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झूठ बोलने पर बच्चे को डांटने-धमकाने की नहीं, समझाने की ज़रूरत है… (How To Deal With Your Kids Lying)

ऐसे तमाम माता-पिता हैं, जो अपने बच्चे की झूठ बोलने की आदत से परेशान रहते हैं. बच्चे की इस आदत को छुड़ाने के लिए वे कभी-कभी उसे डांटते और धमकाते हैं, जबकि ऐसा करना एकदम ग़लत है. हक़ीक़त में बच्चे को डांटने या धमकाने की नहीं, बल्कि समझाने की ज़रूरत है. अगर धैर्यपूर्वक सकारात्मक प्रयास किया जाए, तो बच्चे की यह ग़लत आदत छुड़ाई जा सकती है.

माता-पिता का व्यवहार महत्वपूर्ण
आप चाहते हैं कि आपका बच्चा झूठ न बोले? तो सबसे पहले आप इस बात को जानने की कोशिश कीजिए कि आप अपने बच्चे के सामने कितना झूठ बोलते हैं? यह बात सारी दुनिया जानती है कि बच्चे पैरेंट्स या घरवालों को देखकर ही सब कुछ सीखते हैं. दूसरी बात यह भी है कि बच्चे समझते हैं कि उनके अभिभावक कैसे हैं. यदि आप समझते हैं कि बच्चे के साथ झूठ बोलने पर वह नहीं समझता, तो आप ग़लत सोच रहे हैं.


एक अध्ययन के अनुसार, ढ़ाई साल के बच्चे को भी पता चल जाता है कि उसके पैरेंट्स उससे झूठ बोल रहे हैं. बच्चे के साथ ही नहीं, अगर पैरेंट्स दूसरे से भी झूठ बोलते हैं, तो भी बच्चे को पता चल जाता है. आदमी आजकल सबसे अधिक झूठ मोबाइल पर बोलता है. सोफे पर पैर पसार कर लोग टीवी देख रहे होते हैं और कहते हैं मैं तो अभी घर के बाहर काम में व्यस्त हूं. बाद में फ़ुर्सत होने पर आराम से बात करेंगे. बच्चे को तुरंत पता चल जाता है कि मम्मी या पापा झूठ बोल रहे हैं. पैरेंट्स का यह व्यवहार देख कर बच्चा झूठ बोलना सीखता है.


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डर की वजह से सीखता है झूठ बोलना
अगर मां-बाप बच्चे के साथ ज़्यादा सख़्ती करते हैं, तब भी बच्चा झूठ बोलने के लिए प्रेरित होता है. बच्चे के साथ हमेशा कोमलता से सलीके का बर्ताव करना चाहिए. अगर पैरेंट्स बात-बात पर बच्चे को डांटते या धमकाते रहेंगे, तो बच्चा अपने बचाव में झूठ बोलने लगेगा. कोई ग़लती की है, कुछ तोड़ा-फोड़ा है, तो डर की वजह से वह कहेगा कि मैंने नहीं किया है. ऐसे में कभी वह दूसरे का भी नाम ले लेगा. बच्चा अगर इस तरह की कोई ग़लती करता है, तो कहना चाहिए, “कोई बात नहीं.. इट्स ओके… इस तरह होता है. कोई ग़लती करने पर बच्चा अगर सच बोलता है, तो उसे डांटने या धमकाने की बजाय उसे प्रोत्साहित कीजिए.

पैरेंट्स की ज़िम्मेदारी
बच्चे को अच्छा बनाना पैरेंट्स की ज़िम्मेदारी है. कोई पैरेंट्स यह तो कहेगा नहीं कि उसे बच्चे का पालन-पोषण करना नहीं आता. दोष ख़ुद के अंदर देखना होता है, जबकि ग़लती बच्चे में देखते हैं. अगर हमें बच्चे को अच्छा बनाना है, तो पहले ख़ुद को अच्छा बनाना होगा.
इसी तरह अगर बच्चे को झूठ बोलने से रोकना है, तो पहले पैरेंट्स को झूठ बोलना बंद करना होगा. आख़िर बच्चा मां-पिता जैसा ही बनता है न! आप अपने बच्चे को कैसा देखना चाहते हैं, यह सोचकर पहले इस बात पर विचार कीजिए कि आप ख़ुद कैसे हैं.

– स्नेहा सिंह


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Photo Courtesy: Freepik

Usha Gupta

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