सिखों के प्रथम गुरु नानक देव का जन्म पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ था. इनके अनुयायी इन्हें प्यार से गुरु नानक, नानक देवजी, नानकशाह और बाबा नानक के नाम से भी पुकारते हैं. नानक जब 8 साल के थे तभी स्कूल छोड़ दिया था, क्योंकि इनका पढ़ने में मन नहीं लगता था. संसार से विमुक्ति और ईश्वर में रुचि ने इन्हें अध्यात्म की ओर मोड़ दिया. आगे चलकर नानक ने सिख धर्म की स्थापना की और नानक से गुरु नानक देव बन गए.
गुरु नानक देव के 5 उपदेश
* गुरु नानक देव ने ही इक ओंकार का नारा दिया. जिसका अर्थ है, ईश्वर एक है. वह सभी जगह मौजूद है. हम सबका पिता वही है, इसलिए सबके साथ प्रेमपूर्वक रहना चाहिए.
* किसी भी तरह के लोभ को त्यागकर अपने हाथों से मेहनत कर और न्यायोचित तरीक़ों से धन का अर्जन करना चाहिए.
* कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए, बल्कि मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से ज़रूरतमंदों की भी मदद करनी चाहिए.
* स्त्री-जाति का आदर करना चाहिए.
* संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारों और बुराइयों पर विजय पाना अति आवश्यक है.
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