अजय देवगन- उनके साथ सालों बाद फिर से रोमांस करना स्पेशल फीलिंग है… (Ajay Devgn- Unke Sath Salon Baad Phir Se Romance Karna Special Feeling Hai…)
* 50 साल की उम्र में पर्दे पर रोमांस करने की बात हो या फिर किसी और तरह की फीलिंग्स की, समय के साथ वो और गहरी हो जाती है. एक उम्र तक बचपना होता है और जब वो चला जाता है तो सही फीलिंग्स नज़र आनी शुरू होती है.
तब्बू रियल लाइफ में मेरी अच्छी दोस्त हैं और उनके साथ सालों बाद फिर से सिल्वर स्क्रीन पर रोमांस करना बहुत ही स्पेशल फीलिंग है. ऐसा लगता है जैसे एक बार फिर से हमारी रील लाइफ रोमांटिक केमेस्ट्री ताज़ा हो गई है, यह काफी अच्छा एक्सपीरियंस है.
फिल्मों के मामले में मैं काफ़ी लकी रहा हूं, क्योंकि मुझे सही समय पर, सही डायरेक्टर्स और सही स्क्रिप्ट के साथ सही कैरेक्टर्स मिले. मुझे जिस जॉनर की फिल्म मिलती है, मैं उसके हिसाब से अपने कैरेक्टर को ढाल लेता हूं.
नेगेटिव रोल करने से मुझे कोई परहेज़ नहीं है, क्योंकि सब कैरेक्टर ही हैं. अगर कुछ मायने रखता है तो वो है कैरेक्टर का स्ट्रॉन्ग होना. अलग-अलग कैरेक्टर्स करने का अपना एक अलग मज़ा है.
मैंने साल 2000 में बतौर प्रोड्यूसर फिल्म राजू चाचा बनाकर भले ही अपना नुक़सान किया, लेकिन इससे काफ़ी कुछ सीखा. मैंने कर्ज़ चुकाने के लिए बहुत ज़्यादा काम किया, क्योंकि मुझ पर कर्ज़ हो, ये मुझे अच्छा नहीं लगता.
जहां तक मेरी पर्सनल लाइफ की बात है तो मैंने अपनी लाइफ में कभी कोई रूल फॉलो नहीं किया, हमेशा अपने दिल की सुनी और जो मेरे दिल ने कहा मैंने बस वही किया.
कई अवॉर्ड ऐसे हैं, जो मुझे लगते हैं कि बहुत ज़्यादा सही नहीं हैं और जो चीज़ मुझे सही नहीं लगती, मैं वहां जाता नहीं. मैं अपना पहला नेशनल अवॉर्ड नहीं ले पाया था, क्योंकि ऊटी में शूटिंग कर रहा था और वहां से दिन में एक ही फ्लाइट जाती थी, जो उस दिन कैंसल हो गई थी.
स्टेज शो करना एक पर्सनल चीज़ है, जो मुझे पसंद नहीं है. मेरा काम ज़्यादा कैमरे के सामने है. ये आर्ट है और मुझे ऐसा लगता है कि आप इसका मिसयूज़ कर रहे हैं, लेकिन इसे लेकर हर इंसान की अपनी-अपनी सोच है.
एक आदमी अपने काम पर तभी अच्छी तरह से फोकस कर सकता है, जब उसकी फैमिली ख़ुश और सपोर्टिव हो. मैं अगर अच्छी तरह से काम कर पा रहा हूं, तो इसका क्रेडिट काजोल को जाता है. मैं बहुत लकी हूं कि मुझे काजोल जैसी वाइफ मिली, जो काफ़ी सपोर्टिव हैं.
वैसे तो मैं अंधविश्वास को नहीं मानता, लेकिन जब ‘फूल और कांटे’ फिल्म रिलीज़ हुई, तो उस दौरान तीन विशाल लॉन्च हुए थे. उस दौरान मेरे पापा ने ही मुझे अपना नाम बदलने का सुझाव दिया, ताकि कंफ्यूजन न हो. तो विशाल से अजय देवगन बनने का ज्योतिष या अंधविश्वास से कोई लेना देना नहीं. रही बात देवगन से एफ हटाने की, तो यह मैंने अपनी मां के कहने पर किया.