क्या आप अपने बच्चे को उसकी पसंद का करियर चुनने में मदद करना चाहते हैं, तो आपको जरुरत पड़ेगी एक ऐसे काउंसलर की, जो आपके बच्चे की रुचि, बौद्धिक ज्ञान और तार्किक क्षमता के आधार पर करियर चुनने में उसकी और आपकी मदद करें. आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर क्यों जरुरी है बच्चे की करियर काउंसलिंग करवाना?
काउंसलिंग यानि सलाह. यह शब्द आज भी हमारे समाज में उतना प्रचलित नहीं है, जितना की होना चाहिए. वैसे तो काउंसलिंग कई तरह की होती है, लेकिन आज हम बात कर रहे हैं बच्चे की करियर काउंसलिंग बारे में. ‘बच्चे की करियर काउंसलिंग’ जैसी बातें केवल उच्च वर्गीय पढ़ें-लिखे परिवारों तक ही सीमित है. मध्यम वर्गीय परिवारों में बच्चे की करियर काउंसलिंग जैसी बातें कोई मायने नहीं रखती हैं. मध्यम वर्गीय परिवारों में बच्चे का करियर नम्बरों के आधार पर तय किया जाता है, उसकी व्यक्तिगत पसंद या रुचि के आधार पर नहीं. इन परिवारों में शानदार करियर बनाने के लिए बच्चों पर काफी दबाव डाला जाता है. इनके अलावा एक वर्ग ऐसा भी है, जो अपने बच्चों को अपनी पसंद का करियर चुनने की पूरी आज़ादी देता है, अपनी मनपसंद करियर चुनने में उनकी मदद करता है. ये परिवार बच्चे का करियर बनाने के लिए करियर काउंसलिंग कराते हैं.
अगर आप भी अपने बच्चे के करियर को लेकर दुविधा में हैं. तो परेशान और चिंतित होने की बजाय करियर काउंसलर की मदद लें. लेकिन इससे पहले यह जानना जरुरी है कि आखिर क्या होती है बच्चे की करियर काउंसलिंग?
कौन होता है करियर काउंसर?
करियर काउंसर ऐसे विशेषज्ञ होते हैं, जो बच्चों के एकेडमिक, एग्जाम तथा करियर से जुड़ी समस्याओं का समाधान करते हैं.
क्या है बच्चे की करियर काउंसलिंग?
बच्चे की वास्तविक क्षमता का पता लगाने के लिए, बच्चे की करियर काउंसलिंग की आवश्यकता होती है. कुछ बच्चे अपने करियर के बारे में पूरी तरह से आश्वस्त होते हैं कि उन्हें क्या करना है? लेकिन कुछ बच्चे बड़ी दुविधा में होते हैं, जो यह तय नहीं कर पाते हैं कि उन्हें किस क्षेत्र में अपना करियर बनाना है, ऐसा कौन-सा ऑप्शन चुनें, जिससे उनके करियर को सही दिशा मिल सके- इन सभी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए बच्चों को काउंसलिंग की ज़रूरत पड़ती है.
हर बच्चे की करियर काउंसलिंग का सेशन अलग-अलग होता है. यानी किसी बच्चे के करियर की काउंसलिंग कभी 2 से 3 घंटे में हो जाती है, तो किसी बच्चे की काउंसलिंग में एक दिन भी लग जाता है. इसका कारण है कि किसी भी बच्चे की रूचि या शौक का पता लगाने में समय लगता है. जब करियर काउंसलर बच्चे की सारी बातों को जान लेते हैं, तो उसी के आधार पर उसे करियर चुनने की सलाह देते हैं. यहां पर एक महत्वपूर्ण बात बता दें कि इतने कम में बच्चे की सही रूचि का पता लगाना और उसके आधार पर बच्चे को करियर चुनने की सलाह देना भी करियर काउंसलर के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता है.
बच्चे की करियर काउंसलिंग कराने के फायदे
१. सही स्ट्रीम चुनने का मौका मिलता है
करियर काउंसलिंग से बच्चे को सही विषय या फील्ड चुनने का मौका मिलता है. काउंसलिंग करने के बाद बच्चे की अनेक भ्रांतियां और जिज्ञासाएं क्लियर हो जाते हैं कि उन्हें कौन-सा विषय पसंद है, किस में उसकी रुचि है. बच्चे उस विषय को अपनी रूचि या करियर बनाने का फैसला कर लेते हैं जिसमें उनके नंबर सबसे ज्यादा अच्छे आते हैं, लेकिन करियर काउंसलर के अनुसार- सभी बच्चों को अपना स्ट्रीम चुनने से पहले अपने पसंदीदा विषय और जिस विषय में ज्यादा नंबर आते है, उन दोनों विषयों के बारे में अच्छी तरह विचार करे, उसके बाद ही सही स्ट्रीम का चुनाव करें.
खुद के सवालों का जवाब मिलता है
करियर काउंसलिंग कराने से बच्चे के मन में छिपी हुई सारी जिज्ञासाएं शांत होती हैं, साथ ही उसका विज़न भी क्लियर होता है और उसे खुद के सवालों का जवाब भी मिल जाते हैं कि अत उसे कौन-सा स्ट्रीम लेना है. उदाहरण के लिए- आमतौर पर बच्चे उसी विषय में सबसे ज्यादा नंबर लाते हैं, जो उन्हें आसान लगता है. इसी कारण वे उस विषय में चुनते हैं. आगे चलकर बच्चे उस विषय में बोर हो जाते है और उन्हें उस विषय को चुनने का पछतावा भी पछतावा भी हो सकता है. इस पछतावे से बचने और अपने सारे सवालों के जवाब बच्चे की करियर काउंसलिंग से मिल जाता है.
मार्केट ट्रेंड की जानकारी मिलती है
काउंसिलिंग का एक लाभ यह भी है कि करियर काउंसलर सब्जेक्ट वाइज या नए-नए करियर ऑप्शन की जानकारी भी देते हैं, जो बच्चे के लिए भविष्य में हो फायदेमंद साबित सकते हैं
करियर काउंसलर भविष्य में नौकरी के नए विकल्पों की जानकारी भी देते हैं
करियर काउंसलर केवल बच्चे का स्ट्रीम चुनने में ही मदद नहीं करते, बल्कि भविष्य में नौकरी के नए विकल्पों की जानकारी देते हैं. जरुरी नहीं की बच्चा डॉक्टर , इंजीनियर, टीचर, पायलट ही बने, वह फाइनेंस, टेक्नोलॉजी, आर्किटेक्चर, होटल मैनेजमेंट और मीडिया में भी अपना करियर बना सकता है.
बच्चे की करियर काउंसलिंग करते समय पैरेंट्स कुछ बातों का ध्यान रखें-
1. बच्चे की करियर काउंसलिंग कराने से एक दिन पहले पैरेंट्स कुछ तैयारी करके रखें, जैसे-
– बच्चे का मनपसंद विषय कौन-सा है?
– किस विषय में उसके ज़्यादा और कम नंबर आते हैं?
– किस खेल में बच्चे की रूचि है?
– किस खेल में बच्चा बहुत अच्छा है?
– किन-किन चीज़ों में बच्चे की रुचि?
– अलग-अलग विषयों में बच्चे के क्या विचार हैं?
2. काउंसलर के सामने को डराए या धमकाएं नहीं. ऐसा करने से बच्चा काउंसर के सामने अपने सवाल-जवाब खुलकर नहीं बताएगा. संतुष्टिपूर्ण जवाब न मिलने पर काउंसलर को भी बच्चे की काउंसलिंग करने में मुश्किल होगी.
3. बच्चा काउंसर से जो पूछना चाहता है, उसे बिना डरे और झिझक के पूछने दें. तभी उसके मन की सारी दुविधाएं दूर होंगी.
4. पैरेंट्स यह न सोचें कि बच्चे के बेकार के सवालों से कहीं काउंसर नाराज़ न हो जाए.
5. पैरेंट्स यह बात अच्छी समझ लें कि बच्चे के मन में छिपे हुए सवालों को जानने के लिए ही वे बच्चे की करियर काउंसलिंग करा रहे हैं.
6. बच्चे की तुलना उसके दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोंसियों के बच्चों से न करें, विशेष रूप से पढ़ाई के मामले में. पैरेंट्स ध्यान रखें कि हरेक बच्चे की अपनी रूचि होती है, अलग शौक़ होते हैं.
7. करियर काउंसलिंग कराने से पहले बच्चे के क्लास और टूयशन टीचर से उसके बारे में बात कर लें. उनसे मिली जानकारियां पैरेंट्स को बच्चे की करियर काउंसलिंग करने में मदद करेंगी.
पैरेंट्स किस तरह कराएं अपने बच्चों की करियर काउंसलिंग?
– बच्चे की करियर काउंसलिंग कराने के लिए किसी प्रोफेशनल काउंसलर की मदद लें.
– ये प्रोफेशनल काउंसलर अपने मनोवैज्ञानिक तरीकों से बच्चे सवाल-जवाब करते हैं.
– समय का अभाव होने के कारण अगर प्रोफेशनल काउंसलर के पास नहीं जा पा रहे हैं, तो ऑनलाइल भी बच्चे का करियर काउंसलिंग करा सकते हैं.
– कुछ प्रोफेशनल करियर काउंसलर तो सेमिनार भी ऑर्गनाइज़ करते हैं, जहां पर पैरेंट्स अपने बच्चे के करियर से जुड़े सवालों जवाब पा सकते हैं.
– देवांश शर्मा
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