अक्सर लोग पर्सनल लोन के बारे में पूरी जानकारी न होने के कारण लोन लेने से हिचकिचाते हैं, जबकि इसके ज़रिए हम अपनी हर तरह की पर्सनल ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं. बैंकों व विभिन्न वित्तीय संस्थाओं द्वारा निश्चित ब्याज़ दर पर पर्सनल लोन की सुविधा प्रदान की जाती है यानी घूमने जाने से लेकर, टीवी ख़रीदने, ज्वेलरी ख़रीदने, बिज़नेस शुरू करने, क्रेडिट कार्ड का पैसा भरने तक की किसी भी ज़रूरत के लिए पर्सनल लोन प्राप्त किया जा सकता है. पर्सनल लोन के रूप में न्यूनतम 50,000 रुपए से लेकर अधिकतम 50,0000 रुपए तक की रकम प्राप्त की जा सकती है. आप इन पैसों को किस तरह इस्तेमाल करते हैं इससे बैंक या आर्थिक संस्थाओं को कोई सरोकार नहीं रहता. पर्सनल लोन किस तरह प्राप्त किया जा सकता है और इसे लेते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? आइए, जानने की कोशिश करते हैं.
समझें प्रोसीजर
भारत के लगभग सभी बैंक पर्सनल लोन देते हैं. लोन देने के हर बैंक के अलग-अलग नियम और प्रोसीजर हैं. आप जिस बैंक या फ़ांयनेंशियल इंस्टिटयूट से लोन लेना चाहते हैं वहां के नियम और लोन प्रोसीजर को अच्छी तरह समझ लें. हो सके तो लोन देने के लिए बैंक द्वारा दिए जाने वाले एप्लीकेशन फ़ॉर्म को घर ले जाकर उसमें दिए गए सारे कॉलम व जानकारियां अच्छी तरह पढ़ें और पूरी तसल्ली कर लेने के बाद ही प्रोसीजर आगे बढ़ाएं.
रेग्युलर बैंक को प्राथमिकता दें
जिस बैंक में आपका अकाउंट है यानी जिस बैंक के आप नियमित ग्राहक हैं वहीं लोन के लिए अप्लाई करें. आमतौर पर बैंक भी रेग्युलर और भरोसेमंद कस्टमर्स को ही प्राथमिकता देते हैं. किसी दूसरे बैंक में लोन के लिए अप्लाई करने पर आमतौर पर बैंक वाले यही सवाल करते हैं कि आपने अपने बैंक में क्यों नहीं अप्लाई किया? अगर आप नियमित बैंक से लोन नहीं लेना चाहते तो दूसरे बैंक को उसकी स्पष्ट वजह बताएं.
जानें इंटरेस्ट रेट
हर बैंक अलग-अलग ब्याज दर पर लोन देता है. कुछ बैंकों में ब्याज दर फ़िक्स होती है, वहीं कुछ बैंक रेड्यूसिंग बैलेंस पर ब्याज़ देते हैं. उदाहरण के लिए- अगर आपने 1 लाख रुपए का लोन लिया और हर महीने आपको 5 हज़ार रुपए वापस करने हैं, तो पहले महीने इंटरेस्ट रेट 1 लाख रुपए पर लगेगा और अगले महीने बची हुई राशि यानी 95 हज़ार रुपए पर. इस तरह हर महीने इंटरेस्ट कम होता जाएगा. वहीं कई बैंक व संस्थाएं ़फ़्लैट रेट ऑफ़ इंटरेस्ट पर लोन देती हैं, जैसे- यदि आपने 1 लाख रुपए का लोन लिया है और आपको हर महीने 5 हज़ार रुपए ईएमआई भरनी है तो भी इंटरेस्ट हमेशा 1 लाख की कैपिटल राशि पर ही देना पड़ता है.
ईएमआई
लोन का सीधा संबंध इनकम (आय) से होता है. अत: इनकम के आधार पर ही ईएमआई की राशि फ़िक्स करें. इस बात का ध्यान रखें कि ईएमआई की राशि आपकी इनकम के 50% से ़ज़्यादा न हो. ईएमआई देते समय हर महीने बैंक में ईएमआई भरने की तिथि तय कर लें. अगर आप नौकरीपेशा हैं और आपकी सैलेरी 5 तारीख़ को मिलती है तो ईएमआई भरने के लिए 7 और 10 के बीच की कोई तारीख़ बैंक को देें. अगर आपकी सैलरी मिलने की कोई तारीख़ फ़िक्स नहीं है, तो ईएमआई भरने की तारीख़ तय करते समय सावधानी बरतें, क्योंकि तय समय पर पैसे न भरने पर बैंक पेनाल्टी चार्ज कर सकता है और एक बार इमेज बिगड़ जाने पर भविष्य में लोन प्राप्त करने में मुश्किल हो सकती है.
फ़िक्स और फ़्लोटिंग इंटरेस्ट रेट
लोन लेते समय तय कर लें कि आप फ़िक्स्ड रेट पर लोन लेना चाहते हैं या ़फ़्लोटिंग रेट पर. फ़िक्स्ड रेट ऑफ़ इंटरेस्ट के अंतर्गत लोन लेते समय जो इंटरेस्ट रेट चल रहा है लोन की राशि चुकाने तक आपको उसी रेट पर पेमेंट करनी पड़ती है. उदाहरण के लिए- जिस समय आपने लोन लिया उस समय यदि इंटरेस्ट रेट 12% था तो पूरा लोन चुकाने तक आपको 12% इंटरेस्ट ही देना होगा. वहीं फ़्लोटिंग रेट ऑफ़ इंटरेस्ट में इंटरेस्ट रेट समय व बैंक की पॉलिसी के अनुसार बदलता रहता है. उदाहरण के लिए- यदि आपके लोन लेते समय इंटरेस्ट रेट 12% था और कुछ समय बाद वह बढ़कर 12.5% हो गया या कम होकर 11% हो गया, तो आपको नए इंटरेस्ट रेट के अनुसार डाउन पेमेंट करनी होगी. अत: इंटरेस्ट रेट के लिए पॉलिसी चुनते समय विशेषज्ञ से सलाह ज़रूर लें. अगर आपको लगता है कि आने वाले समय में इंटरेस्ट रेट कम हो सकता है तो ़फ़्लोटिंग इंटरेस्ट पर लोन लें. इसी तरह यदि आपको लगता है कि भविष्य में इंटरेस्ट बढ़ सकता है तो फ़िक्स्ड इंटरेस्ट रेट पर लोन लें.
सावधानी से काम लें
लोन इंक्रीमेंट की कॉपी को अच्छी तरह पढ़कर सारे टर्म्स और कंडीशन्स समझने के बाद ही लोन पेपर पर साइन करें. स़िर्फ बैंक वालों की बातों पर आंख मूंदकर भरोसा करने के बजाय पूरी तरह तसल्ली करने के बाद ही एग्रीमेंट पर साइन करें.
अन्य जानकारियां हासिल करें
पर्सनल लोन के लिए बैंक प्रोसेसिंग फ़ीस के बारे में जानकारी हासिल कर लें. इसके अलावा समय से पहले लोन भरने पर लगने वाले पेनाल्टी चार्ज के बारे में भी पता कर लें.
कितनी रकम लें?
लोन लेना भले ही अब आम बात हो गई है, लेकिन है तो कर्ज़ ही. अत: उतनी ही रकम लोन लें, जिसे आप आसानी से चुका सकें. बहुत ़ज़्यादा लोन लेने से उसे भरने में परेशानी हो सकती है.
निगेटिव लिस्ट की जानकारी रखें
बहुत-से बैंक और आर्थिक संस्थाएं निगेटिव लिस्ट रखती हैं. उस लिस्ट में उन प्रो़फेशन्स के नाम शामिल होते हैं, जिन्हें बैंक लोन नहीं देना चाहते. इस लिस्ट में कभी-कभी वकील और टीचर भी शामिल होते हैं. अत: लिस्ट के बारे में पूरी जानकारी हासिल करने की कोशिश करें. ऐसा न हो कि सारी औपचारिकताएं पूरी कर लेने के बाद आपको निराश होना पड़े.
ज़रूरी दस्तावेज तैयार रखें
पर्सनल लोन के लिए रेसिडेंट प्रूफ़, फ़ोटो, आईडेंटिटी प्रूफ़, इनकम प्रूफ़ आदि की आवश्यकता पड़ती है. इसके लिए राशन कार्ड, बिजली बिल, पैन कार्ड, 3 या 6 महीने का बैंक स्टेटमेंट जैसे दस्तावेजों की ज़रूरत पड़ती है. यदि आप नौकरीपेशा हैं तो फ़ॉर्म नंबर 16 के साथ लेटेस्ट सैलरी स्लिप बैंक में जमा करानी पड़ती है. कई बैंक व संस्थाएं सी.ए. द्वारा सर्टिफ़ाइड इनकम टैक्स के पेपर्स की मांग भी करते हैं. सारे ज़रूरी पेपर्स और फ़ायनेंशियल स्टेटमेंट देखने के बाद ही बैंक लोन की राशि तय करती है. अत: अंतिम समय में भागदौड़ से बचने के लिए ज़रूरी दस्तावेज पहले तैयार रखें. बैंक में जमा किए जाने वाले सभी दस्तावेजों की फ़ोटोकॉपी अपने पास ज़रूर रखें.
डीएसए (डायरेक्ट सेल्स एसोसिएट्स)
कई बैंक पर्सनल लोन के लिए इच्छुक कस्टमर्स को अप्रोच करने के लिए प्राइवेट कंपनी या फ़र्म को आउटसोर्स करते हैं. ऐसी प्राइवेट कंपनी का संबंध बैंक से स़िर्फ व्यापारिक स्तर पर होता है. अत: यदि कोई व्यक्ति आपसे लोन दिलाने के लिए अप्रोच करता है तो उससे पूछें कि वह किसी बैंक से आया है या फिर किसी निजी संस्था (डायरेक्ट सेल्स कमीशन) से. उस व्यक्ति का आईडी कार्ड या विज़िटिंग कार्ड अवश्य चेक कर लें, ताकि बाद में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े.
एजेंटों से सावधान
बाज़ार में ऐसे एजेंट भी मौजूद हैं जो न किसी बैंक से संबंध रखते हैं और न ही किसी निजी संस्था से या डीएसए से. इस तरह के लोगों का मक़सद किसी तरह कस्टमर को लोन के लिए राज़ी करना होता है. लोन दिलाने के लिए वे कस्टमर से अच्छा-ख़ासा कमीशन ऐंठ लेते हैं. इनसे बचने के लिए किसी भरोसेमंद फ़ायनेंशियल प्लानर या फिर सी.ए. से एक बार अवश्य बात कर लें.
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