सोचकर भी हैरानी होती है कि गूगल का सीईओ भला किसी के लेटर का जवाब दे सकता है. इतना बिज़ी इंसान, जिसके पास लाखों लेटर हर दिन आते होंगे, उसमें से किसी का जवाब देना, वो भी 7 साल की लड़की का, सुनकर ही हैरानी होती है. आख़िर उस सात साल की बच्ची ने उस लेटर में ऐसा क्या लिख दिया था कि गूगल के सीईओ उसका जवाब देने के लिए आतुर हो गए. आइए, देखते हैं.
आप ख़ुद पढ़िए कि क्या लिखा था इंग्लैंड की रहनेवाली 7 साल की क्लोई ब्रिजवॉटर ने:
डियर गूगल बॉस, मेरा नाम क्लो है, मैं बड़ी होकर गूगल में काम करना चाहती हूं. मैं चॉकलेट फैक्ट्री में भी काम करना चाहती हूं और ओलंपिक में तैराक बनना चाहती हूं. मैं शनिवार और मंगलवार को स्वीमिंग सीखने जाती हूं. मैं ऐसी जगह काम करना चाहती हूं जहां बीन बैग्स हों और इलेक्ट्रिक गाड़ी गो कार्ट हो. मेरे डैड ने कहा कि जब मैं गूगल में काम करूंगी, तो मैं बीन बैग और गो कार्ट पर भी बैठ सकती हूं. मुझे कंप्यूटर अच्छा लगता है और मेरे पास गेम्स खेलने के लिए टैबलेट है. मेरे डैड ने मुझे एक गेम दिया है, जिसमें मैं एक रोबोट को एक स्क्वायर में ऊपर और नीचे घुमाना होता है. उन्होंने कहा है कि इससे मुझे कंप्यूटर सीखने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा वो मुझे एक दिन कंप्यूटर भी देंगे. मैं सात साल की हूं और मेरे टीचर्स ने मां को बताया है कि मैं पढ़ने में अच्छी हूं. मेरी रीडिंग और राइटिंग स्पेलिंग दोनों अच्छी है. डैड कहते हैं कि अगर मैं पढ़ाई करने में अच्छी रही, तो एक दिन मुझे गूगल में नौकरी मिल सकती है. मेरा पत्र पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया…
7 साल की क्लोई ब्रिजवॉटर की चिट्ठी का जवाब पिचाई ने किसी एंप्लॉई से दिलाने की बजाय ख़ुद ही दिया. पिचाई ने लिखा:
तुमने पत्र लिखा इसके लिए धन्यवाद. मैं ख़ुश हूं कि तुम्हें कंप्यूटर और रोबोट्स अच्छे लगते हैं. मुझे उम्मीद है कि तुम टेक्नोलॉजी के बारे में पढ़ती रहोगी. मुझे उम्मीद है कि तुम कड़ी मेहनत करोगी और अपने सपने पूरे करोगी. तुम हर वो चीज़ हासिल कर सकती हो, जो तुमने सोच रखा है. गूगल में काम करने से लेकर ओलंपिक में स्वीमिंग भी कर लोगी. तुम्हारा स्कूल ख़त्म होने के बाद मैं तुम्हारे एप्लिकेशन का इंतज़ार करूंगा.
गूगल के सीईओ का ये पत्र क्लोइ और उसके डैड के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था. दोनों ही बेहद ख़ुश हुए और सोशल मीडिया पर इसे डाला.
वैसे ये उन कंपनी के मालिकों के लिए और जीवन में हार मान चुके उन कर्मचारियों के लिए एक सीख है. उस 7 साल की बच्ची ने कर्मचारियों को एक सीख दी है कि काम करने की कोई उम्र नहीं होती. गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने भी ख़त का जवाब देकर एंप्लॉयर के लिए एक मिसाल पेश की है कि जब इतने बड़े फर्म का मालिक अपनी छोटी-सी ‘इच्छुक कर्मचारी’ के लेटर का जवाब दे सकते हैं, तो आप भी इस तरह का काम कर सकते हैं.
– श्वेता सिंह
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