सिर्फ़ त्योहार ही नहीं, रिश्तों का भी जश्न मनाएं (Celebrate Not Just Festivals But Relationships Too)
रिश्तों के बिना हर त्योहार फीका है और अगर आपके रिश्तों में प्यार व अपनापन है, तो हर दिन त्योहार सा रोशन लगता है. तो इस फेस्टिवल सीज़न में अपने रिश्तों में भी इन्वेस्ट करें और त्योहार के साथ-साथ अपने रिश्तों का भी जश्न मनाएं, ताकि आपका फेस्टिवल टाइम बन जाए फन टाइम.
इस स्ट्रेसफुल लाइफस्टाइल में हमारे फेस्टिवल्स ही होते हैं, जो हमको एक ब्रेक देते हैं और रिफ्रेश करके ऊर्जा से भर देते हैं. ऐसे में अगर हम अपनों के साथ फेस्टिवल का मज़ा लें, तो ये मज़ा कई गुना बढ़ जाता है. सिर्फ़ मज़ा ही नहीं, त्योहार की तैयारियां भी अगर सब मिल-जुलकर करें, तो थकावट भी कम होती है और माहौल भी हल्का-फुल्का रहता है. तो कैसे मनाएं हम अपने रिश्तों का जश्न, आइए जानते हैं.
फन विद फ्रेंड्स की जगह फन विद पैरेंट्स का फ़ॉर्मूला अपनाओ
जी हां, अक्सर आजकल हम हर चीज़ का मज़ा अपने दोस्तों के साथ ही लेना पसंद करते हैं, फिर चाहे वो पार्टी करना हो या शॉपिंग. लेकिन इस बार फेस्टिवल में अपने घर पर रहकर अपने पैरेंट्स के साथ सेलिब्रेट करें. उनके साथ रिश्तेदारों के घर जाएं. अपने कज़िंस और अन्य रिलेटिव्स के साथ अपना बॉन्ड स्ट्रॉन्ग करें.
अपने पैरेंट्स और रिश्तेदारों को आउटडेटेड या बोरिंग समझने की बजाय उनके नज़रिए से फेस्टिवल और उसके महत्व को देखें.
महज़ आपके साथ होने से वो कितना ख़ुश हैं, इसे समझें. आपका सहयोग और सपोर्ट उनको ख़ुशी और कॉन्फिडेंस देता है.
पुरुष भी घर के कामों की ज़िम्मेदारी लें
चाहे घर की साफ़-सफ़ाई हो या फिर सजावट, हर काम में दिलचस्पी लेकर अपना सहयोग और सलाह दें.
ये न सोचें कि ये काम तो सिर्फ़ महिलाओं का है.
सभी अपनी-अपनी ड्यूटी लगा दें और फेस्टिवल में घर व बाहर के काम बांट लें.
डेकोरेशन और साफ़-सफ़ाई के दौरान बीच-बीच में ब्रेक भी लें.
काम के वक़्त चिढ़ने की बजाय सब बैठकर हंसी-मज़ाक और लाइट बातें करें. इससे स्ट्रेस भी महसूस नहीं होगा और काम भी बेहतर होगा.
सबके आइडियाज़ डेकोर को और बेहतर करेंगे.
सब मिलकर काम करेंगे, तो थकान कम महसूस होगी और मज़ा दुगुना हो जाएगा. काम का टाइम भी आपके लिए फन टाइम बन जाएगा.
बच्चों से भी आइडियाज़ लें. उनको अपने प्लांस में शामिल करें.
कुछ सामान बच्चों की चॉइस से भी लें.
अगर ऑनलाइन शॉपिंग करनी है, तो उनसे सलाह लें.
बच्चों का इससे उत्साह बढ़ेगा, उनको लगेगा कि आप उन पर भरोसा करते हैं और उनकी सलाह का भी महत्व है.
उनके काम में कमियां निकालने की बजाय उनके प्रयास की थोड़ी तारीफ़ करें.
बेहतर होगा कि उनको कुछ वक़्त अपने दोस्तों के साथ भी बिताने की छूट ख़ुशी-ख़ुशी दें या उनके दोस्तों को घर पर इन्वाइट करें.
सीनियर सिटिज़न्स को इग्नोर न करें
घर के बड़े-बुजुर्गों को भी इन्वॉल्व करें. उनसे सलाह-मशविरा करें.
उनका अनुभव आपकी सहायता ही करेगा.
पूजा विधि, रीति-रिवाज़ उनसे बेहतर आपको और कोई नहीं बता पाएगा.
फेस्टिवल में किस तरह तैयारी करनी है और क्या-क्या सामान ज़रूरी है, इसका गाइडेंस लें. इससे सबके बीच कम्युनिकेशन बेहतर होगा.
बुज़ुर्गों की भी पसंद-नापसंद का ख़्याल रखें, ताकि उन्हें भी अपने महत्व का एहसास हो.
बुज़ुर्गों की आदत होती है थोड़ा मीन-मेख निकालने की. इसके पीछे उनकी मंशा यही होती है कि हम बड़े हैं, तो हम बेहतर गाइड कर सकते हैं, इसलिए उनकी बातों का न तो बुरा मानें और न ही पलटकर उल्टा जवाब दें.
काम के दौरान ग़ुस्सा या बहस आपका मूड और काम दोनों को ही बिगाड़ सकते हैं, इसलिए इससे बचने का प्रयास करें.
सिर्फ़ फेस्टिवल ही क्यों हर दिन मनाएं रिश्तों का जश्न
ज़िंदगी और रिश्तों में पॉज़िटिव अप्रोच रखें.
एक-दूसरे की पसंद का भी ख़्याल रखें.
आपके पार्टनर को कोई ख़ास रंग पसंद है, तो उसका ध्यान रखें.
सिर्फ़ फेस्टिवल में ही नहीं, बल्कि हर दिन अपने रिश्तों को बेहतर बनाए रखने के लिए एफर्ट करें.
कुछ रूल्स बनाएं और सभी उनका ईमानदारी से पालन करें, जैसे- एक साथ ब्रेकफास्ट या डिनर करना, खाते वक़्त टीवी या मोबाइल न देखें, खाना सर्व करते समय आपस में बातें करें, दिनभर की बातें शेयर करें.
अपनी प्रॉब्लम्स भी अपनों से छिपाने की बजाय उनसे साझा करें.
अपने बच्चों को दूर के रिश्तेदारों से भी टच में रखें. उनको अपने कल्चर और परिवार के बारे में बताते रहें.
छुट्टी के दिन सब रिलैक्स करें. मिलकर कुकिंग करें या बाहर से खाना मंगाकर सब फेवरेट मूवी देखें या अन्ताक्षरी एंजॉय करें.
हर दिन छोटी-छोटी कोशिशें आपके रिश्तों को बेहतर बनाएंगी.