किसी नगर में एक व्यापारी रहता था. वो बेहद सरल स्वभाव का और कोमल हृदय का था. काफ़ी दान-पुण्य भी करता था, लेकिन दुर्भाग्य से उसको व्यापार में काफ़ी नुक़सान हो गया और उसकी सारी संपत्ति समाप्त हो गई. उसने सोचा कि क्यों न किसी दूसरे नगर जाकर व्यापार किया जाए. उसके पास एक भारी और मूल्यवान तराजू था, जिसका वज़न बीस किलो था. उसने अपने तराजू को एक सेठ के पास धरोहर के रूप में रख दिया, क्योंकि इतने वज़नदार तराजू को लेकर जगह-जगह घूमना बेहद मुश्किल होता. तराजू सेठ के पास रखकर वो व्यापार करने दूर चला गया.
कई जगहों और देशोंय में घूम-घूमकर उसने काफ़ी धन कमाया और फिर वह घर वापस लौटा. उसने सोचा अब वो अपना तराजू भी वापस ले सकता है, तो एक दिन सेठ से अपना तराजू लेने चला गया. सेठ से तराजू मांगा, तो सेठ बेईमानी पर उतर गया और बोला, “क्या बताऊं भाई, तुम्हारे तराजू को तो चूहे खा गए.”
व्यापारी बड़ा हैरान-परेशान हुआ, फिर कुछ सोचा और सेठ से बोला, “सेठ जी, अब इसमें आपका क्या कुसूर. जब चूहे तराजू को खा ही गए, तो आप कर भी क्या कर सकते हैं! मैं नदी में स्नान करने जा रहा हूं, यदि आप अपने पुत्र को मेरे साथ नदी तक भेज देंगे, तो बड़ी कृपा होगी.”
सेठ मन-ही-मन डर भी रहा था कि व्यापारी उस पर चोरी का आरोप न लगा दे, लेकिन वो बेहद लालची भी था, तो उसने सोचा अपने पुत्र को बता दे कि जब यह व्यापारी नदी में स्नान करेगा, तो उसके गहने व कपड़े बहाने से चुरा ले. इसलिए उसने अपने पुत्र को उसके साथ भेज दिया.
स्नान करने के बाद व्यापारी सेठ के लड़के को बहाने से पास ही की एक गुफा में ले गया और उसने लड़के को उस गुफा में छिपा दिया और गुफा का द्वार चट्टान से बंद कर दिया. फिर वो अकेला ही सेठ के पास लौट आया, तो सेठ ने पूछा, “मेरा बेटा कहा रह गया?”
इस पर व्यापारी ने उत्तर दिया, “जब हम नदी किनारे बैठे थे, तो एक बड़ा सा बाज आया और झपट्टा मारकर आपके पुत्र को उठाकर ले गया.”
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सेठ क्रोधित हो उठा और आग-बबूला होते उसने वो चिल्लाने लगा, “तुम झूठे बोल रहे हो. तुम एक नंबर के मक्कार हो. कोई बाज इतने बड़े लड़के को उठाकर कैसे ले जा सकता है? यह असंभव है. तुम मेरे पुत्र को वापस ले आओ, वरना मैं राजा से तुम्हारी शिकायत करूंगा.”
व्यापारी ने कहा, “आप ठीक कहते हैं, हमें राजा के पास ही चलना चाहिए.”
दोनों न्याय के लिए दरबार में पहुंचे.
सेठ ने व्यापारी पर अपने पुत्र के अपहरण का आरोप लगाया. न्यायाधीश ने व्यापारी से पूरी कहानी पूछी, तो उसने कहा, “मैं नदी के तट पर बैठा हुआ था. इसी बीच एक बड़ा-सा बाज झपटा और सेठ के लड़के को पंजों में दबाकर उड़ गया. मैं उसे कैसे वापस कर सकता हूं.”
न्यायाधीश ने हैरानी से कहा, “भला ऐसा कैसे संभव हो सकता है. तुम ज़रूर झूठ बोलते हो. एक बाज पक्षी इतने बड़े लड़के को कैसे उठाकर ले जा सकता है?”
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इस पर व्यापारी ने कहा, “क्यों नहीं, यदि बीस किलो भार का मेरा लोहे का तराजू एक साधारण चूहा खाकर पचा सकता है, तो बाज भी सेठ के लड़के को उठाकर ले जा सकता है.”
न्यायाधीश समझ गया कि ज़रूर दाल में कुछ काला है, कोई न कोई बात तो ज़रूर है, उसने सेठ से क्रोधित होकर पूछा, “यह क्या मामला है?”
डर के मारे अंततः सेठ ने स्वयं सारी बात उगल दी. सब कुछ सुनकर न्यायाधीश समझ गया था. उसने सेठ से कहा, “तुम इसका तराजू वापस कर दो, तुम्हें भी तुम्हारा पुत्र मिल जाएगा.”
व्यापारी को उसका तराजू सेठ ने दे दिया और सेठ का पुत्र उसे वापस मिल गया.
सीख: लालच बुरी बला है. चालाकी से आप कुछ समय के लिए तो फ़ायदा ले सकते हो, लेकिन यह छल-कपट और लालच अंत में आपको ही नुक़सान पहुंचाएगा. बेहतर है, इमानदर रहें और मेहनत में विश्वास रखें.
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