पंचतंत्र की कहानी: चतुर मुर्गा और चालाक लोमड़ी (Panchatantra Tales: The Clever Rooster And The Fox)

एक जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहती थी. वो इतनी चालाक थी कि अपने शिकार और भोजन के लिए पहले तो वो जानवरों से दोस्ती करती और फिर मौक़ा पाते ही उन्हें मारकर दावत उड़ाती. उस लोमड़ी की इसी आदत की वजह से उससे सभी दूर रहते और कतराते थे. एक दिन उसे कहीं भोजन नहीं मिला तो वो दूर तक शिकार की तलाश में निकल पड़ी, उसकी नज़र एक तंदुरुस्त मुर्गे पर पड़ी. वह मुर्गा पेड़ पर चढ़ा हुआ था. वह लोमड़ी मुर्गे को देखकर सोचने लगी कि कितना बड़ा और तंदुरुस्त मुर्गा है, यह मेरे हाथ लग जाए, तो कितना स्वादिष्ट भोजन मिल जाएगा मुझे. अब लोमड़ी का लालच बढ़ चुका था, वो रोज़ उस मुर्गे को देखती लेकिन वो मुर्गा पेड़ पर हि चढ़ा रहता और लोमड़ी के हाथ नहीं आता.

बहुत सोचने के बाद लोमड़ी को लगा ये ऐसे हाथ न आएगा, इसलिए उसने छल और चालाकी करने की सोची. वो मुर्गे के पास गई और कहने लगी आर मेरे मुर्गे भाई! क्या तुम्हें यह बात पता चली कि एक खुशखबरी मिली है सबको जंगल में? मुर्गे ने कहा कैसी खुशख़बरी? लोमड़ी बोली कि आकाशवाणी हुई है और खुद भगवान ने कहा ह अब से इस जंगल के सारे लड़ाई-झगड़े खत्म होंगे, आज से कोई जानवर किसी दूसरे जानवर को नुकसान नहीं पहुंचाएगा और ना ही मारकर खाएगा. सब मिलजुलकर हंसी-ख़ुशी से रहेंगे, एक दूसरे की सहायता करेंगे. कोई किसी पर हमला नहीं करेगा.

Picture Credit: momjunction.com

मुर्गे को समझ में आ गया कि हो न हो ये लोमड़ी झूठ बोल रही है, इसलिए मुर्गे ने उसकी बातों पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और कहा कि अच्छी बात है. लोमड़ी मुर्गे की ऐसी ठंडी प्रतिक्रिया देख फिर बोली- तो मेरे भाई, इसी बात पर आओ, नीचे तो आओ, हम गले लगकर एक दूसरे को बधाई दें और साथ में ख़ुशियां बांटे.

मुर्गा अब लोमड़ी की चालाकी समझ चुका था इसलिए वो मुस्कुराते हुए बोला कि ठीक है लेकिन मेरी लोमड़ी बहना तुम पहले अपने उन दोस्तों से तो गले मिलकर बधाई ले लो जो इसी तरफ़ ख़ुशी से दौड़े चले आ रहे हैं. मुझे पेड़ से दिख रहे हैं वो.

लोमड़ी ने हैरान हो कर पूछा- मुर्गे भाई मेरे कौन से दोस्त? मुर्गे ने कहा- अरे बहन वो शिकारी कुत्ते, वो भी अब हमारे दोस्त हैं न, वो भी शायद तुम्हें बधाई देने के लिए ही इस ओर आ रहे हैं. शिकारी कुत्तों का नाम सुनते ही लोमड़ी थर-थर कांपने लगी. वो बुरी तरह डर गई क्योंकि उसे लगा कि अब अगर वो थोड़ी देर भी यहां रुकी तो ये मुर्गा भले ही उसका शिकार बने न बने लेकिन वो खुद इन शिकारी कुत्तों का शिकार ज़रूर बन जाएगी, इसलिए उसने अपनी जान बचाना ही मुनासिब समझा और आव देखा न ताव बस उल्टी दिशा में भाग खड़ी हुई.

भागती हुई लोमड़ी को मुर्गे ने हंसते हुए कहा- अरे- बहन, कहां भाग रही हो, अब तो हम सब दोस्त हैं तो डर किस बात का, थोड़ी देर रुको. लोमड़ी बोली कि भाई दोस्त तो हैं लेकिन शायद शिकारी कुत्तों को अब तक यह खबर नहीं मिली और बस यह कहते हुए लोमड़ी वहां से ग़ायब हो गई!

सीख: चतुराई, सतर्कता और सूझबूझ से आप सामने संकट आने पर भी बिना डगमगाए आसानी से उससे बच सकते हो. कभी भी किसी के ऊपर या उसकी चिकनी छुपड़ी बातों पर आंख बंद करके आसानी से विश्वास नहीं करना चाहिए, धूर्त अत और चालाक लोगों से हमेशा सतर्क व सावधान रहना चाहिए क्योंकि ऐसे लोग ना किसी के दोस्त होते हैं और ना हाई भरोसे लायक वो सिर्फ़ अपने लिए सोचते हैं और सवार्थपूर्ति के लिए किसी की भी जान के सकते हैं.

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Geeta Sharma

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