पति की कमीज़ पर किसी लड़की के बाल को देखकर परेशान होना… पत्नी को घर छोड़ने आए पुरुष सहकर्मी को लेकर शंका… पति के कमरे के बाहर जाते ही चोरी-छिपे उसका मोबाइल चेक करना या कभी-कभी अपने साथी के पीछे जासूस लगाना… क्या आप जानते हैं कि अगर इसमें से एक भी लक्षण आप में है, तो आप ‘शक’ नाम की गंभीर बीमारी के शिकंजे में फंसते जा रहे हैं.
पति-पत्नी और शक यह एक ऐसा प्रेम त्रिकोण है, जिसकी कहानी का अंत अक्सर ही दुखद होता है. अगर पति-पत्नी की हंसती-खेलती ज़िंदगी में शक की दीवार खड़ी होती है, तो बंटवारा ज़मीन-जायदाद का नहीं, बल्कि परिवारों का होता है. शक नाम की यह बीमारी कोई नई नहीं है. हमारे समाज में शक और उससे जुड़ी कई कहानियां प्रसिद्ध हैं, पर कभी किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.
रिसर्च बताते हैं कि किसी पर शक करना चाहे कोई बहुत बड़ी समस्या न हो, पर हां यह किसी समस्या की ओर पहली सीढ़ी ज़रूर है. शक का अगर व़क्त रहते इलाज नहीं हुआ, तो धीरे-धीरे उस शक पर बिना किसी वजह आप विश्वास करने लगते हैं और अपने साथी पर अविश्वास. यह अविश्वास फिर आपकी झुंझलाहट और चिड़चिड़ेपन का कारण बनता है. यह कभी-कभी शारीरिक तौर पर भी नज़र आता है. यह झुंझलाहट आप में असुरक्षा की भावना को जन्म देती है, जिसके कारण कई सारे डर दिमाग़ में घर कर जाते हैं. ऐसा होने पर जहां एक ओर आप मानसिक बीमारी के शिकार हो जाते हैं, वहीं दूसरी ओर आपका आपके साथी के साथ रिश्ता बिखर जाता है.
यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि शक कभी लिंग भेद नहीं करता, सामान्यतौर पर यह माना जाता है कि स्त्रियां ही शक्की होती हैं, पर ऐसा है नहीं. समय आने पर पुरुष भी शक करते हैं. अगर इसका और विश्लेषण किया जाए, तो सवाल यह उठता है कि आख़िर हम शक करते क्यों हैं?
जब भी हम किसी नए जीवन में क़दम रखते हैं, तो मन में आकांक्षाओं के साथ आशंकाएं भी होती हैं. जैसे नई नौकरी हो या कॉलेज का पहला दिन, थोड़ा शक तो मन में रहता ही है. इसी तरह जब कोई रिश्ता आगे नए रास्ते पर बढ़ता है, तो मन में शक तो रहेगा ही.
रिश्ते में अगर आपको किसी चीज़ से डर लगता है, उदाहरण के तौर पर अगर किसी को सेक्स से डर लगता है या उस रिश्ते के साथ अपने भविष्य का भय, तो उसे छिपाने के लिए शक का सहारा लेते हैं.
हीनभावनाएं अक्सर ही असुरक्षा की भावना लाती हैं और यही असुरक्षा शक को जन्म देती है. असुरक्षा किसी प्रिय व्यक्ति को खो देने की, असुरक्षा अपनी महत्ता खो देने की. मान लीजिए कोई स्त्री या पुरुष हीनभावना से ग्रसित है, तो उसे हमेशा अपने साथी को लेकर शक रहेगा कि कहीं उसका किसी और के साथ अफेयर तो नहीं चल रहा, कहीं मेरा साथी मुझे छोड़कर तो नहीं चला जाएगा. बिना किसी वजह की चिंता शक और अविश्वास की जननी है और फिर इसी असुरक्षा के चलते आप साथी को और अधिक जकड़कर-पकड़कर रखने की कोशिश करते हैं, जो अंत में रिश्ते को समाप्त करता है.
यह बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु है. अगर किसी के जीवन में पहले कभी धोखा हुआ हो या उसने ख़ुद किसी को धोखा दिया हो, तो शक उसके जीवन का अभिन्न अंग बन जाता है. यह मानव प्रवृत्ति है कि वह अनुभवों से ही सीखता है.
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शक को अगर समय रहते ना रोका गया, तो ये दो चीज़ों को बर्बाद करता है- पहला आपका अपना व्यक्तित्व और दूसरा आपका रिश्ता. यह तब और भी भयावह हो जाता है, जब स़िर्फ दो व्यक्ति नहीं, बल्कि दो परिवार टूटते हैं. शक्की व्यक्ति अपने जीवन में किसी भी रिश्ते से संतुष्ट नहीं रह सकता. शक होना वैसे तो काफ़ी सामान्य-सी बात है, पर इस शक को एक सीमा के परे बढ़ने ना देना बेहद आवश्यक है. तो कैसे किया जाए इस शक को नियंत्रित?
सबसे पहले इस जुमले से बाहर आएं और यह कहना शुरू करें कि मुझे तुम पर विश्वास है. प्यार कभी अकेला नहीं रहता. यह हमेशा विश्वास के साथ रहता है. अगर विश्वास ख़त्म हो जाए, तो प्रेम की सुंदरता समाप्त हो जाती है.
कुछ सवालों के बोझ से ख़ुद को और अपने साथी को भी दूर रखें. सवाल जैसे कि फोन करके यह पूछना कि तुम अभी कहां हो, किसके साथ हो, तुम मुझसे प्यार तो करते/करती हो ना… कहीं तुम मुझसे कुछ छिपा तो नहीं रहे… ये सवाल आपके रिश्ते को कमज़ोर बनाएंगे.
रिश्ते में अपने साथी को और ख़ुद को सांस लेने की जगह दें. इसका अर्थ है कि थोड़ा समय अपने साथी को और ख़ुद को अपनी रुचि का काम करने के लिए दें. स्वतंत्रता का बंधन सबसे अच्छा बंधन होता है. अगर रिश्ते में स्वतंत्रता है, तो शक की कोई गुंजाइश नहीं होगी.
आपको जितनी बार अपने साथी पर बेवजह शक होता है, उतनी बार उस पर फिर से विश्वास करें. यह काम है तो मुश्किल, पर करना तो पड़ेगा. इसके लिए आप दोनों एक-दूसरे के साथ क्वालिटी समय बिताएं. चाहें तो खाली समय में एक-दूसरे को एंटरटेन करने के लिए ट्रस्ट गेम्स खेलें. ट्रस्ट गेम्स आपके रिश्ते को मज़बूत बनाते हैं. इंटरनेट पर आपको बहुत से ऐसे ट्रस्ट गेम्स मिल जाएंगे.
ये वे लोग हैं, जो अपने विचारों में ही तिल का ताड़ बना लेते हैं. किसी ऐसी बात को अपने विचारों में रखना जो कभी हुई ही नहीं, आपके रिश्ते के लिए हानिकारक है. ऐसा होगा या वैसा होगा… इन बातों का कोई अंत नहीं है. तो बिना किसी सबूत के होनेवाले शक पर लगाम तो आपको ही कसनी होगी.
अपने आपको कभी इतना खाली मत रखिए कि दिमाग़ में शक का फ़ितूर नाचने लगे. अपने दिमाग़ और ऊर्जा को किसी सकारात्मक कार्य में लगाएं.
शक आपके अपने दिमाग़ की उपज है, इसलिए उसे ख़त्म करने की ज़िम्मेदारी भी आपकी अपनी ही है. हां, आप चाहें, तो किसी दोस्त या एक्सपर्ट की मदद भी ले सकते हैं
– विजया कठाले निबंधे
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