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बचें इन पैरेंटिंग मिस्टेक्स से (Parenting Mistakes You Should Never Make)

हर पैरेंट (Parent) की ये ख़्वाहिश ज़रूर होती है कि उनका बच्चा दुनिया का सबसे अच्छा बच्चा हो, बड़ा होकर ख़ूब नाम कमाए, उसे ज़िंदगी की हर ख़ुशी मिले. इस चक्कर में वे कभी बहुत ज़्यादा उदार हो जाते हैं, तो कभी बहुत ज़्यादा सख़्त और कई ग़लतियां (Mistakes) भी कर बैठते हैं. यहां हम कुछ ऐसी ही ग़लतियों की बात कर रहे हैं, जो अक्सर पैरेंट्स कर बैठते हैं और जिसका बच्चे के मन पर बुरा असर पड़ता है.

* अपना पैरेंटल अधिकार बनाए रखें. बच्चों के फ्रेंड बनें, लेकिन उसकी सीमा ज़रूर निर्धारित करें.

* मोबाइल हो या गेम्स- आज़ादी हो या ज़िम्मेदारी- न उन्हें समय से पहले दें, न ज़रूरत से ज़्यादा, ताकि वो चीज़ों व भावनाओं की कद्र करना सीखें.

* हर बात में टोका-टोकी न करें. वो आपसे भले ही कुछ न कहें, लेकिन अपनी मित्रमंडली में दूसरों को टोकना, छेड़ना या बुली करना उनका स्वभाव बन सकता है.

* उनकी बातों को ध्यान से सुनें. हमारी इंडियन फैमिलीज़ में इसे ़ज़्यादा ज़रूरी नहीं समझा जाता. ज़्यादातर पैरेंट्स बोलते हैं और बच्चे उनकी हर बात सुनते हैं, किंतु चाइल्ड सायकोलॉजिस्ट का कहना है कि बच्चे को अपनी बात कहने का मौक़ा दिया जाना चाहिए और उसे ध्यान से सुना भी जाना चाहिए.

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* हर व़क़्त बच्चे को अनुशासन या एक ही दिनचर्या में बांधकर न रखें. इससे बच्चे की क्रिएटिविटी तथा पर्सनैलिटी का विकास नहीं हो पाएगा.

* बच्चों की ज़िद को उनका स्वभाव न समझें. ज़िद करना बाल सुलभ स्वभाव है. आपके समझदारीपूर्ण रवैये से उम्र के साथ यह आदत अपने आप ही बदल जाएगी.

* बच्चों के सामने बहस या अपशब्दों का प्रयोग कभी न करें. इस तरह उनमें असुरक्षा की भावना पैदा होने लगती है और वो घर से बाहर मित्रों या मित्र के परिवार के बीच समय गुज़ारना पसंद करने लगते हैं.

* ख़ुद को इतना व्यस्त न करें कि बच्चों के लिए समय ही न हो. बच्चों के विकास और दिनचर्या में शामिल होना भी बच्चों के संपूर्ण विकास का हिस्सा है.

* बच्चों के सामने झूठ न बोलें और यदि झूठ बोलना ही पड़ रहा है, तो आगे-पीछे उसकी वजह बताएं और उसे विश्‍वास दिलाएं कि अगली बार आप सच्चाई के साथ परिस्थिति का सामना करेंगी.

बच्चे झूठ क्यों बोलते हैं? जानने के लिए देखें वीडियो:

* बच्चों को अपने संघर्ष की कहानी सुनाकर उनके साथ अपनी तुलना न करें. यदि आप संपन्न हैं, तो उन्हें ख़ुशहाल बचपन दें. आपका संघर्ष उनकी प्रेरणा बन सकता है.

* बच्चों को पैरेंट्स अपने आपसी झगड़ों के बीच इस्तेमाल न करें और न ही उनके सामने फैमिली पॉलिटिक्स की चर्चा करें. इसका बच्चे के दिलोदिमाग़ पर बुरा असर हो सकता है.

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* हर उम्र में बच्चों से समान व्यवहार की अपेक्षा न करें. कल तक बच्चा आपकी हर बात मानता रहा है, लेकिन हो सकता है कि आज उसी बात के लिए प्रश्‍न करने लगे.

* डॉमिनेटिंग पैरेंट न बनें. ‘जैसा कहते हैं वैसा करो’ वाली भाषा न बोलें, बल्कि अच्छे रोल मॉडल बनकर उनके भावनात्मक व संवेदनात्मक विकास को सही रूप से हैंडल करें.

* स्कूली समस्याओं के प्रति उदासीन न हों, बच्चे की प्रॉब्लम को सुनें और उसे सॉल्व करने की कोशिश करें.

* चोरी-छिपे बच्चों की बातें सुनना या ताका-झांकी करना ग़लत है. इस तरह आपके प्रति उनका आदर प्रभावित होगा. आपकी इस आदत को वो पॉज़िटिव रूप में नहीं लेंगे.

– लता कुंदर

अधिक पैरेंटिंग टिप्स के लिए यहां क्लिक करेंः Parenting Guide

Usha Gupta

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