कौन कहता है आसमान में सुराख़ नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों
हां, मैंने भी कुछ हसीन सपने देखे थे और ज़िंदगी ने मुझे ड्रीम गर्ल का ख़िताब दे डाला. मैंने आसमान छूने की ख़्वाहिश की और मेरे चाहनेवालों ने मुझे फलक पर बिठा दिया. मैंने ज़िंदगी में अपने हर क़िरदार को पूरी शिद्दत से निभाया और ज़िंदगी ने हमेशा मुझे मेरी ख़्वाहिश से ज़्यादा ही दिया है. हम दुनिया में आते हैं… बड़े होते हैं, फिर आंखों में कई नए-नए सपने पलने लगते हैं… उन्हें देखते हैं और जुट जाते हैं उन्हें पूरा करने में… दिल में कई अरमान जागते हैं… हम भागने लगते हैं उन्हें मुकम्मल करने के लिए… हसरतों के दायरे फिर हमें धीरे-धीरे कैद करने लगते हैं अपनी परिधि में… ये तो है इंसानी फ़ितरत, लेकिन इसमें भी यदि हम बात करें एक औरत की, तो उसके दायरे तो व़क्त के साथ-साथ और भी सिमटने लगते हैं… लेकिन जहां तक मेरी बात है, तो मुझे न तो अपने दायरे समेटने पड़े और न ही सपनों पर पाबंदी लगानी पड़ी, क्योंकि मेरे प्रयास सच्चे थे और मुझे अपनों का भी भरपूर साथ मिला.
मैं यही कहूंगी कि बेशक, हर सपना पूरा होता है, यदि आप सही दिशा में काम कर रहे हों और आपने अपने सपने को पूरा करने की हर मुमकिन कोशिश की हो. यदि हम अपने अतीत पर नज़र डालेंगे, तो पाएंगे कि आज हम जो कुछ भी हैं, वो अतीत में हमारे द्वारा किए गए प्रयासों का ही नतीजा है.
ख़्वाहिशें, अरमान, अपेक्षाएं, इच्छाएं… ये तमाम तत्व इंसानी फ़ितरत का हिस्सा हैं. ख़्वाहिशें रखना ग़लत भी तो नहीं है. किसी चीज़ को पाने की ख़्वाहिश रखना बहुत अच्छी बात है और ये भी सच है कि आप पूरी ईमानदारी के साथ जितने बड़े सपने देखते हैं, ज़िंदगी आपको उससे कहीं ज़्यादा देती है, लेकिन उसके लिए आपका अपने सपनों के प्रति ईमानदार होना ज़रूरी है. जैसे आप यदि मर्सिडीज़ ख़रीदने का लक्ष्य रखते हैं, तो उसके बाद आपका मस्तिष्क उसी दिशा में सोचना शुरू कर देता है, आप उसे पाने के रास्ते तलाशने लगते हैं, आपके हालात भी उसी के अनुरूप बदलने लगते हैं और आख़िरकार आप मर्सिडीज़ ख़रीद लेते हैं. इसलिए जीवन में लक्ष्य का होना बहुत ज़रूरी है.
हमें बचपन से अपने बच्चों को ये बात सिखानी चाहिए कि बड़े लक्ष्य रखो, बड़े सपने देखो और उन्हें पूरा करने के लिए जी जान से मेहनत करो, फिर आपको वो चीज़ पाने से कोई नहीं रोक सकता. अक्सर मैं लोगों को देखती हूं, जिन्हें ज़िंदगी से बहुत शिकायत रहती है… बहुत कुछ होने के बाद भी वो संतुष्ट नहीं होते. उन्हें शायद ख़ुद भी यह नहीं पता होता कि उन्हें आख़िर क्या चाहिए. यही वजह है कि न तो उनके पास कोई लक्ष्य होता है और न ही उसे हासिल करने के लिए कोई प्रेरणा. मन की चंचलता उन्हें ताउम्र असंतुष्ट रखती है और वो भटकते रहते हैं, इसलिए सबसे ज़रूरी है कि आपके मन में यह बात पूरी तरह से साफ़ होनी चाहिए कि आपकी मंज़िल क्या है और आपको उस तक किस तरह से पहुंचना है. आपके प्रयास किस तरह के होने चाहिए और आपके त्याग कितने बड़े हो सकते हैं.
अगर मैं अपनी बात करूं, तो मैं भी एक बेहद आम-सी लड़की थी, लेकिन मेरी मां ने मेरे लिए बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा करने के लिए मुझे सही दिशा दी. अगर मेरी मां कोई और होती, तो शायद मैं आज यहां न होती. मेरी मां ने मेरी ज़िंदगी को सही दिशा दी और मुझे उसके लिए मेहनत करने की हिम्मत भी दी. आज मैं जो कुछ भी हूं, उसमें मेरी मां का बहुत बड़ा रोल है.
आज जब मैं अपने बचपन को याद करती हूं, तो पाती हूं कि मेरी परवरिश बहुत अच्छे माहौल में हुई. मेरी मां ने मुझे कला के प्रति समर्पित होना सिखाया, इसीलिए मेरी कला आज मेरी पहचान बन गई है. मां ने मेरे लिए जो सपने देखे थे, उन्हें पूरा करने के लिए उन्होंने मुझे सही राह दिखाई, इसीलिए आज मैं यहां पहुंच पाई हूं. बचपन में जब मैं अपनी खिड़की से बाहर देखती थी कि मेरे फ्रेंड्स बाहर खेल रहे हैं और मैं घर में डांस की प्रैक्टिस कर रही हूं, तो मुझे मां पर बहुत ग़ुस्सा आता था, लेकिन आज जब मैं देखती हूं कि वो लड़कियां कहां हैं और मैं कहां हूं, तब समझ में आता है कि मेरी मां ने मेरे लिए कितने बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा करने के लिए कितनी मेहनत की. आज मैं जो कुछ भी हूं, अपनी मां की वजह से हूं. बच्चों को प्यार देना जितना ज़रूरी है, उन्हें अनुशासन में रखना भी उतना ही ज़रूरी है. मां ने मेरे साथ भी ऐसा ही किया, उन्होंने मुझे सिखाया कि आपके पास यदि हुनर है, तो उसे इतना निखारो कि आपका हुनर ही आपकी पहचान बन जाए. मैंने यदि कला की साधना की है, तो कला ने भी मुझे नाम-शोहरत सब कुछ दिया है.
हर पैरेंट्स को अपने बच्चों को सपने देखना और गोल सेट करना सिखाना ही चाहिए, फिर उन्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. वैसे भी आजकल इतने
छोटे-छोटे बच्चे रियालिटी शोज़ में कितना कुछ कर दिखाते हैं, उनके इस टैलेंट के पीछे उनके पैरेंट्स की मेहनत साफ़ दिखाई देती है. बच्चा पढ़ाई में ही अच्छा हो ये ज़रूरी नहीं, बच्चे के टैलेंट को पहचानें और उसे उसी फील्ड में आगे बढ़ने दें.यक़ीन मानिए, आप जिस भी चीज़ को शिद्दत से चाहते हैं, वो आपको मिलती है, आपको बस मेहनत करते रहना चाहिए.
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