पारंपरिक रिश्तों के बदल रहे हैं मायने (Changing Culture of Relationship)


ग्लोबल हुई है सोचः यह सच है कि विकास और आधुनिकता की तीव्र लहर ने सबसे ज़्यादा असर अगर किसी पर डाला है, तो वे हैं हमारे आपसी रिश्ते (Changing Culture of Relationship). इंटरनेट, तकनीक, एक्सपोज़र और बढ़ती महत्वाकांक्षाएं- ये तमाम ऐसे पहलू हैं, जिन्होंने इंसान की सोच को बदलाव की ओर उन्मुख किया है. हर चीज़ एक क्लिक पर उपलब्ध होने के कारण दुनिया सिमट गई है.

बदलाव को खुले दिल से स्वीकारा जा रहा हैः रिश्तों के बीच जो एक समय में व्यापक दूरियां हुआ करती थीं, वे अब कम हो गई हैं और किसी-किसी रिश्ते (Changing Culture of Relationship) में तो ख़त्म ही हो गई हैं. सोच के ग्लोबल होने के साथ-साथ पति-पत्नी, भाई-बहन, सास-बहू, ससुर-बहू, मां-बेटी, पिता-पुत्र/पुत्री- कहने का अर्थ यह है कि हर तरह के पारंपरिक रिश्तों में एक बदलाव आया है, जिसे हम सबने खुले दिल से स्वीकारा भी है.
पिता-पुत्र/पुत्री का रिश्ता: एक ज़माना था जब बच्चों के लिए पिता किसी तानाशाह से कम नहीं होते थे. बच्चों कोकोई बात अपने पिता तक पहुंचानी होती थी, तो वे मां के माध्यम से पहुंचाते थे. सुखद बात तो यह है कि इस रिश्ते में एक बहुत ही प्यारा बदलाव देखने को मिल रहा है. बच्चे अपने पिता से अब दूरी बनाकर नहीं चलते. उनके बीच अब एक मित्रवत् व्यवहार कायम हो गया है. वे अपनी हर बात पिता से शेयर करने लगे हैं. इस रिश्ते में अब हंसी-मज़ाक भी होता है और रूठना-मनाना भी. इस रिश्ते में अब डर की जगह एक बेबाकी और प्यार ने ले ली है.

सास-बहू का रिश्ता: यह एक ऐसा रिश्ता है, जिसे लेकर सबसे ज़्यादा डर और अनिश्‍चितता बनी रहती थी. बहू को सास के नाम से डर लगता था और सास को बहू के अस्तित्व से, पर अब न तो टिपिकल सास का ज़माना रहा है और न ही सास के दबदबे को चुनौती देनेवाली बहू का. शिक्षित और वर्किंग सास न स़िर्फ अब बहू को अपनी तरह से जीने की आज़ादी देती है, बल्कि उसके साथ हर तरह से एडजस्ट करने की कोशिश भी करती है. वह उसकी इच्छाओं को समझती है और उसे मनचाहा करने के लिए बढ़ावा भी देती है. इसी तरह बहू का व्यवहार भी सास के प्रति बदल गया है. वह उसे मां की तरह सम्मान भी देती है और एक दोस्त का दर्जा भी. दोनों के रिश्ते में जो खुलापन इस समय देखने को मिल रहा है, वह सराहनीय है.

पति-पत्नी का रिश्ता: जीवन के इस सबसे महत्वपूर्ण रिश्ते (Changing Culture of Relationship) में जो बदलाव आया है, उसने तो वैैवाहिक समीकरणों को भी परिवर्तित कर दिया है. पति अब पत्नी को डॉमीनेट नहीं करता, न ही उसे अपने से कमतर समझता है. पहले माना जाता था कि घर के दायित्वों को पूरा करना पत्नी का काम है. अब पति घर के कामों में तो पत्नी को सहयोग देता ही है, साथ ही बेबी सिटिंग भी करता है. बच्चा बीमार हो, तो ज़रूरत के हिसाब से वह छुट्टी लेता है और पत्नी काम पर जाती है. आपसी रिश्तों में अब पहले की तरह घुटन नहीं रही है, बल्कि दोनों एक-दूसरे को स्पेस देते हैं. पति अपनी पत्नी के काम से जुड़ी कमिटमेंट्स को समझता है और उसे बात-बात पर टोकता भी नहीं है. पति-पत्नी अब दोस्तों की तरह व्यवहार करने लगे हैं.

भाई-बहन का रिश्ता: हालांकि इस रिश्ते में सदा ही एक मधुरता रही है, फिर भी बहनें भाई से डरा करती थीं, लेकिन इस रिश्ते (Changing Culture of Relationship) में भी अब मित्रता ने जगह ले ली है. वे एक-दूसरे के साथ अपनी बातें शेयर करते हैं और समस्या का हल भी मिलकर ढूंढ़ते हैं. बहन भी अब इतनी सक्षम हो गई है कि वह अपने भाई की रक्षा कर सके, उसे गाइड कर सके और वह ऐसा करती भी है.

दोस्ती का रिश्ता: दोस्ती के रिश्ते में अब व्यापक परिवर्तन आ गया है. केवल पुरुष-पुरुष ही नहीं, स्त्री-पुरुष की दोस्ती में भी परिवर्तन आया है. चैटिंग, पार्टी और साथ घूमना आम बात हो गई है. इस खुलेपन की वजह से, जहां संकीर्णता पर उन्होंने प्रहार किया है, वहीं दूसरी ओर इन रिश्तों के बीच व्याप्त हिचक टूटने से बहुत सारी परेशानियां भी कम हुई हैं. वे एक-दूसरे के मददगार साबित हो रहे हैं.

बदलाव का अन्य पहलू भी हैतमाम पारंपरिक रिश्तों में आए बदलाव का प्रभाव पॉ़ज़िटिव ही हुआ है, ऐसा भी नहीं कहा जा सकता है. इस बदलाव के कई अन्य पहलू भी हैं.

  • रिश्तों में आए खुलेपन ने सीमाएं तोड़ने को विवश किया है, जिससे मर्यादाएं आहत हुई हैं.
  • हमारी संवेदनशीलता में कमी आई है, जिसकी वजह से लोग एक-दूसरे को फॉर ग्रांटेड लेने लगे हैं.
  • सहज होना अच्छा है, पर इतना नहीं कि उससे दूसरे की भावनाएं आहत हों.
  • रिश्ता चाहे जो हो, वह अत्यधिक नाज़ुक और संवेदनशील होता है. केवल निभाना ही नहीं, उसे संभालना भी आवश्यक है.
  • दिल की बात खुलकर कहें, पर रिश्तों में ऐसा खुलापन न आए, जो अश्‍लीलता या बेशर्मी की झलक दिखाए.
  • हालांकि बदलते परिवेश में रिश्तों के मायने बदले अवश्य हैं, पर रिश्तों की अहमियत पहले जितनी ही है.
  • हर स्थिति में अपने रिश्ते को सदाबहार रखने का एक ही मंत्र है, हर रिश्ते को समुचित आदर देना.

– सुमन बाजपेयी

Meri Saheli Team

Share
Published by
Meri Saheli Team

Recent Posts

बीमारियों से दिलाएंगी छुटकारा अदरक की ये इफेक्टिव होम रेमेडीज़ (11 Surprising Health Benefits Of Ginger)

यूं तो अदरक हमारे रोज़मर्रा के खानपान में शामिल ही रहता है, फिर वो सुबह…

April 16, 2024

लहान मुलांना धाडस आणि जिद्दीचं बाळकडू देणाऱ्या ॲनिमेटेड ‘बुनी बियर्स’ चित्रपटाचे पोस्टर लॉंच! (The Poster Launch Of The Animated Movie ‘Bunny Bears’, Which Gives Courage And Stubbornness To Children!)

कोवळ्या वयात असणाऱ्या मुलांच्या अंगी चांगल्या संस्कारांची जर पेरणी झाली, तर मुलं मोठी होऊन नक्कीच…

April 16, 2024

‘कौन बनेगा करोडपती’च्या १६ व्या सीझनची घोषणा, अमिताभ बच्चनचा प्रोमो व्हायरल ( Kaun Banega Crorepati 16 Promo Registration Begins Amitabh Bachchan Announces It)

'कौन बनेगा करोडपती'च्या चाहत्यांसाठी एक आनंदाची बातमी आहे. अमिताभ बच्चन लवकरच त्यांच्या शोच्या 16व्या सीझनसह…

April 16, 2024
© Merisaheli