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जामिया के छात्रों व पुलिस की अति पर दो खेमों में बंटी फिल्मी दुनिया… (JamiaProtest: Film Industry Mixed Reactions)

जब से गृह मंत्री अमित शाह ने कैब (नागरिकता संशोधन  विधेयक) लोकसभा व राज्यसभा में पास किया है और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंदजी ने भी इस पर हस्ताक्षर कर इसके क़ानून बनाने की अनुमति दे दी है. तब से मानो भूचाल-सा आ गया हो. असम व कई राज्यों के बाद दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों द्वारा प्रदर्शन, पुलिस की ज़्यादतियों पर हो-हल्ला मच रहा है. हर कोई अपने-अपने तरी़के से इसे सही व ग़लत बता रहा है. अभिनय की दुनिया से जुड़े फिल्म इंडस्ट्री के शख़्सियत भी दो खेमों में बंट गए हैं.

ऐक्ट्रेस तापसी पन्नू, आयुष्मान खुराना, भूमि पेडनेकर, राजकुमार राव, कोंकणा सेन, श्रुति सेठ, कृतिका कामरा, विक्रम मेसी, नंदिता दास अनुभव सिन्हा, महेश भट्ट, पूजा भट्ट, सोनी राजदान, अनुराग कश्यप हर किसी ने इस मुद्दे पर कठोरता से अपनी बात रखी.

श्रुति सेठ के लिए यह मेरा भारत नहीं है… तो वहीं कृतिका कामरा दिल्ली में हो रही इस तरह की घटना कहें या दुर्घटना से हैरान-परेशान व शर्मसार हैं. कोंकणा सेन ने खुलकर कहा कि वे जामिया के स्टूडेंट्स के साथ हैं. अनुराग कश्यप ने तो यहां तक कह दिया कि वे जो आवाज़ें कुछ कर सकती हैं, उन्हें ज़बर्दस्ती दबाया जा रहा है.

विक्रांत मेसी का कहना है कि हम अपनी जड़ों को नहीं भूले हैं. निर्देशक अनुभव सिन्हा ने उन हस्तियों के प्रति आक्रोश दर्शाया जो कुछ कह सकती हैं, पर ख़ामोश हैं. वैसे शाहरुख ख़ान के फैन क्लब से एक प्रशंसक ने उन्हें इस मुद्दे पर अपनी राय रखने और आगे आने के लिए गुज़ारिश भी की है. बता दें कि शाहरुख ख़ान जामिया विश्‍वविद्यालय के छात्र रहे हैं.

इन सब के बीच कोयना मित्रा का संदेश उल्लेखनीय व प्रशंसनीय रहा. उन्होंने जामिया के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि ये विरोध नहीं, बल्कि आतंकी हमले हैं. विरोध के लिए सार्वजनिक संपत्तियों को नुक़सान पहुंचाना कहां तक उचित है?

निर्देशक मिलाप ज़वेरी भी कोयना की बातों का समर्थन करते दिखें. उनके अनुसार, खाकी वर्दीवाले रक्षा करें, तानाशाही नहीं, वहीं छात्र पढ़ाई करें. हां, विरोध करें व आवाज़ उठाएं, पर तोड़फोड़ या लड़ाई न करें.

आयुष्मान खुराना
स्टूडेंट्स को जिन हालातों से गुज़रना पड़ा है, उससे बहुत व्यथित हूं. इसकी आलोचना करता हूं. हम सभी को अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार है. परंतु मैं यह भी मानता हूं कि विरोध कर सार्वजनिक चीज़ों को नुक़ान पहुंचाना कहां तक उचित है. प्रिय देशवासियों हम गांधी की धरती से हैं, अहिंसा ही हमारे बातों को रखने का ज़रिया होना चाहिए. लोकतंत्र में विश्‍वास रखें.


राजकुमार राव
छात्रों के साथ पुलिस ने जिस तरह हिंसा की है, मैं उसकी कड़ी निंदा करता हूं. लोकतंत्र में नागरिकों के पास शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार होता है. मैं किसी भी तरह से पब्लिक प्रॉपर्टी को नुक़सान पहुंचाने की भी आलोचना करता हूं.

 

कुछ पहलू ऐसे भी रहे, जैसे मि. खिलाड़ी यानी अक्षय कुमार ने जामिया से जुड़े एक फनी वीडियो को लाइक करने बाद डिलीट कर दिया. साथ ही यह सफ़ाई भी दी कि वे इस तरह के किसी भी प्रदर्शन का समर्थन नहीं करते हैं.

यूं तो भारत के इतिहास में कई उल्लेखनीय बिल पास हुए हैं, पर इस पर ही इस कदर बवाल क्यों? क्या आपने भी इसके बारे में गंभीरता से सोचा है. आपकी क्या राय है, हमें ज़रूर बताएं.

यह भी पढ़ेराजस्थान पुलिस ने अभिनेत्री पायल रोहतगी को किया गिरफ्तार, पति संग्राम सिंह ने नरेंद्र मोदी से की मदद की अपील (Payal Rohatgi Arrested By Rajasthan Police, Sangram Singh Requests PM Narendra Modi To Look Into The Matter)

Usha Gupta

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