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फिल्म समीक्षाः फैमिली ऑफ ठाकुरगंज और झूठा कहीं का (Movie Review: Family of Thakurganj And Jhootha Kahin Ka)

फिल्म:   फैमिली ऑफ ठाकुरगंज
कलाकार: जिमी शेरगिल, माही गिल, सौरभ शुक्ला, नंदीश सिंह, मनोज पाहवा
निर्देशक : मनोज झा
स्टार:   2

फिल्म समीक्षाः यह फिल्म  दो भाइयों नन्नू (जिमी शेरगिल) और मन्नू (नंदीश सिंह) की कहानी है. पिता की मौत के साथ नन्नू गलत रास्ता अख्तियार कर देता है और अपने इलाके ठाकुरगंज में सारे उल्टे-सीधे काम करता है. उसके काम में उसकी पत्नी माही गिल और बाबा भंडारी (सौरभ शुक्ला) भी मदद करते हैं. जबकि मन्नू एक सीधा इंसान है और उसूलों पर चलते हुए कोचिंग सेंटर चलाता है. अपने भाई की बात मानकर नन्नू भी ईमानदारी का रास्ता अपनाने की कोशिश करता है, लेकिन लोगों को नन्नू का यह रूप पंसद नहीं आता और वे उसे तंग करने की पूरी कोशिश करते हैं. इसके बाद क्या होता है. यह देखने के लिए आपको सिनेमाघर जाना पड़ेगा.
फिल्म के पहले सीन से लेकर अंतिम सीन तक, ऐसा लगता है कि फिल्म के निर्देशक मनोज झा यह समझ ही नहीं पाते हैं कि उन्हें अपनी फिल्म को किस जोनर में रखना है. हिंसा को बैलेंस करने के लिए उन्होंने डार्क ह्यूमर डालने की कोशिश की है, लेकिन वे उसमें बुरी तरह असफल हुए हैं. फिल्म का स्क्रीनप्ले बहुत कमजोर है. जिमी शेरगिल, माही गिल, सौरभ शुक्ला जैसे टैलेंटेड कलाकारों को ऐसी बेसिर-पैर की फिल्म करते हुए देखकर दुख होता है. नंदीश सिंह को बड़ा रोल मिला है, लेकिन वे अपने किरदार के साथ न्याय मिल नहीं कर पाए हैं. फिल्म की सिनेमाटोग्राफी और गाने भी खास नहीं हैं.

 

फिल्म: झूठा कहीं का
कलाकारः ऋषि कपूर, सन्नी सिंह, ओमकार कपूर, जिमि शेरगिल, लिलिट दूबे
निर्देशकः समीप कांग
स्टारः 2.5

फिल्म समीक्षाः यह फिल्म पंजाब के पृष्ठभूमि के साथ शुरू होती है. जहां योगराज सिंह (ऋषि कपूर) यह कोशिश करता है कि उसका मॉरिशस रिटर्न बेटा वरुण (ओमकार कपूर) फैमिली बिजनेस जॉइन कर ले. लेकिन वरुण को उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है और वे काम की तलाश में अपने करीबी मित्र करण (सन्नी सिंह) के पास मॉरिशस वापस लौट जाता है. जहां उसे एक लड़की रिया (निमिशा मेहता) से प्यार हो जाता है और दोनों की शादी हो जाती है. करण ने रिया से यह झूठ बोला होता है कि उसका कोई नहीं है इसलिए वो रिया की फैमिली में शिफ्ट हो जाता है. जबकि दूसरी तरह करण की गर्लफ्रेंड उसपर शादी का दबाव डालती है, लेकिन करण अपने भाई टॉमी (जिम्मी शेरगिल) की इजाजत का इंतजार कर रहा होता है, जो कि फिलहाल जेल में होता है. जब योगराज सिंह मॉरिशस में अपने बेटे के पास रहने के लिए आता है तो करण व वरुण अदला-बदली कर लेते हैं.  योगराज वरुण के ससुराल के पास ही रेंट पर घर लेते लेता है. फिल्म में यही दिखाया गया है कि दोनों लड़के किस तरह अपने ही झूठ के जाल में फंसकर पकड़े जाते हैं. प्लॉट दिलचस्प होने के बावजूद भी दर्शकों को बांधने में असफल रहती है. स्क्रीनप्ले फ्लैट है, जोक्स दोहराए गए हैं. फिल्म में गाने जबर्दस्ती घुसाए गए हैं. ऋषि कपूर ने बेहद ईमानदारी के साथ अपनी किरदार निभाया है. आप ऋषि कपूर को पसंद करते हैं तो यह फिल्म एक बार देख सकते हैं. सन्नी सिंह पंचनामा के हैंगओवर से बाहर नहीं निकल पाए हैं और ओमकार सिंह ने सही एक्सप्रेशन देने के लिए बहुत मेहनत की. फिल्म में दोनों लड़कियों का रोल कुछ ख़ास नहीं है.

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Shilpi Sharma

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