सोशल मीडिया के साइड इफेक्ट्स का असर न स़िर्फ बच्चों की पढ़ाई, लोगों के काम के परफॉर्मेंस, फैमिली लाइफ आदि पर पड़ा है, बल्कि इसका असर अब शादियों पर भी पड़ने लगा है. शादी का रिश्ता पक्का करते समय अब लड़कियों के लुक्स, एजुकेशन, फैमिली बैकग्राउंड आदि के अलावा ये भी देखा जाने लगा है कि वो सोशल मीडिया पर कितनी एक्टिव है.
आजकल डिजिटल मीडिया का लोगों पर इस कदर हैंगओवर हो गया है कि किसी भी इंसान के बारे में कुछ भी पता करना हो, तो लोग सबसे पहले उसके सोशल अकाउंट्स खंखालने लगते हैं. फ्रेंडशिप, बिज़नेस, जॉब… यहां तक कि अब शादी फिक्स होने से पहले लड़का-लड़की के सोशल अकांउट्स की तलाशी ली जाने लगी है. ख़ास बात ये है कि जो लड़कियां सोशल साइट्स पर ज़्यादा एक्टिव रहती हैं, लोग उन्हें अपने घर की बहू नहीं बनाना चाहते. उनके मन में उस लड़की को लेकर कई शंकाएं रहती हैं. क्या हैं ये शंकाएं? आइए, जानते हैं.
धोखाधड़ी से बचना चाहते हैं
हमारे देश में आज भी ज़्यादातर शादियां अरेंज ही होती हैं, जिसमें लड़का-लड़की की रज़ामंदी के साथ ही परिवार के लोगों का राज़ी होना भी उतना ही ज़रूरी होता है. हां, समय के साथ ये बदलाव ज़रूर आया है कि अब लोग बेटा या बेटी की शादी फिक्स होने से पहले लड़का या लड़की के बारे अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर लेते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है तलाक़ के बढ़ते आंकड़े और शादियों में बढ़ती धोखाधड़ी. यही वजह है कि लोग अब स़िर्फ बाहरी दिखावे पर नहीं जाते और शादी के लिए हां करने से पहले पूरी तसल्ली कर लेना चाहते हैं.
लोगों का डर लाजमी है
देश की पहली महिला जासूस रजनी पंडित कहती हैं, हमारे पास ऐसे कई केसेस आते हैं जहां लड़के वाले लड़की का कैरेक्टर, शौक, फ्रेंड सर्कल आदि के बारे में पता करने के लिए उसका सोशल अकाउंट चेक करने को कहते हैं. लोग जानना चाहते हैं कि जिस लड़की से वो अपने बेटे की शादी करने जा रहे हैं, उसकी लाइफ स्टाइल कैसी है. क्या वो उनके घर में फिट हो पाएगी? ज़्यादातर लोग सोशल मीडिया पर जैसे दिखाई देते हैं, असल में वैसे होते नहीं है इसलिए हमें बहुत ध्यान से जांच-परख करनी पड़ती है. कई बार तो हमें फ्रॉड अकाउंट बानकर लड़की को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजकर उसके बारे में पता करना पड़ता है. लड़के वाले ही नहीं, लड़की वाले भी अपने होने वाले दामाद के बारे में सबकुछ पहले ही जाने लेना चाहते हैं. साइबर क्राइम के बढ़ते आंकड़े भी लोगों को ऐसा करने के लिए मजबूर करते हैं.
देखने का नज़रिया अलग है
कई बार लोगों का देखने का नज़रिया भी अलग होता है. लोग लड़कियों की हर गतिविधि को शक की नज़र से देखते हैं. एक मल्टी नेशनल कंपनी में कार्यरत प्रिया शर्मा (परिवर्तित नाम) ने बताया, सोशल साइट्स पर मेरी अधिकतर फोटोग्राफ्स मेरी बेस्ट फ्रेंड के साथ होती हैं. हम मस्ती-मज़ाक के मूड में अलग-अलग पोज़ में फोटो खिंचवाकर पोस्ट करते रहते हैं. जब मेरे लिए शादी का रिश्ता आया, तो लड़का मुझे पसंद आया और लड़के को भी मैं पसंद थी. हम दोनों एक-दूसरे से मिलने लगे, फोन पर बातें करने लगे, सोशल मीडिया पर भी हम फ्रेंड बन गए. फिर मेरा सोशल अकाउंट देखकर उसने मुझे शक की निगाह से देखते हुए पूछा, तुम अपनी बेस्ट फ्रेंड के साथ कुछ ज़्यादा ही क्लोज़ हो, तुम दोनों के बीच सब नॉर्मल है ना? उसकी बातें सुनकर मैं हैरान रह गई. लड़कों के साथ दोस्ती करने पर तो लड़कियों पर तरह-तरह के इल्ज़ाम लगते ही हैं, मुझ पर तो लड़की के साथ दोस्ती करने पर भी शक किया गया. जब लोगों के देखने का नज़रिया ही ग़लत हो, तो आप क्या कर सकते हैं.
सच्चाई कुछ और होती है
डिटेक्टिव रजनी पंडित ने हमें बताया कि लगभग 90% लोग सोशल साइट्स पर जैसे नज़र आते हैं असल में वो वैसे होते नहीं हैं. लोग सोशल साइट्स पर अपनी इमेज अपनी असल ज़िंदगी से बिल्कुल अलग बनाकर रखते हैं. सोशल साइट्स पर लोग अपनी हर बात को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं. कई लोग तो बोगस अकाउंट बनाकर लोगों को बेवकूफ़ भी बनाते हैं. ऐसे में लोगों का डर वाजिब है. आजकल शादियों में फ्रॉड भी बहुत हो रहे हैं. लड़कियां पैसे देखकर लड़के से शादी करती हैं और बाद में तलाक़ लेकर मोटी रकम वसूलती हैं. इसी तरह लड़के भी गरीब लड़की से शादी करके उसके सिर पर घर की सारी ज़िम्मेदारियां थोपकर ख़ुद बाहर अय्याशी करते हैं. एक बार शादी हो जाने के बाद तलाक़ के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ता है, जिससे लड़का-लड़की दोनों के परिवार डिस्टर्ब हो जाते हैं. इसीलिए लोग अब पहले ही अच्छी तरह से जांच पड़ताल कर लेना चाहते हैं.
स्टेटस देखकर जज करते हैं
सोशल मीडिया पर लड़कियों का स्टेटस देखकर बिना सोचे-समझे उनके लिए राय बनाने वालों की भी कमी नहीं है. लाइफ स्टाइल ब्लॉगर मानसी मेहता (परिवर्तित नाम) कहती हैं, मैं एक लाइफ स्टाइल ब्लॉगर हूं इसलिए मुझे इवेंट्स, फैशन शो, ब्यूटी कॉन्टेस्ट आदि कवर करने होते हैं. इसके लिए मुझे ट्रैवल करना पड़ता है, हाई प्रोफाइल लोगों से मिलना पड़ता है और ख़ुद भी फैशनेबल रहना पड़ता है. मेरी शादी में इसलिए दिक्कत आ रही है कि लोगों को लगता है मेरी लाइफ स्टाइल बहुत हाई फाई है, मैं हमेशा घूमती रहती हूं इसलिए मैं घर में नहीं टिक पाउंगी.
फेहरिस्त लंबी है
सोशल मीडिया के कारण रिश्ते टूटने के मामले कुछ कम नहीं हैं. लोग सोशल मीडिया पर एक्टिव लड़कियों को जल्दी स्वीकार नहीं पाते. उन्हें लगता है कि ऐसी लड़कियां परफेक्ट बहू नहीं बन सकती. आइए, जानते हैं कुछ ऐसे ही रिश्तों के बारे में जिनके टूटने की वजह स़िर्फ सोशल मीडिया है:
* एक आम भारतीय लड़की की तरह रिया (परिवर्तित नाम) की भी शादी फिक्स हुई. अरेंज मैरिज के सेट पैटर्न के अनुसार दोनों परिवारों की रज़ामंदी से लड़का-लड़की दोनों एक-दूसरे से मिलने लगे. लड़के ने जब लड़की का सोशल अकाउंट देखा, तो उसे लड़की के मेल फ्रेंड के साथ उसकी फोटो से ऑब्जेक्शन होने लगा. फिर वो उस पर शक करने लगा, उसे ताने देने लगा, लड़की को ये सब पसंद नहीं आया और उसने ऐसी संकीर्ण मानसिकता वाले लड़के से शादी करने के लिए मना कर दिया.
* शिवानी (परिवर्तित नाम) की अपनी एक इवेंट कंपनी है और अपने काम को प्रमोट करने के लिए उसे सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना ही पड़ता है. शिवानी के लिए जब शादी का रिश्ता आया और वो लड़के से मिली, तो लड़के ने कहा मैं बहुत रिज़र्व टाइप का इंसान हूं. मैं ऐसी लड़की से शादी नहीं कर सकूंगा, जो सोशल साइट्स पर इतनी एक्टिव रहती हो. मेरी बीवी की पोस्ट पर लोग तरह-तरह के कमेंट करें ये मैं सहन नहीं कर पाउंगा. शिवानी के सामने अपना पक्ष रखकर लड़के ने शादी के लिए मना कर दिया.
* नेहा (परिवर्तित नाम) को सेल्फी का शौक है. वो रोज़ सेल्फी लेती है और सोशल मीडिया पर पोस्ट करती है. उसके फॉलोवर्स भी बहुत हैं, जो उसकी फोटो पर हमेशा कमेंट करते हैं. जब नेहा के लिए शादी का प्रपोज़ल आया, तो लड़के वालों को नेहा बहुत पसंद आई. सगाई के बाद जब उसने अपने मंगेतर और ससुराल वालों को अपने सोशल अकाउंट में एड किया, तो लड़के वालों ने ये कहकर रिश्ता तोड़ दिया कि लड़की कुछ ज़्यादा ही तेज़ है. हमें अपने घर के लिए सीधी सादी बहू चाहिए, मॉडल नहीं.
* आकांक्षा (परिवर्तित नाम) एक संवेदनशील लड़की है. जब भी वो अपने आसपास कुछ ग़लत होता देखती है, तो अपनी भावनाओं को सोशल मीडिया पर ज़रूर व्यक्त करती है. दहेज, घरेलू हिंसा, बाल मजदूरी, बलात्कार जैसे संवेदनशील मुद्दों पर लिखकर उसे संतुष्टि मिलती है. जब आकांक्षा की शादी फिक्स हुई, तो सोशल मीडिया पर उसके ससुराल वाले भी उससे जुड़ गए. ससुराल वालों को उसकी पोस्ट पसंद नहीं आती थी. आख़िरकार ससुराल वालों ने आकांक्षा को एक्टिविस्ट बताकर उसे अपने घर की बहू बनाने से इनकार कर दिया. उनका कहना था, कल को ये घर की हर बात सोशल मीडिया तक ले जाएगी, इसके घर में आने से घर की हर बात सोशल मीडिया पर वायरल हो जाएगी.
जब पैरेंट्स लगाते हैं रोक
लड़कियों के सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने से उन पर तरह-तरह के इल्ज़ाम लगाए जाते हैं इसलिए कई घरों में पैरेंट्स लड़कियों को सोशल मीडिया से दूर रहने के लिए कहते हैं. ऐसे में लड़कियां ख़ुद को आउटडेटेड महसूस करने लगती हैं इसलिए वो फेक अकाउंट बनाकर सोशल मीडिया पर आ जाती हैं. ऐसी स्थिति ज़्यादा भयानक होती है, क्योंकि फेक अकाउंट वाले लड़कों की भी कमी नहीं होती. ऐसे में इन लड़कियों के फंसने की गुंजाइश ज़्यादा रहती है. अत: पैरेंट्स को चाहिए कि अपने बच्चों की गतिविधियों पर नज़र रखें, लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा सख़्ती बच्चों को गुमराह कर सकती है.
ये सोशल प्रेशर का मामला है
लड़कियों को सोशल मीडिया से दूर रहने की हिदायत जहां लड़कियों के लिए अजीब स्थिति होती है, वहीं माता-पिता के लिए चिंता की वजह. हमारे देश में लोग क्या कहेंगे, ये सबसे बड़ा मुद्दा है. आप जानते हैं कि आपकी बेटी ग़लत नहीं है, फिर भी लड़के वालों को ख़ुश करने के लिए बेटी को हर समझौता करने के लिए कहा जाता है. सोशल मीडिया की अति ग़लत है, लेकिन सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाली हर लड़की पर सवाल उठाना भी सही नहीं है.
किस पोस्ट पर क्या टैग दिया जाता है?
लड़कियां सोशल साइट्स पर कितनी एक्टिव हैं और किस तरह की पोस्ट करती हैं इससे उन्हें जज किया जाता है. आइए, जानते हैं किस पोस्ट का क्या मतलब निकाला जाता है.
* यदि आप फैशनेबल कपड़े पहनती हैं, अक्सर पार्टी या डिनर की फोटो पोस्ट करती हैं, तो आप बहुत ख़र्चीली हैं. आपका मेंटेनेंस आम बहू की कैटेगरी में नहीं आता.
* यदि आप राजनीतिक या सामाजिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करती हैं, तो आप एक्टिविस्ट कहलाती हैं इसलिए आप आदर्श बहू नहीं कहला सकतीं.
* यदि आप अपने पुरुष मित्रों के साथ फोटो खिंचवाती हैं और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करती हैं, तो आपका कैरेक्टर ठीक नहीं. अच्छे घर की बहू ऐसा नहीं करती हैं.
* यदि आप अपनी हर गतिविधि को सोशल साइट पर पोस्ट करती हैं, तो आप पर टैग लगेगा कि आप घर की हर छोटी-बड़ी बात को सोशल मीडिया पर वायरल कर देंगी.
* यदि आप सोशल मीडिया पर महिलाओं के हक़ की बात करती हैं, तो आप पर ये इल्ज़ाम लग सकता है कि कल को हमें भी कोर्ट तक ले जा सकती है.
* यदि आप अपने काम को सोशल मीडिया पर प्रमोट करती हैं, तो कहा जाएगा कि काम के बाद भी फ्री नहीं रहती, घर क्या खाक संभालेगी.
*यदि सोशल मीडिया पर आपके ज़्यादा फॉलोवर्स हैं, तो कहा जाएगा कि ख़ुद को सेलिब्रिटी समझती है, घर में तो किसी को कुछ समझेगी ही नहीं.
दोनों पक्ष करते हैं जांच-पड़ताल
ऐसा नहीं है कि शादी तय होते समय स़िर्फ लड़कियों के बारे में जानकारी हासिल की जाती है, लड़कों के बारे में भी काफी जांच-पड़ताल की जाती है.
क्या जानना चाहते हैं लड़कों के बारे में?
– लड़का कहीं नशा तो नहीं करता
– किसी और लड़की के साथ अ़फेयर तो नहीं है
– कैसे लोगों के साथ उठता-बैठता है
– लड़का अय्याश तो नहीं.
– कमाई के बारे में सच बताया है या झूठ
– प्रॉपर्टी कितनी है
क्या जानना चाहते हैं लड़की के बारे में?
– चाल-चलन कैसा है
– किसी और लड़के के साथ चक्कर तो नहीं चल रहा
– फ्रेंड सर्कल कैसा है
– जॉब के बारे में सही जानकारी दी है या नहीं
– सोशल साइट्स पर कितनी एक्टिव है
– झूठा अकाउंट बनाकर लड़कों से चैट तो नहीं करती
– कमला बडोनी
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