नया मकान खरीदना, आपकी जिंदगी के एक बड़े निवेश से जुड़ा फैसला है. कुछ बातों को ध्यान में रखकर आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपका निवेश सुरक्षित है.
प्रॉपर्टी की खरीद में आजकल बहुत ज़्यादा फ्रॉड हो रहे हैं. अपनी जिंदगीभर की मेहनत से कमाए पैसों से आप जो प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं, उसमें आपके साथ कोई धोखाधड़ी न हो, उसके लिए ज़रूरी है कि प्रॉपर्टी खरीदने से पहले उसकी वैधता की पूरी तरह से जांच की जाए.
ज़रूरी है वेरिफिकेशन
प्रॉपर्टी खरीदने से पहले कुछ बातों को वेरीफाई कर लें, ताकि गड़बड़ी की सम्भवना ही न हो.
– बैंक किसी भी टाउनशिप को लोन तभी देते हैं जब वहां का टाइटल और सर्च क्लियर हो. यदि आप किसी टाउनशिप में प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं और वहां सभी बैंक लोन दे रहे हैं तो समझ लें कि वो प्रॉपर्टी सेफ है.
– कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले उसके लिंक डॉक्यूमेंट को ज़रूर चेक करें यानी प्रॉपर्टी अब तक कितनी-बार खरीदी और बेची गई है, ये देख लें. ये आपको पुरानी रजिस्ट्रियों से पता चलेगा. तो जिससे भी प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं, उससे पुरानी रजिस्ट्री की कॉपी ले लें.
– फिर यह देखें कि सभी रजिस्ट्री में डिटेल एक-दूसरे से लिंक हो रही है या नहीं.
– जो आपको प्रॉपर्टी बेच रहा है उसका आइडेंटिटी प्रूफ देखें. इसे डॉक्यूमेंट्स के साथ मैच करें.
– आप जो ज़मीन खरीद रहे हैं, उसका रिकॉर्ड चेक करें. खेत की ज़मीन ले रहे हैं, तो इसके डॉक्यूमेंट्स की जानकारी राज्य सरकार के राजस्व विभाग से मिल जाएगी.
– यदि आप मकान बनवाने के लिए ज़मीन खरीद रहे हैं, तो पहले पता करें कि जहां ज़मीन खरीद रहे हैं वहां रेसिडेंशियल परमीशन है या नहीं. अगर प्रॉपर्टी कमर्शियल या इंडस्ट्रियल है तो वहां आप घर नहीं बना सकेंगे.
– सबसे महत्वपूर्ण होता है यह चेक करना कि जिस कॉलोनी में आप ज़मीन खरीद रहे हैं, वो वैध है या नहीं.
– कई लोगों को लगता है कि सरकार ने रजिस्ट्री कर दी तो प्रॉपर्टी वैध ही होगी, लेकिन ऐसा है नहीं.
मकान खरीदते समय रखें इन 5 बातों का ख्याल
सपनों का घर, ख्वाबों का आशियाना बनाना हर किसी के लिए जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में एक होता है, खासकर मिडल क्लास लोगों के लिए, क्योंकि लोग या तो अपने जीवनभर के सहेजे पैसों से घर लेते हैं या फिर बैंक लोन का सहारा लेते हैं.
ज़्यादातर लोग मकान खरीदने के लिए बिल्डर की प्रतिष्ठा पर निर्भर रहते हैं, लेकिन यह सही नहीं है. मकान खरीदने का एकमात्र मानदंड एकदम सही कागजी-कार्रवाई होना चाहिए, इसलिए कोई भी मकान खरीदते समय एलर्ट रहें और ये सुनिश्चित करने के बाद ही कि बिल्डर ने सभी ज़रूरी काग़ज़ी प्रक्रिया पूरी की है, आगे बढ़ें. इसके अलावा, विभिन्न फोरमों में जाकर बिल्डर की विश्वसनीयता की जांच करनी भी ज़रूरी है. आप उसकी पूर्व या वर्तमान प्रोजेक्ट्स की जांच कर सकते हैं. इसके अलावा इन बातों का भी ख्याल रखें-
टाइटल डीड: प्रोजेक्ट वाली ज़मीन के टाइटल डीड की जांच करना सबसे ज़रूरी है. इससे पता चल जाएगा कि बिल्डर जो संपत्ति बेच रहा है, उस पर उसका मालिकाना हक है या नहीं. उसे उस संपत्ति को बेचने या उसका मालिकाना हक ट्रांसफर करने का अधिकार है या नहीं? इस डीड से यह भी पता चल जाएगा कि संबंधित संपत्ति पर कोई मुकदमा तो नहीं चल रहा है. बेहतर होगा कि टाइटल डीड की जांच करवाने के लिए किसी वकील की मदद लें.
नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) : बहुत कम लोग यह बात जानते होंगे कि एक प्रोजेक्ट बनाने के लिए बिल्डर को अलग-अलग अथॉरिटीज मसलन, पीडब्ल्यूडी, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट, पर्यावरण विभाग, यातायात एवं समन्वय विभाग आदि से 19 एनओसी लेनी पड़ती हैं. विभिन्न शहरों में यह संख्या अलग-अलग हो सकती है. आप अपने डिवेलपर से इन एनओसी की कॉपी अपने पर्सनल रिकॉर्ड में रखने के लिए मांग सकते हैं. इसके अलावा, आपको आरम्भ प्रमाणपत्र यानी सीसी भी देखने पर जोर देना चाहिए. यह प्रमाणपत्र बिल्डर को कानूनी तरीके से वास्तविक निर्माण कार्य शुरू करने की अनुमति देता है. आरम्भ प्रमाणपत्र के बिना किए जाने वाले निर्माण कार्य को गैरकानूनी माना जाता है.
बाधा प्रमाणपत्र: हममें से कोई भी किसी ऐसी संपत्ति में इन्वेस्ट करना नहीं चाहेगा जिस पर कोई मुकदमा चल रहा हो या कोई कानूनी या फाइनेंशियल विवाद हो? ब्रोकर और बिल्डर ज़्यादातर ऐसी सच्चाई को आपके साथ शेयर नहीं करते, लेकिन आपको एलर्ट रहना चाहिए और बाधा प्रमाणपत्र देखने पर ज़ोर देना चाहिए जिससे यह स्पष्ट हो सके कि वो संपत्ति किसी कानूनी विवाद से मुक्त है. इससे भविष्य में आप कई अन्य समस्याओं से बच जाएंगे.
लेआउट प्लान: मकान खरीदने से पहले आपको बिल्डर से लेआउट प्लान दिखाने पर ज़ोर देना चाहिए, जो संबंधित अथॉरिटी द्वारा एप्रूव्ड हो. कई मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि बिल्डर एप्रूव्ड प्लान से हटकर काम करते हैं, जिससे बाद में कई तरह की प्रॉबलम्स खड़ी हो जाती हैं, इसलिए ले आउट प्लान ज़रूर देखें ताकि ये साफ हो जाए कि डेवलपर अप्रूव्ड परमिशनों के आधार पर बिल्डिंग का निर्माण कर रहा है.
परचेज अग्रीमेंट यानी खरीद समझौता: ये भी देख लें कि बिल्डर ने डील करते समय जो-जो वादे किए हैं, वे सब आपके परचेज अग्रीमेंट में लिखे हों. इसमें निर्माण, भुगतान, अपार्टमेंट स्पेसिफिकेशन, अंतिम समय सीमा और किसी भी पक्ष द्वारा अपने वादे से मुकरने पर जुर्माना इत्यादि सारे विवरण होने चाहिए. याद रखें कि इस परचेज अग्रीमेंट के आधार पर ही आप बिल्डर के द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर में कोई गड़बड़ी करने पर उसे ज़िम्मेदार ठहरा सकते हैं.
ये डाक्यूमेंट्स भी जांच लें
बैनामा: घर खरीदने के लिए यह पन्ना सबसे ज़रूरी होता है. असली बैनामा संपत्ति पर आपका मालिकाना हक साबित करता है. जिस इलाके में संपत्ति है, वहीं के सब-रजिस्ट्रार के ऑफिस में जाकर आपको अपनी प्रॉपर्टी रजिस्टर करानी पड़ती है.
खाता प्रमाण पत्र: दस्तावेज इस बात का सबूत होता है कि इस संपत्ति की एंट्री स्थानीय म्युनिसिपल रिकॉर्ड्स में हुई है और एप्रूव्ड प्लान के मुताबिक ही प्रॉपर्टी का निर्माण किया गया है. नई संपत्ति के रजिस्ट्रेशन के लिए यह बेहद ज़रूरी दस्तावेज है. बाद में प्रॉपर्टी का मालिकाना हक किसी और को ट्रांसफर करना चाहें, उस वक्त भी इस डॉक्यूमेंट की ज़रूरत पड़ती है. इसके अलावा होम लोन देने से पहले बैंक भी आपसे यह डॉक्यूमेंट मांगता है.
जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी: किसी संपत्ति की ब्रिकी या खरीद को प्रॉपर्टी के मालिक की ओर से किसी अधिकृत शख्स द्वारा किया जा रहा है, ये सुनिश्चित करने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी ज़रूरी है. होम लोन लेते समय भी आपको इसकी ज़रूरत पड़ेगी.
अलॉटमेंट लेटर: होम लोन के लिए अलॉटमेंट लेटर बेहद ज़रूरी डाक्यूमेंट्स में से एक होता है. ये डेवलपर या हाउसिंग अथॉरिटी द्वारा जारी किया जाता है. इसमें प्रॉपर्टी का विवरण और ग्राहक ने बिल्डर को कितना पैसा दिया है, इसकी जानकारी होती है. यह भी ध्यान रखें कि अलॉटमेंट लेटर सेल अग्रीमेंट से अलग होता है. अलॉटमेंट लेटर जहां अथॉरिटी के लेटर हेड पर जारी किया जाता है, वहीं सेल अग्रीमेंट स्टैंप पेपर पर तैयार किया जाता है.
सेल एग्रीमेंट: सेल एग्रीमेंट में प्रॉपर्टी की पूरी जानकारी जैसे नियम व शर्तें, पोजेशन की तारीख, पेमेंट प्लान, विवरण, कॉमन एरिया और सुविधाओं की जानकारी होती है. प्रॉपर्टी खरीदने और होम लोन के लिए इस डॉक्यूमेंट की ओरिजनल कॉपी दिखानी पड़ती है.
पजेशन लेटर: यह डॉक्यूमेंट बिल्डर द्वारा दिया जाता है. इसमें वह तारीख लिखी होती है, जब बिल्डर ग्राहक को प्रॉपर्टी सौंपेगा.
प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें: घर के मालिक को नियमित रूप से प्रॉपर्टी टैक्स चुकाना पड़ता है. यह भी सुनिश्चित करें कि पिछले मालिक ने प्रॉपर्टी टैक्स चुकाया है और अब कोई बकाया नहीं है. प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें संपत्ति की कानूनी स्थिति साबित करने में भी मदद करती हैं.
पेमेंट की रसीदें: अगर आप नया मकान खरीद रहे हैं तो अपने बिल्डर से पेमेंट की ओरिजनल रसीदें ज़रूर लें.
कंप्लीशन प्रमाणपत्र: यह डॉक्यूमेंट होम लोन लेने के लिए ज़रूरी होता है. इससे यह भी साबित होता है कि बिल्डिंग का निर्माण स्वीकृत प्लान के तहत हो रहा है.
ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट: ये बिल्डर को स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी किया जाता है. ये एक तरह से इस बात का प्रमाणपत्र है कि बिल्डिंग पूरी तरह से रहने लायक है और मंजूर किए गए प्लान के मुताबिक कंस्ट्रक्शन किया गया है.
क्या आप जानते हैं कि…
– प्रॉपर्टी के मालिक के लिए रजिस्ट्री के दस्तावेजों पर अपना फोटो लगाना जरूरी है.
– दोनों पार्टी एक-दूसरे की मौजूदगी में रजिस्ट्री के दस्तावेजों पर दस्तखत करते हैं.
– प्रतिभा तिवारी
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