गेम या टीवी देखना पसंद करते हैं जो कि बिलकुल सही नहीं है. जब बच्चा शारीरिक रूप सक्रिय नहीं होता है, तो धीरे-धीरे उसकी इम्युनिटी कमज़ोर होने लगती है और वह बार-बार बीमार पड़ने लगता है. घर से बाहर निकलकर खेलने पर बच्चे को विटामिन डी मिलता है, जिससे उसकी इम्यूनिटी मजबूत होती है.
पैरेंटिंग टिप: हेल्दी खाने के साथ-साथ बच्चे को आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रेरित करें.
– बच्चे का एक समय तय करें, जिसमें आउटडोर और इंडोर गेम्स/एक्टिविटीज को शामिल हों.
– बच्चे से पूछें कि उसे कौन-सा आउटडोर गेम पसंद है, चाहें तो क्रिकेट, फुटबाल, बैडमिंटन जैसे गेम्स खेलने के लिए कोई ट्रेनर भी रख सकते हैं, जो पढाई के बाद या वीकेंड के 2-3 दिन बच्चों को आउटडोर गेम्स खेलना सिखाए.
बुरी आदत न. 2: पर्याप्त नींद नहीं लेना
पूरी और अच्छी नींद न लेने के कारण बच्चे की प्रतिरोधक प्रणाली पर गंभीर असर पड़ता है. बच्चे की उम्र के अनुसार रोज़ाना उसे कम-से-कम 10-14 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है. रात को देर से सोना, कंप्यूटर और मोबाइल पर गेम खेलने से बच्चे आक्रमक बनते हैं और बच्चे के नींद लेने के समय को कम कर सकते हैं. नींद पूरी न होने पर शारीरिक तौर बच्चे में तनाव पैदा होता है, जो उसके मस्तिष्क में ऑक्सीजन को स्वतंत्र रूप से प्रसारित होने से रोकती है, जिसके कारण बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होने लगती है और वह बार-बार बीमार पड़ने लगता है.
पैरेंटिंग टिप: कमरे में बच्चे के लिए अच्छी नींद का माहौल बनाएं, जैसे- कमरे में शांति और अँधेरा हो, ताकि वह आराम से सो सके.
– सोने से 1-2 घंटे पहले बच्चे को कंप्यूटर और मोबाइल से दूर रखें.
– कंप्यूटर और मोबाइल पर गेम्स खेलने का समय तय करें.
बुरी आदत न. 3: बार-बार एंटीबायोटिक्स लेना
इम्युनिटी कमज़ोर होने पर बच्चे जल्दी-जल्दी बीमार पड़ते हैं और पैरेंट्स तबीयत ज्यादा ख़राब होने के डर से बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाते हैं. डॉक्टर भी एंटीबायोटिक लिखकर पैरेंट्स को शांत कर देते हैं, लेकिन क्या आपको मालुम है कि अत्यधिक एंटीबायोटिक खाने से बच्चे की इम्युनिटी कम होती है और उसकी एंटीबायोटिक-रेजिस्टेंस भी कम हो जाती है.
पैरेंटिंग टिप: सर्दी-ज़ुकाम, खांसी जैसी छोटी-छोटी बीमारी के लिए बार-बार एंटीबायोटिक्स का सहारा न लें.
– एंटीबायोटिक्स की बजाय घरेलू उपचार करें, इनसे भी जल्दी आराम मिलता है और इनका कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होता है.
बुरी आदत न. 4: स्वच्छता का अभाव
यदि बच्चा हाइजीनिक संबंधी आदतों का पालन नहीं करता है, तो कीटाणुओं और जीवाणु उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमज़ोर बनाते हैं. खाने से पहले हाथ नहीं धोना, दांतों को अच्छी तरह से ब्रश न करना, गंदे और बड़े हुए नाखून आदि- ये सभी अनहेल्दी आदतें हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकती हैं.
पैरेंटिंग टिप: बचपन से ही बच्चे को हाइजीनिक संबंधी आदतों के बारे में बताएं.
– इन हाइजीनिक संबंधी आदतों रोज़मर्रा की दिनचर्या में शामिल करने के लिए प्रेरित करें.
बुरी आदत # 5: मन की बात शेयर न करना
कुछ बच्चे स्वभाव से अंतर्मुखी होते हैं. स्कूल और दोस्तों की बातों को अपने मन की बात मन में दबाकर रखते हैं, जिससे उनमें तनाव का स्तर बढ़ने लगता है और धीरे-धीरे उनकी इम्युनिटी कमज़ोर होने लगती है.
पैरेंटिंग टिप: बच्चे से स्कूल और उसके दोस्तों के बारे में बातें करें. यदि किसी तरह की परेशानी हो, तो पैरेंट्स से शेयर करने के लिए प्रोत्साहित करें.
– उसकी बातों को ध्यानपूर्वक सुनें, ताकि वह बिना किसी डर या झिझक के अपनी परेशानी पैरेंट्स के साथ शेयर कर सके.
– उसे अपनी काबिलियत के अनुसार परफॉर्म करने दें. बच्चे पर अनावश्यक दबाव न बनाएं.
– धैर्यपूर्वक बच्चे की बात सुने. ताकि बच्चा पैरेंट्स पर भरोसा करना सीखें.
बुरी आदत न. 6: अनहेल्दी खाना
बच्चे की इम्युनिटी को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है कि उसे पौष्टिक और संतुलित आहार खिलाएं. अगर बच्चा जंक फूड, पैक्ड फूड, कोल्ड ड्रिंक्स अधिक पीता है, तो उनमें मौजूद प्रिजर्वेटिव्स, आर्टिफिशियल कलर्स और शुगर उसके पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचते हैं और उसकी इम्युनिटी को वीक करते हैं.
पैरेंटिंग टिप: बच्चे पौष्टिक और ताज़ा खाना खिलाएं.
– रोज़ाना डायट में दालें, ड्रायफ्रूट्स फल और सब्ज़ियां शामिल करें.
– दिन में 5 बार उसे खाने के लिए कुछ न कुछ जरूर दें.
बुरी आदत न.7: सेकंड हैंड स्मोकिंग
धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, चाहे वह अपने लिए हो या फिर दूसरों के लिए. धूम्रपान का धुंआ फेफड़ों को नुक्सान पहुंचाता है, विशेष रूप से बच्चे के फेफडों को. इस उम्र में बच्चों के फेफड़े पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं, इसलिए धूम्रपान का धुंआ उनके लिए ज्यादा हानिकारक होता है. ये धुंआ बच्चों की इम्युनिटी को नुक़सान पहुंचा सकता है.
पैरेंटिंग टिप: बच्चों को हमेशा स्मोकिंग जोन से दूर रखें.
– यदि परिवार का कोई सदस्य धूम्रपान करता है, तो उसे भी धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रेरित करें.
बुरी आदत न. 8: शरीर में पानी की कमी होना
हालांकि बच्चे के शरीर को उतनी अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता नहीं होती, जितनी की बड़े लोगों को (8-10 गिलास पानी) को होती है. फिर भी उसे इतना पानी जरूर पीना चाहिए, जितनी जरूरत उसके पाचन तंत्र को सुचारु रूप से काम करने के लिए हो. पानी पाचन तंत्र द्वारा पोषकतत्वों के अवशोषण में मदद करता है, जिससे बच्चे की इम्युनिटी में सुधार होता है. इसके अलावा पानी शरीर में जमा विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है.
पैरेंटिंग टिप: पैरेंट्स इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे दिनभर में लिक्विड के तौर पर कुछ न कुछ लेता रहे.
– प्यास न लगने पर भी बच्चे को पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करते रहें.
— देवांश शर्मा
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