अकबर-बीरबल की कहानी: मुर्गी पहले आई या अंडा? (Akbar-Birbal Story: What Came First Into The World, The Egg Or The Chicken?)

एक समय की बात है बादशाह अकबर के दरबार में एक ज्ञानी पंडित आए, वो बादशाह अकबर से वह अपने कुछ प्रश्नों के उत्तर चाहते थे. ज्ञानी पंडित का दावा था कि वो प्रकांड विद्वान हैं और उनके सवालों का जवाब दे पाना किसी के बस की बात नहीं.

बात सच निकली क्योंकि बादशाह अकबर स्वयं पंडित के प्रश्नों के उत्तर देने में खुद को असक्षम महसूस कर रहे थे, इसलिए बादशाह अकबर अपने सलाहकार और अपनी चतुराई व तेज़ बुद्धि के लिए प्रसिद्ध बीरबल को ज्ञानी पंडित के प्रश्नों के उत्तर देने का आदेश दिया.

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बीरबल से ज़ाहिर है कई लोग ईर्ष्या रखते थे तो वो बेहद खुश हुए कि आज बीरबल की हार निश्चित है और अब वो लोग भी बीरबल को नीचा दिखा बदला लेंगे.

तो शुरू हुआ पंडित और बीरबल के बीच ज्ञान युद्ध. पंडित ने बीरबल से कहा कि मैं तुम्हें दो विकल्प देता हूं. पहला विकल्प ये या तो तुम मेरे 100 आसान से सवाल के जवाब दो या फिर दूसरा विकल्प ये है कि तुम मेरे एक मुश्किल सवाल का जवाब दो. बीरबल ने बहुत सोच-विचार के बाद कहा कि मैं आपके एक मुश्किल सवाल का जवाब देना चाहता हूं.

पंडित ने सोचा अब बीरबल फ़ंस गया. उसने बीरबल से पूछा, तो बताओ मुर्गी पहले आई या अंडा…?

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बीरबल ने बिना एक पल की देर किए फ़ौरन पंडित को जवाब दिया कि मुर्गी पहले आई. पंडित ने बीरबल से फिर सवाल किया कि कि तुम इतनी आसानी से कैसे बोल सकते हो कि मुर्गी ही पहले आई?

अब बीरबल ने पंडित से कहा कि यह तो आपका दूसरा सवाल है और आपकी शर्त व विकल्प के अनुसार मुझे आपके एक सवाल का ही जवाब देना था, जो मैं दे चुका हूं.

बीरबल अपनी जगह सही था इसलिए उसकी ऐसी हाज़िरजवाबी के सामने पंडित कुछ बोल नहीं पाया और चुपचाप अपनी हार स्वीकार कर दरबार से चला गया.

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बीरबल की चतुराई और बुद्धिमानी को देखकर बादशाह अकबर फिर बहुत खुश व गौरवान्वित हुए और उन्हें यह महसूस हुआ कि वाक़ई बीरबल ने साबित कर दिया कि वो दरबार में सलाहकार के रूप में बीरबल कितनी एहमियत रखते हैं.

सीख: प्रश्न या समस्या चाहे जितनी कठिन लगे, लेकिन अपनी सोच, तर्क व समझने की शक्ति, सूझबूझ, संयम व दिमाग़ का सही इस्तेमाल करने से हर सवाल का जवाब और हर समस्या का हल बहुत आसानी से मिल सकता है. इसलिए कभी भी सवालों और समस्याओं से ये सोचकर दूर न भागें कि ये तो हल हो ही नहीं सकती. उनका सामना सूझबूझ व शांत मन-मस्तिष्क से करें.

यह भी पढ़ें: पंचतंत्र की कहानी: गौरैया और बंदर (Panchatantra Tales: Monkey And Bird)

Geeta Sharma

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