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महिलाओं के हक़ में हुए फैसले और योजनाएं (Government decisions and policies in favor of women)

देश की आधी आबादी की मदद और प्रगति के लिए समय-समय पर सरकार की ओर से भी कई योजनाएं लागू की जाती रहती हैं.

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
ग़रीब महिलाओं की मदद के उद्देश्य से मई 2016 में इस योजना की शुरुआत हुई. सरकार की योजना 5 करोड़ बीपीएल परिवारों को धुएं से मुक्ति दिलाने की है. चूल्हे पर खाना बनाने से महिलाओं की सेहत को बहुत हानि पहुंचती है. सरकार की इस योजना के तहत ग़रीब परिवारों को फ्री में सिलेंडर, चूल्हा व रेग्युलेटर मुहैया कराया जाता है.

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान
ग़रीब प्रेग्नेंट महिलाओं की मदद के उद्देशय से सरकार ने जुलाई 2016 में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान की शुरुआत की. इस योजना के तहत हर महीने की 9 तारीख़ को प्रेग्नेंट महिलाओं को मुफ़्त स्वास्थ्य जांच और ज़रूरी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य बच्चे के जन्म के समय महिलाओं की मृत्यु दर को कम करना, प्रेग्नेंट महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना और सुरक्षित डिलीवरी है.

 

महिला उद्यमियों के लिए सरकार की योजनाएं 

देश में महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से पिछले कुछ समय से सरकार और बैंक कई योजनाएं लागू कर रहे हैं, ताकि देश की आधी आबादी बिज़नेस में भी बराबरी का दज़ार्र् पा सके.

सरकार की मुद्रा स्कीम
ये योजना किसी भी बैंक में मिल सकती है. सरकार ने ये योजना ख़ासकर अनऑर्गनाइज़्ड सेक्टर (असंगठित क्षेत्र) की महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाया है. इस स्कीम के तहत माइक्रो इंडस्ट्री चलानेवालों को बैंक 50 हज़ार से 10 हज़ार रुपए तक का लोन देता है. इस स्कीम के तहत लोन के लिए डिप्लोमा, डिग्री होल्डर होने की ज़रूरत नहीं होती, साथ ही लोन के लिए गारंटर भी ज़रूरी नहीं है.

स्टार्टअप इंडिया
युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से हाल ही में सरकार द्वारा लॉन्च की गई स्टार्टअप स्कीम में भी महिलाओं के हितों का ध्यान रखा गया है. इसके तहत महिलाओं और अनुसूचित जाति को स्टार्टअप में मदद के लिए अलग से फंड की व्यवस्था की जाएगी.

वैभव लक्ष्मी
महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा ङ्गवैभव लक्ष्मीफ स्कीम चला रहा है. इसके तहत लोन लेने के लिए महिलाओं को बैंक में अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट जमा करनी होगी, जिससे बैंक आसानी से लोन मुहैया करा सके. महिला को एक गारंटर देना होता है. इस स्कीम के तहत महिलाएं घर का सामान भी लोन से ख़रीद सकती हैं.

वी शक्ति
महिला कारोबारियों की मदद के लिए विजया बैंक ङ्गवी शक्तिफ स्कीम चला रहा है. इस स्कीम का लाभ उठाने के लिए इस बैंक में अकाउंट होना ज़रूरी है. इसके बाद 18 साल या इससे अधिक उम्र की महिलाएं आसानी से लोन के लिए अप्लाई कर सकती हैं. इस स्कीम के तहत लोन लेकर महिलाएं टेलरिंग, कैटरिंग, कैंटीन, अचार व मसाला बनाने जैसे काम शुरू कर सकती हैं.

सिंड महिला शक्ति
सिंडिकेट बैंक की इस स्कीम के तहत हर साल हज़ारों महिला कारोबारियों को लोन दिया जाता है. इसके तहत बैंक 5 करोड़ का लोन कम ब्याज़ दर पर देता है. इतना ही नहीं बैंक लोन के साथ ही क्रेडिट कार्ड की भी सुविधा देता है. ये लोन 7 से लेकर 10 साल तक के लिए दिया जाता है.

वुमन सेविंग
महिला कारोबारियों की संख्या बढ़ाने के लिए एचडीएफसी भी अहम् भूमिका निभा रहा है. साथ ही ये बैंक महिला कस्टमर्स को ईज़ी शॉप एडवांटेज कार्ड की सुविधा भी दे रहा है.

स्त्री शक्ति पैकेज
देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई (स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) महिला कारोबारियों को ङ्गस्त्री शक्तिफ पैकेज देता है. इस स्कीम के तहत महिलाओं को 2 लाख रुपए से अधिक लोन लेने पर 0.5 फीसदी कम ब्याज़ देना होता है. 5 लाख रुपए तक के लोन के लिए कोई कोलैटरल सिक्योरिटी की ज़रूरत नहीं होती.

महिलाओं के हक़ में हुए फैसले

2016 में महिलाओं के हक़ में कई ़फैसले हुए, जिससे समाज में उनकी स्थिति मज़बूत बनाने में मदद मिलेगी.

बेटी बन सकती है घर की मुखिया

2016 की शुरुआत में दिल्ली हाईकोर्ट ने महिलाओं के हक़ में एक अहम् फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि घर के मुखिया व उसकी पत्नी की मौत के बाद अगर घर में उनकी बड़ी बेटी है, तो वह भी परिवार की मुखिया हो सकती है. एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि संयुक्त हिंदू परिवार का सबसे बड़ा पुरुष अगर कर्ता हो सकता है, तो एक महिला क्यों नहीं? हिंदू एक्ट में वर्ष 2005 में हुए संशोधन के अनुसार जब संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति में महिलाओं का बराबर का हक़ है, तो उसी संपत्ति के प्रबंध में उनका हक़ क्यों न हो? कानून के तहत महिला को कर्ता (मुखिया) बनाने के लिए कोई रोक नहीं है.

महिलाओं को मिली हाजी अली दरगाह में प्रवेश की अनुमति

लंबी लड़ाई के बाद आख़िरकार महिलाओं को मुंबई के हाजी अली दरगाह में प्रवेश की इजाज़त मिल गई. पिछले साल के अंत में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि अब महिलाओं को दरगाह में मजार के भीतर तक जाने की अनुमति होगी. पहले महिलाएं स़िर्फ बाहर तक ही जा पाती थीं, उन्हें अंदर मजार तक जाने की अनुमति नहीं थी. बॉम्बे हाईकोर्ट में इस भेदभाव के ख़िलाफ़ 2014 में एक जनहित याचिका दायर कर मांग की गई थी कि जहां तक पुरुष जा सकते हैं, वहां तक औरतों को जाने की अनुमति क्यों नहीं है? इस मामले में महिलाओं के हक़ में ़फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा कि संविधान में महिलाओं और पुरुषों को बराबरी का दर्ज़ा है. जब पुरुषों को दरगाह के अंदर जाने की इजाज़त है, तो महिलाओं को भी होनी चाहिए. इससे पहले महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शनि शिंगणापुर में भी महिलाओं को चबूतरे पर जल चढ़ाने की इजाज़त मिल चुकी है. इस मुद्दे पर भूमाता ब्रिगेड द्वारा किए गए आंदोलन के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने महिलाओं के हक़ में फैसला दिया. इसे महिलाओं की बहुत बड़ी जीत माना जा सकता है, क्योंकि मंदिर के चबूतरे पर 400 साल से महिलाओं को जाने की इजाज़त नहीं थी.

मैटर्निटी बिल से आसान होगी कामकाजी महिलाओं की राह

अगस्त 2016 कामकाजी महिलाओं के लिए अच्छी ख़बर लाया. राज्यसभा में मैटर्निटी बेनीफिट बिल को मंज़ूरी मिल गई. मातृत्व अवकाश को 12 हफ़्ते से बढ़ाकर 26 हफ़्ते करनेवाला विधेयक मंज़ूर हो गया. हालांकि अभी तक ये विधेयक क़ानून नहीं बन पाया है. यदि ये बिल क़ानून बन जाता है, तो अवकाश बढ़ने के साथ ही कामकाजी महिलाओं को और भी कई तरह की सुविधाएं मिलेंगी.

घरेलू हिंसा क़ानून से जुड़ा सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

देश की सर्वोच्च अदालत ने घरेलू हिंसा क़ानून में अहम् बदलाव किया है. कोर्ट ने घरेलू हिंसा क़ानून की धारा 2 (क्यू) से ‘वयस्क पुरुष’ शब्द हटाकर ‘वयस्क पुरुष’ शब्द कर दिया है. इस बदलाव से घरेलू हिंसा क़ानून के तहत पुरुषों के साथ-साथ अब महिलाओं पर भी मुक़दमा किया जा सकता है. ‘वयस्क पुरुष’ शब्द के कारण घरेलू हिंसा के अनेक मामलों में परिवार की महिलाओं व नाबालिग सदस्यों के अपराध में शामिल होने के बावजूद उन पर कार्यवाही नहीं हो पाती थी. कोर्ट का ये फ़ैसला घरेलू हिंसा पर लगाम कसने के लिए काफ़ी हद तक काम करेगा.

अब अविवाहित महिलाओं को भी होगा अबॉर्शन का हक़

महिलाओं के हक़ में जल्द ही स्वास्थ्य मंत्रालय एक ऐसा क़दम उठाने जा रही है, जिसमें अविवाहित व सिंगल महिलाओं को भी अबॉर्शन का क़ानूनी हक़ मिलेगा. अभी तक स़िर्फ विवाहित महिलाओं को ही अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करवाने की अनुमति है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के नए क़दम के तहत सिंगल/अविवाहित महिलाओं को भी ङ्गगर्भ निरोधक गोलियों के असफल रहनेफ व ङ्गअनचाहे गर्भफ की स्थिति में अबॉर्शन के लिए क़ानूनी मान्यता मिल जाएगी. नया क़ानून स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी ऐक्ट में संशोधन के लिए की गई सिफ़ारिशों का नतीजा होगा.

 

चर्चित मुद्दे

सरोगेसी बिल
पिछले साल सरोगेसी नियमन विधेयक को कैबिनेट से मंज़ूरी मिलने के बाद इसे लोकसभा में पेश किया गया, मगर हंगामे के कारण बिल पास नहीं हो पाया. यदि इसे लोकसभा की मंज़ूरी मिल जाती है, तो नए क़ानून के तहत कमर्शियल सरोगेसी पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी, मगर इससे ज़रूरतमंद दंपत्तियों की मुश्किलें भी बहुत बढ़ जाएंगी. सरोगेसी विधेयक में कई ऐसी बातें हैं, जिससे संतान की चाह रखनेवाले दंपत्तियों के लिए सरोगेट मदर ढूंढ़ना मुश्किल हो जाएगा. नए क़ानून के तहत दंपति अपने किसी नज़दीकी रिश्तेदार को ही सरोगेट मदर बना सकते हैं, जो बहुत मुश्किल काम है. इसके अलावा शादी के पांच साल बाद ही सरोगेसी की इजाज़त मिलने जैसे कई मुद्दों की वजह से सरोगेसी बिल को कुछ लोग सही नहीं ठहरा रहे.

तीन तलाक़ का मुद्दा
मुस्लिम महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए पिछले काफ़ी समय से सरकार तीन तलाक़ वाले शरीयत क़ानून का विरोध कर रही है. मुस्लिम महिलाएं भी इस क़ानून के ख़िलाफ़ हैं और इसे निरस्त कराना चाहती हैं, मगर मुस्लिम धर्म गुरु किसी क़ीमत पर तीन तलाक़ को ख़त्म नहीं करना चाहते. इस मुद्दे पर पिछले कई महीनों से लंबी बहस चल रही है, मगर कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया. हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने थोड़ी राहत देते हुए अपने फैसले में कहा कि कोई भी पर्सनल लॉ संविधान से बड़ा नहीं हो सकता है. तीन तलाक़ का नियम महिलाओं के हितों का हनन है. कोर्ट ने कहा कि कुरान पाक भी तीन तलाक़ के क़ानून को सही नहीं मानता.

– कंचन सिंह

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