मासूम-सा चेहरा, शर्म से भरी मुस्कुराहट और ख़ूबसूरत आंखें इतनी सारी ख़ूबियों वाली नंदा (Nanda) बॉलीवुड की उन ऐक्ट्रेस में से हैं, जिन्होंने अपने अभिनय के बल पर हिंदी सिनेमा में अपना एक मुकाम बनाया है. पिता मास्टर विनायक, जो कि मराठी फिल्मों के निर्माता, निर्देशक और अभिनता भी थे, उनके निधन के बाद पांच साल की छोटी-सी उम्र से फिल्मों में अभिनय करने वाली नंदा की ज़िंदगी आसान नहीं थी. कई मुश्किलें थीं. 8 जनवरी 1939 को कोल्हापुर के एक प्रतिष्ठित फिल्मी परिवार में जन्मीं नंदा ने पांच साल की उम्र में घर की ज़िम्मेदारियां संभाल ली थीं. बतौर अभिनेत्री उनकी पहली फिल्म रही तूफ़ान और दीया, जो उनके चाचा वी. शांताराम ने उन्हें दी थी. इसके बाद नंदा ने कई हिट फिल्में दीं. नंदा की ज़िंदगी में एक बार फिर तन्हाई तब आई, जब निर्देशक मनमोहन देसाई का निधन हुआ. दोनों एक-दूसरे को बेहद पसंद करते थे, लेकिन वो नंदा को अकेला छोड़ गए.
ज़िंदगी के आख़िरी पड़ाव में नंदा अकेली थीं. उनकी एकमात्र दोस्त वहीदा रहमान अक्सर उनसे मिलने चली जाती थीं. 75 साल की उम्र में हार्ट अटैक की वजह से उनका निधन हो गया. नंदा भले ही हमारे बीच न हों, लेकिन अपनी फिल्मों के ज़रिए वो एक प्यार का नगमा सभी के लिए छोड़ गई हैं.
आइए, उनके जन्मदिन के मौक़े पर देखते हैं उनके बेहतरीन गानें.
फिल्म- जब जब फूल खिले (1965)
फिल्म- द ट्रेन (1970)
फिल्म- शोर (1972)
फिल्म- धरती कहे पुकार के (1969)
फिल्म- हम दोनों (1961)
– प्रियंका सिंह
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