बहू के हाथ बालों पर फिसलते रहे और अम्मा रोती रहीं. जाने क्यों, आज रुलाई रुक ही नहीं रही थी.…
शाम को भी काफ़ी देर तक अभ्यास करती. टीवी, मोबाइल से उसने दूरी बना रखी थी. इनका प्रयोग वह कम…
उन्हें यह एहसास हो गया था कि इंसान जीना चाहे, तो राहें हज़ार हैं. दूध उबलकर गिरने लगा, तब वे अपनी सोच…
इस अपमान पर प्रसून और रचना दोनों ही स्तब्ध रह गए. स्त्री-पुरुष में पवित्र और मर्यादित सखा भाव वाला शालीन…
उस पेड़ पर कुछ पंछी उछल-कूद रहे थे. कभी वो इस डाली पर बैठते, तो कभी उस पर. उनकी हरक़तों…
पूनम ठिठक कर उसकी दंतुरित मुस्कान को देखती रही. कल बेवजह खिलौने ख़रीदने का मलाल मन से दूर हो गया.…
विचारों की रेल पूरी तेज़ी से दौड़ रही थी. तभी फोन की घंटी बजी और रेल वर्तमान के स्टेशन पर…
"… आपको याद है, आप किस तरह मुझे मैथिलीशरण गुप्तजी की वो पंक्तियां सुनाते थे- जो भरा नहीं है भावों…
ममता यदि यह सब सुन लेती तब क्या होता? नहीं-नहीं, उसे कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए, वरना उसका बीमार…
"क्यों जा रही हो? यहीं रहो अपने घर, जो सम्मान कभी-कभी जाने से मिलता है, वो वहां बस जाने से…