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अक्षय कुमार- डिप्रेशन से डरे नहीं, लड़ें… (Akshay Kumar – Don’t Be Afraid Of Depression, Fight…)

अक्षय कुमार पिछले कुछ सालों से गंभीर व सार्थकपूर्ण विषयों पर आधारित फिल्में करते आ रहे हैं. अब उनकी इच्छा डिप्रेशन पर फिल्म बनानी की है. हाल ही में कलाकार कुशल पंजाबी द्वारा डिप्रेशन के कारण आत्महत्या करने के हादसे ने तमाम लोगों को अंचभित कर दिया. अक्षय कुमार को भी इसका दुख है. अक्षय के साथ कुशल ने अंदाज़ फिल्म में काम किया था. 

अक्षय कुमार ने इस विषय अपनी बात कुछ इस तरह रखी. उन्होंने इस बात पर अधिक चिंता व्यक्त की कि भारत में अवसाद यानी डिप्रेशन की समस्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है. साथ ही इस कारण आत्महत्याएं भी बहुत हो रही हैं. उनका कहना है कि चाहे जितनी भी समस्या हो, पर किसी को भी आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाना चाहिए. हां, यह भी है कि अवसादग्रस्त व्यक्ति के मन में क्या चल रहा है, उसकी परेशानी, दर्द, उलझनों को अपनों को समझने की कोशिश ज़रूर करनी चाहिए. आख़िर समस्याएं किसके पास नहीं है, लेकिन समाधान आत्महत्या तो नहीं होना चाहिए. डिप्रेशन से ग्रस्त शख़्स को एक बार अपने माता-पिता, परिवार, दोस्त, चाहनेवालों के बारे में ज़रूर सोचना चाहिए. ऐसा करने से न जाने कितनों के दिल दुखी हो जाते हैं. कितने ही ग़म में घिर जाते हैं.

आख़िर प्रॉब्लम कहां नहीं है, पर इसका सोल्यूशन जीवन का अंत तो कतई नहीं है. ज़िंदगी बहुत ख़ूबसूरत है. आपका सुंदर शरीर है. उसे यूं ही मिटा देना ठीक नहीं. हमें समस्याओं से जूझना चाहिए. समझदारी से समस्या को हल करने की कोशिश करनी चाहिए. दोस्तों-परिवारों की मदद व सलाह लेनी चाहिए. परिस्थितियों का मुक़ाबला करना चाहिए. कभी भी हार नहीं माननी चाहिए. डिप्रेशन से डरे नहीं लड़ें… मैं डिप्रेशन को लेकर फिल्म बनाना चाहता हूं. कुशल पंजाबी के आत्महत्या ने मुझे भी दुखी कर दिया है. अक्सर हमारे सामने मुस्कुराते चेहरे के पीछे के दर्द को हम समझ ही नहीं पाते. हमें लगता है कि अरे भाई, इसे तो कोई दर्द-तकलीफ़ है ही नहीं. यही पर हम धोखा खा जाते हैं. हमारे देश के बहुत से लोग डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहे हैं. हमारा यह फर्ज़ बनता है कि हम इस विषय पर कई प्रभावशाली फिल्में बनाएं. वैसे पिछले साल मैं दहेज के विषय पर कोई कहानी ढूंढ़ रहा था, पर अब डिप्रेशन पर भी फिल्म बनाना चाहूंगा.

अक्षय कुमार ने अच्छी बात कही कि अवसाद के कारण आत्महत्या करनेवालों को एक बार नहीं, बल्कि कई बार ख़ुद से जुड़े लोगों के बारे में ज़रूर सोचना चाहिए, ख़ासकर पैरेंट्स. वे बड़े प्यार से अपने बच्चों की परवरिश करते हैं और जब बड़े होकर वे ही बच्चे इस तरह का कदम उठाते हैं, तब उनके दिल पर क्या गुज़रती होगी, शायद यह हम व आप नहीं समझ सकते.

डिप्रेशन का मुद्दा आज का नहीं है, यह बरसों से बढ़ता ही जा रहा है. कलाकारों के बीच तो यह अधिक ही पसरा हुआ है. अक्सर कभी किसी मॉडल, तो किसी स्ट्रगलर आर्टिस्ट, तो किसी सिंगर द्वारा तनाव-डिप्रेशन के कारण सुसाइड करने की ख़बरें सुनने में आती हैं. कुछ समय पहले बेहतरीन अदाकारा दीपिका पादुकोण भी इस समस्या से गुज़री थीं. तब उन्हें इससे उबरने में काफ़ी व़क्त लगा था. अपने दर्द व तनाव के अनुभवों को उन्होंने लोगों के बीच शेयर किया. ब्रेकअप के दर्द के बारे में खुलकर कहा. तब उन्हें इसे लेकर प्रेरणा मिली और उन्होंने द लिव लव लाफ फाउंडेशन की स्थापना की. इस संस्था द्वारा डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों को इससे उबरने व छुटकारा पाने में मदद मिलती है. दीपिका के सराहनीय कदम व कठिन दौर से जूझने के जज़्बे ने उन्हें आज किस मुक़ाम तक ला दिया, इसके साक्षी हम सभी हैं. रणवीर सिंह के रूप में बेइंतहा प्यार करनेवाला पति के साथ-साथ करियर में सफलता के शिखर को भी छुआ उन्होंने.

अक्षय कुमार ने कई गंभीर व उल्लेखनीय विषयों पर आधारित फिल्में की हैं, जैसे- पैडमेन, टॉयलेट एक प्रेमकथा. अब उनकी ख़्वाहिश तनाव, अवसाद से घिरे परेशान लोगों को सही राह दिखाने पर आधारित कहानी की तलाश है. देखें कौन स्टोरी राइटर उनकी यह इच्छा पूरी करता है.

हम तो यही उम्मीद करते हैं कि इस पर अक्षय कुमार ही नहीं अन्य कई फिल्ममेकर भी फिल्में बनाएं और प्रभावशाली संदेश भी दें, ताकि कोई और डिप्रेशन से घिरा शख़्स कुशल पंजाबी की तरह आत्महत्या करने के कगार पर ना पहुंचे. आज तनाव-अवसाद जैसी समस्याओं पर लोगों को जागरूक करने की बेहद ज़रूरत है.

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Usha Gupta

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