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फायनेंशियल प्लानिंग शादी से पहले और शादी के बाद (Financial Planning Before & After Marriage)

कहते हैं, शादी सभी रिश्तों से बढ़कर है, क्योंकि इस रिश्ते में दो ज़िंदगियां साथ मिलकर एक परिवार बनाती हैं. मगर जब ये ज़िंदगियां फ़ायनेंशियल मैटर्स पर लड़ती-झगड़ती हैं तो परिवार को बिखरते देर नहीं लगती. ऐसा आपके साथ न हो, इसके लिए ज़रूरी है शादी से पहले और शादी के बाद फ़ायनेंशियल प्लानिंगआप जानती हैं कि लगभग 65% न्यूली मैरिड कपल्स शादी के एक साल के अंदर ही लड़ने-झगड़ने लगते हैं. इनमें से कई मामलों में अलगाव तक की स्थिति पैदा हो जाती है. आख़िर ऐसा क्यों होेता है? ऐसा होता है सही प्लानिंग के अभाव में.अब आप सोच रही होंगी कि शादी तो बहुत प्लानिंग से की जाती है, जैसे- डेकोरेशन, कैटरिंग, हेयर ड्रेसिंग, शादी की जगह, हनीमून इन सबकी प्लानिंग की जाती है. हां, यह सही है, पर अक्सर कपल्स जिस महत्वपूर्ण चीज़ की प्लानिंग करना भूल जाते हैं, वह है फ़ायनेंशियल प्लानिंग. शादी दो ज़िंदगियों का ही मिलन नहीं, बल्कि दो अलग-अलग लाइफ़स्टाइल जी रहे लोगों का भी मिलन होता है, जिनके पैसे बचाने या ख़र्च करने का तरीक़ा भी अलग-अलग होता है. अतः शादी से पहले और शादी के बाद फ़ायनेंशियल प्लानिंग ज़रूर करनी चाहिए.

शादी के पहले की फ़ायनेंशियल प्लानिंग
शादी से पहले की फ़ायनेंशियल प्लानिंग में ज्वेलरी ख़रीदने, शादी की प्लानिंग करने, डेट पर जाने इत्यादि के ख़र्चे शामिल होते हैं.

कर्ज़ लेकर न करें ख़र्च
आजकल ज़्यादातर कपल्स शादी से पहले एक-दूसरे को समझने के लिए डेट पर जाते हैं. डेटिंग के दौरान कई बार भावी जीवनसाथी को इंप्रेस करने के लिए कपल्स महंगे ग़िफ़्ट्स ले जाते हैं. जब महंगे ग़िफ़्ट के लिए जेब साथ नहीं देती तो वे दोस्तों या रिश्तेदारों से पैसे उधार लेते हैं. भले ही ऐसी उधारी ग़लत न लगे फिर भी इससे बचना चाहिए, क्योंकि उधार तो उधार है. और फिर अपनी नई ज़िंदगी की शुरुआत ही उधार से करना कहां की समझदारी है? अतः जिंदगी की शुरुआत उधार से नहीं, बल्कि सही फ़ायनेंशियल प्लानिंग से करें.

समझदारी से करें ज्वेलरी शॉपिंग
आम भारतीय परिवारों में शादी से पहले के ख़र्चों का एक बड़ा हिस्सा ज्वेलरी शॉपिंग पर ख़र्च होता है, अतः ज्वेलरी शॉपिंग समझदारी से करनी चाहिए. ज्वेलरी की शुद्धता पर ख़ास ध्यान देना ज़रूरी है. सोने के गहने हॉलमार्क वाले ही होने चाहिए. ज्वेलरी ख़रीदते समय इस बात का ध्यान रखना भी ज़रूरी है कि ऐसी ज्वेलरी को प्राथमिकता दी जाए, जिसकी री सेल वैल्यू अच्छी हो.

शादी की प्लानिंग
शादी की जगह दोनों पक्षों की सुविधा के अनुसार तय करनी चाहिए. इस पर होने वाले ख़र्च को दोनों पक्षों द्वारा वहन किया जाना चाहिए. लोग शादियों में दिखावे पर काफ़ी ख़र्च कर देते हैं, इससे बचने की कोशिश दोनों पक्षों को करनी चाहिए. इस पैसे का इस्तेमाल गृहस्थी के लिए ज़रूरी वस्तुओं को ख़रीदने में किया जा सकता है.

शादी के बाद की फ़ायनेंशियल प्लानिंग
शादी के बाद ही कपल्स की असली ज़िंदगी की शुरुआत होती है, अतः एक-दूसरे को समझने के साथ-साथ एक-दूसरे की आर्थिक स्थिति, ़फ़ायनेंशियल फ़्यूचर प्लान इत्यादि को भी समझें और अपनी मैरिड लाइफ़ को आर्थिक समस्याओं से दूर रखें.

फ़्यूचर प्लान्स करें डिस्कस
फ़ायनांस से जुड़े अपने फ़्यूचर प्लान्स पार्टनर के साथ डिस्कस करें, जैसे- आप कहां और कितना इन्वेस्ट करना चाहती हैं, नया घर लेने के लिए होम लोन लेना ठीक रहेगा या उसके लिए अभी से सेविंग करनी चाहिए इत्यादि. इस बारे में पार्टनर की सलाह को नज़रअंदाज़ न करें.

अपना एक अलग सेविंग अकाउंट रखेें
ज़्यादातर न्यूली मैरिड कपल्स (नवविवाहित जोड़े) शादी के बाद अपने सेप्रेट (अलग) बैंक अकाउंट को ज्वाइंट (संयुक्त) अकाउंट में बदल देते हैं. उनका ऐसा सोचना होता है कि अब हमारे बीच में अलग क्या है? पर ऐसा सोचना ठीक नहीं, क्योंकि ज्वाइंट अकाउंट में अक्सर रुपये-पैसे के हिसाब को लेकर ग़लतफ़हमी की स्थिति पैदा हो जाती है. ़ज़्यादा ख़र्च के लिए पार्टनर एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं. अतः बेहतर यही होगा कि दोनों पार्टनर अपना अलग-अलग सेविंग अकाउंट खुलवाएं. हां, सेप्रेट या ज्वाइंट कोई भी अकाउंट खुलवाते समय पार्टनर से सलाह मशविरा ज़रूर करें, अपने अकाउंट के बारे में उसे जानकारी दें और सबसे महत्वपूर्ण बात, जीवनसाथी को ही अपने अकाउंट का नॉमिनी बनाएं.

मंथली (मासिक) होम बजट प्लानिंग करें
जैसे हम अपने बिज़नेस और अन्य ख़र्चों का बजट बनाते हैं, उसी तरह घर के ख़र्च का भी बजट बनाना ज़रूरी है. चूंकि ऐसा रोज़-रोज़ करना संभव नहीं होता, अतः मंथली यानी मासिक होम बजट प्लानिंग करनी चाहिए. इससे आप अपने पैसे का ट्रैक रिकॉर्ड रख सकेंगी और आपको यह भी पता चलेगा कि पैसा कहां और कितना ख़र्च होता है. मंथली बजटिंग में पार्टनर की भी सहायता लें, ताकि दोनों को घर की ज़रूरतों के बारे में पता चल सके. हो सकता है, शुरुआत में मंथली बजटिंग आपको उबाऊ लगे और बजट प्लान करने में काफ़ी समय लगे, पर आगे चलकर यह आसान हो जाएगा. इसमें आधा घंटा भी नहीं लगेगा. होम बजटिंग में जेब ख़र्च, बिल पेमेंट जैसे रेग्युलर ख़र्चों को भी शामिल करें.

इमरजेंसी के लिए रहें तैयार
अधिकतर न्यूली मैरिड कपल्स सोचते हैं कि हम तो अभी काफ़ी यंग हैं, अच्छा-ख़ासा कमा भी रहे हैं, हम पर कौन-सी मुसीबत आएगी? इस चक्कर में वे अपनी पूरी कमाई या कई बार उससे भी ़ज़्यादा ख़र्च कर देते हैं. नौकरी छूटने, कोई बड़ी बीमारी या दुर्घटना होने जैसी इमरजेंसी (आपात कालीन स्थिति) का सामना करने के लिए वे फ़ायनेंशियली सक्षम नहीं होते. अतः कपल्स को चाहिए कि वे अपनी मौजूदा ज़रूरतों को पूरा करने के साथ ही इमरजेंसी के लिए भी पैसे बचाएं. इसके लिए वे एक अलग सेविंग अकाउंट खुलवा सकते हैं और अपनी सहूलियत के अनुसार हर महीने कुछ रुपये उसमें नियमित रूप से जमा करवा सकते हैं.

इंश्योरेंस ज़रूर कराएं
मैरिड कपल्स के लिए इंश्योरेंस कराना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि उन पर स़िर्फ ख़ुद की ही नहीं, बल्कि अपने पार्टनर की भी ज़िम्मेदारी होती है. न्यूली मैरिड कपल्स को लाइफ़ इंश्योरेन्स के साथ-साथ मेडिक्लेम पॉलिसी भी लेनी चाहिए. मेङिक्लेम पॉलिसी ऐसी होनी चाहिए जिसमें मेटेरनिटी एक्सपेंसेस भी कवर हो जाएं. हेल्थ और लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ-साथ होम, ऑटो और डिसैबिलिटी पॉलिसी भी ले लें. इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय नॉमिनी हमेशा अपने जीवनसाथी को ही बनाएं, ताकि मुसीबत के समय उसे पॉलिसी का लाभ आसानी से मिल सके.

अगर पार्टनर का लोन हो
यदि शादी से पहले या शादी के बाद पार्टनर ने कोई लोन, जैसे- एज्युकेशन लोन, पर्सनल लोन आदि लिया हो तो यह न समझें कि यह लोन पार्टनर का है. उस लोन को जल्द-से-जल्द चुकाना दोनों पार्टनर्स की ज़िम्मेदारी बनती है. एक बार लोन मुक्त होने के बाद आप दोनों इनवेस्टमेंट की सोच सकते हैं.

निवेश की शुरुआत जल्दी करें
कई न्यूली मैरिड कपल्स हनीमून, फ़न आदि के चक्कर में इनवेस्टमेंट जैसी महत्वपूर्ण बात की ओर ध्यान नहीं देते या उसे बाद की बात समझकर टाल देते हैं. ऐसा करना ठीक नहीं, जल्द से जल्द निवेश करना दोनों पार्टनर्स के लिए ज़रूरी है. आप केवल 1000 रुपये प्रति महीने से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. इसके लिए सिस्टमेटिक म्यूचुअल ़फंड, बैंक आरडी (रिकरिंग डिपॉज़िट), किसान विकास पत्र, पीपीएफ़ (पब्लिक प्रॉविडेंट फंड), एनएससी (नेशनल सेविंग सर्टिफ़िकेट), पोस्ट ऑफ़िस सेविंग डिपॉज़िट जैसे कई विकल्प मौजूद हैं. इसके साथ ही रिटायरमेंट प्लान और पेंशन प्लान में निवेश करना भी ज़रूरी है. इसके अलावा आप प्रॉपर्टी में भी निवेश कर सकते हैं. यदि आप जल्दी पैरेंट बनना चाहते हैं तो चिल्ड्रेन्स एज्युकेशन प्लान में निवेश करें.

एंजॉयमेंट भी है ज़रूरी
फ़ायनेंशियल प्लानिंग का यह मतलब नहीं है कि अपनी मैरिड लाइफ़ एंजॉय करना भूल जाएं. एंजॉयमेंट को भूले नहीं, बल्कि वह भी प्लान करें. साल में कम से कम एक बार लॉन्ग हॉलीडे टूर पर ज़रूर जाएं. हर महीने कुछ अमाउंट इसके लिए अलग से निकाल कर रखें, ताकि यह ख़र्च बोझ न बने.

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Shweta Singh

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Shweta Singh

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