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भावी मांओं के लिए 9 ज़रूरी सुझाव… (9 Tips For Expecting Mothers)

मां का पोषण यह सुनिश्चित करने के लिए महत्‍वपूर्ण है कि बच्‍चे के जीवन की स्‍वस्‍थ शुरूआत हो, ख़ासकर शुरुआती कुछ महीनों तक, जो गर्भधारण से लेकर बच्‍चे के दूसरे जन्‍मदिन तक की अवधि है. ये समय संभावना वाले और बेहद नाज़ुक होते हैं, क्‍योंकि यह बच्‍चे के विकास की सबसे महत्‍वपूर्ण अ‍वधि होती है. […]

मां का पोषण यह सुनिश्चित करने के लिए महत्‍वपूर्ण है कि बच्‍चे के जीवन की स्‍वस्‍थ शुरूआत हो, ख़ासकर शुरुआती कुछ महीनों तक, जो गर्भधारण से लेकर बच्‍चे के दूसरे जन्‍मदिन तक की अवधि है. ये समय संभावना वाले और बेहद नाज़ुक होते हैं, क्‍योंकि यह बच्‍चे के विकास की सबसे महत्‍वपूर्ण अ‍वधि होती है. इसी अवधि में मां और बच्‍चे का खानपान और देखभाल यह तय करता है कि बच्‍चा कैसे विकास करेगा, सीखेगा और बढ़ेगा. इसी अवधि में उनके लंबे समय के स्‍वास्‍थ्‍य का आधार भी स्‍थापित होता है. इस दौरान बच्‍चा पोषण के लिए मुख्‍य रूप से मां के दूध पर निर्भर रहता है. इसलिए मां का हेल्दी रहना महत्‍वपूर्ण है, ताकि बच्‍चे के जीवन को अच्‍छी शुरूआत मिल सके.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में केवल 50% गर्भवती महिलाएं प्रोटीन और ऊर्जा की पर्याप्‍त खुराक लेती हैं, जो एक स्‍वस्‍थ बच्‍चे के लिए ज़रूरी है. शिशु के विकास के लिए पोषण महत्‍वपूर्ण है और टाटा ट्रस्‍ट में न्‍यूट्रीशन के एसोसिएट डायरेक्‍टर डॉ. सुजीत रंजन ने गर्भावस्‍था के 9 महीनों और उसके बाद के समय के लिए 9 सुझाव दिए है.

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हेल्‍दी फैट का सेवन
हेल्‍दी फैट को असंतृप्‍त वसा (अनसैचुरेटेड फैट) भी कहा जाता है. आमतौर पर हेल्‍दी फैट इसलिए महत्‍वपूर्ण हैं, क्‍योंकि वे हृदय के स्‍वास्‍थ्‍य और कोलेस्‍ट्रॉल को बेहतर बनाने के साथ-साथ सेहत को कई दूसरे फ़ायदे भी देती हैं. गर्भावस्‍था के दौरान बच्‍चे के मस्तिष्‍क और आंखों के स्‍वस्‍थ विकास के लिए हेल्‍दी फैट ज़रूरी हैं. हेल्‍दी फैट के कुछ प्रचुर स्रोतों में शामिल हैं- मूंगफली का तेल, एवोकैडो, घी और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, जो वनस्‍पति तेल, नारियल तेल, जैतून तेल और फिश ऑयल में बहुत होते हैं. प्राकृतिक रूप से मिलने वाले हेल्‍दी फैट भावी मां के हार्मोन्‍स को संतुलित रखने में मदद करते हैं, समय से पूर्व प्रसूति की संभावना कम करते हैं, जन्‍म के समय शिशु का वज़न कम होने से रोकते हैं. साथ ही इससे भ्रूण के स्‍वस्‍थ विकास में सहयोग मिलता है और यह कोलेस्‍ट्रॉल कम करने में भी मददगार हैं.

कैल्शियम से भरपूर भोजन लें
कैल्शियम एक महत्‍वपूर्ण घटक है, जो हड्डियों को मज़बूत रखता है और यह गर्भावस्‍था के दौरान विकसित हो रहे बच्‍चे का अतिरिक्‍त वज़न सहने वाली मां के लिए महत्‍वपूर्ण है. चूंकि मां के शरीर को अतिरिक्‍त पोषक तत्‍व और खनिज की ज़रूरत होती है, इसलिए गर्भावस्‍था के दौरान कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ लेने से शिशु को हेल्दी रखने के लिए पर्याप्‍त ऊर्जा मिलती है. कैल्शियम से भरपूर फूड, जैसे- डेयरी प्रोडक्‍ट्स, दही, ब्रोकोली और हरी पत्‍तेदार सब्ज़ियां शिशु के स्‍वस्‍थ हृदय, धड़कन, नसों और मांसपेशियों के विकास में मदद करती हैं. यह खाद्य हाई ब्‍लड प्रेशर, समय से पहले जन्‍म और प्रीक्‍लैम्प्सिया (गर्भावस्‍था की एक गंभीर जटिलता, जो 20वें हफ़्ते के बाद होती है) का जोखिम भी कम करते हैं.

ईज़ी एक्‍सरसाइज़ करें
मां को तंदुरुस्‍त रखने और भ्रूण में सक्रिय मस्तिष्‍क तथा स्‍वस्‍थ हृदय के विकास को सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से एक्‍सरसाइज़ करना ज़रूरी है. इस एक्‍सरसाइज़ में घर या दफ़्तर में छोटे-छोटे वॉक, योग, स्‍टेशनरी बाइक चलाने और कम तीव्रता के एरोबिक्‍स शामिल हो सकते हैं. यह सभी एक्‍सरसाइज़ भावी माताओं के पैरों की सूजन कम करने और क्‍लॉट्स की संभावना घटाने में मदद करते हैं, जो गर्भावस्‍था के दौरान वज़न बढ़ने से हो सकते हैं. दूसरी ओर, हैवी एक्‍सरसाइज़ से बचना चाहिए,

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सही हाइड्रेशन बनाए रखें
भावी माताओं के लिए पूरी गर्भावस्‍था के दौरान शरीर का संतुलित तापमान बनाए रखना ज़रूरी है. गर्भावस्‍था के दौरान शरीर का तापमान बढ़ जाता है, क्‍योंकि मां का हृदय रक्‍त को 20% ज़्यादा तेज दर से पंप करता है. इसलिए, मांओं के लिए ठंडे पेय, ताजे फलों और सब्ज़ियों की पर्याप्‍त मात्रा लगातार लेते रहना महत्‍वपूर्ण है, ताकि शरीर का सही तापमान बना रहे.

ज़्यादा फाइबर वाले भोजन लें
मांओं को गर्भावस्‍था के दौरान अपने डायबिटीज़ पर नियमित रूप से नज़र रखना होगा. ज़्यादा फाइबर वाले भोजन लेने से इस बीमारी का जोखिम कम होता है, क्‍योंकि उनमें बहुत कैलोरीज़ नहीं होती हैं. गर्भावस्‍था का सही वजन बनाए रखने में मदद मिलती है. अधिक फाइबर वाले खाद्य कोरोनरी हार्ट डिजीज़, स्‍ट्रोक, हाइपरटेंशन, मोटापा और कुछ गैस्‍ट्रोइंटेस्‍टाइनल रोगों का जोखिम कम करने में भी सहायक होते हैं. फाइबर से प्रचुर खाद्यों का नियमित सेवन सुनिश्चित करने के लिए, भावी मांएं अपनी डायट में चुकंदर, संतरा, सेब, हरी पत्‍तेदार सब्ज़ियां, ओट्स और बादाम शामिल कर सकती हैं. यह खाद्य ब्‍लड शुगर को रेगुलेट करने और हृदय की समस्‍याओं का जोख़िम कम करने में मदद करती हैं.

फोलिक एसिड का महत्‍व
फोलिक एसिड या विटामिन बी9 नई कोशिकाएं बनाने और जन्‍म के समय न्‍यूरोलॉजिकल (तंत्रिका-तंत्र की) तथा स्‍पाइनल (रीढ़ की) विकृतियों को रोकने के लिए ज़रूरी है. भावी मांओं को गर्भावस्‍था से पहले एक महीने में बीन्‍स, सूर्यमुखी के बीजों, ताजे फलों व उसके जूस और साबुत अनाजों के रूप में कम से कम 400 ग्राम सप्‍लीमेंट लेने चाहिए और गर्भावस्‍था के दौरान यह मात्रा 600 ग्राम होनी चाहिए. फोलिक एसिड को गहरी हरी पत्‍तेदार सब्ज़ियों, मटर, मसूर, रोटी, कुछ प्रकार के पास्‍ता, बीन्‍स और साइट्रस फलों जैसे खाद्य स्रोतों से प्राप्‍त किया जा सकता है.

अच्‍छी नींद लें
नींद का स्‍वस्‍थ चक्र मस्तिष्‍क और शरीर को सही काम करने तथा अच्‍छा शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य बनाए रखने में सहयोग देता है. गर्भवती महिलाओं को रोज़ाना 7 से 8 घंटे की नींद लेने की‌ आवश्यकता हो है, क्‍योंकि इससे गर्भाशय में भ्रूण का विकास सुनिश्चित होता है और जन्‍म के बाद भी स्‍वास्‍थ्‍य को फ़ायदे मिलते हैं. हालांकि, प्रेग्नेंसी के समय रात में सोते समय असहजता हो सकती है, इसलिए उन्‍हें घुटने मोड़कर करवट लेकर सोने की कोशिश करनी चाहिए. इस प्रकार उन्‍हें न केवल अच्‍छी नींद मिलेगी, बल्कि उनका हृदय आसानी से पंप करेगा और पाचन क्रिया भी बेहतर रहेगी.

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रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स से बचें
कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य गर्भावस्‍था के दौरान मां और बच्‍चा, दोनों को ज़रूरी ईंधन प्रदान करते हैं. मस्तिष्‍क को ऊर्जा के मुख्‍य स्रोत के रूप में ग्‍लूकोज़ की ज़रूरत होती है. हालांकि पैकेज्‍ड फूड आइटम, जैसे- डिब्‍बाबंद अनाज, व्‍हाइट ब्रेड, केक और बिस्‍किट, जिनमें रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो पाचन की समस्‍या पैदा कर सकते है. मांओं को गर्भावस्‍था के दौरान अपनी डायट में सोच-समझकर ज़्यादा कॉम्‍पलेक्‍स कार्बोहाइड्रेट्स या स्‍टार्च वाली सब्ज़ियां जैसे- शकरकंद, साबुत अनाज, और फलियां, जैसे- बीन्‍स या काबुली चने लेने चाहिए, क्‍योंकि यह ऊर्जा देते हैं और फाइबर के अच्‍छे स्रोत होते‌ हैं

‌कैफीन से बचें
कैफीनेटेड खाद्य से भी चिंता, हाई ब्‍लड प्रेशर, घबराहट और नींद में समस्‍या का जोखिम बढ़ सकता है. शिशुओं पर इसके प्रभाव को देखते हुए डब्‍ल्‍यूएचओ ने कई अध्‍ययनों पर रोशनी डाली है, जो बताते हैं कि मां के द्वारा अत्‍यधिक मात्रा में कैफीन का सेवन करने से बच्‍चे के विकास में अवरोध, जन्‍म के समय वज़न में कमी, समय से पहले जन्‍म या मृत शिशु के जन्‍म आदि समस्याएं हो सकती‌ हैं. इसलिए, भावी माताओं को कैफीन के सेवन से बचना चाहिए.

Photo Courtesy: Freepik


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Usha Gupta

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