ज़िंदगी में क़ामयाब करियर पाने के लिए प्लानिंग करना जितना ज़रूरी है, उतना ही अहम् है रिटायरमेंट के बाद की ज़िंदगी का नक्शा तैयार करना यानी अपना रिटायरमेंट प्लान करना. किन अहम् बातों का ध्यान रखकर रिटायरमेंट के बाद की ज़िंदगी को भी आप ख़ुशगवार बना सकते हैं.
कुछ अहम् सवाल
रिटायरमेंट प्लानिंग की बात आते ही सबसे पहले जो बात ज़ेहन में आती है, वो यही है कि रिटायरमेंट के बाद नियमित आमदनी में कोई बाधा तो नहीं आएगी? इसके साथ ही कुछ और सवाल भी जुड़ जाते हैं, जैसे-
इन सारी चिंताओं का निचोड़ यही है कि रिटायरमेंट तक देश की मुद्रास्फीति में कितनी बढ़ोत्तरी होगी और आपकी बचत, जमाराशि व इन्वेस्टमेंट पर इसका कितना असर पड़ेगा? मुद्रास्फीति का असर ही आपके ख़र्चों यानी लिविंग कॉस्ट व हेल्थ केयर लागत को भी बढ़ा देता है. ज़ाहिर है, रिटायरमेंट प्लानिंग करते व़क़्त आपको मुद्रास्फीति के संभावित स्तर को भी ध्यान में रखना होगा. भविष्य की मुद्रास्फीति के स्तर का अंदाज़ा लगाने के लिए आपको दस या बीस साल पहले के मुद्रास्फीति स्तर से इसके मौजूदा स्तर की तुलना करनी होगी. देखना होगा कि इन सालों में मुद्रास्फीति किस दर से बढ़ी है. इससे दस या बीस साल बाद के संभावित मुद्रास्फीति स्तर का कुछ अनुमान आप लगा सकेंगे.
रिटायरमेंट प्लानिंग के 5 स्टेप्स
मुद्रास्फीति का आकलन कर लेनेे के बाद आप अपने पैसे को इस तरह मैनेज कर पाएंगे कि वह अंत तक आपका साथ दे सके. इसके लिए इन 5 स्टेप्स पर
अमल करें-
1. इन बातों पर ग़ौर करें
2. बचत व निवेश विकल्पों को परखें
हर व्यक्ति अधिक से अधिक उम्र तक जीना चाहता है. अतः अपनी इनकम प्लान की लॉन्गेविटी (अवधि या उम्र) भी अधिक से अधिक रखें, ताकि आपका पैसा अधिक समय तक आपके साथ रहे. इसके साथ ही, इन्फ्लेशन यानी मुद्रास्फीति को नज़र में रखते हुए अपनी लाइफ़ स्टाइल का एक ख़ाका बनाएं. मुद्रास्फीति न स़िर्फ आपके ख़र्चों की लागत बढ़ा देती है, बल्कि आपकी बचत व निवेश की क़ीमत भी घटा देती है. बचत व निवेश के विकल्पों को अच्छी तरह परखें, जिनमें आप अपना पैसा डालेंगे. इस बात का ध्यान रखें कि यहां भी मुद्रास्फीति आपके मैच्योरिटी अमाउंट पर अपना असर डालेगी. साथ ही ऐसे विकल्पों में बचत या निवेश करें, जिनमें आपको आयकर नहीं देना पड़े या कम देना पड़े. कई निवेश विकल्पों में आयकर से छूट दी जाती है.
3. सेहत से जुड़े जोखिम
उम्र बढ़ने पर सेहत से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ेंगी, अत: उस व़क़्त के लिए हेल्थ केयर का पूरा इंतज़ाम अभी से कर लें. ऐसा हेल्थ केयर व इन्श्योरेंस प्लान लें, जिसमें रिटायरमेंट के बाद के सालों में अधिकतम बेनिफिट मिले. आजीवन हेल्थ केयर व इन्श्योरेंस पॉलिसीज़ इसी उम्र में ख़रीद लें. रिटायरमेंट के बाद जिनमें कोई प्रीमियम न देनी पड़े और जो सेहत से जुड़े अधिकांश जोखिम को कवर करें, ऐसे प्लान एवं पॉलिसीज़ चुनें.
4. एक्सेस विथड्राल से बचें
रिटायरमेंट प्लानिंग में यह भी ध्यान में रखना होगा कि उस व़क़्त आपको कोई अतिरिक्त निकासी (एक्सेस विथड्रॉल) न करना पड़े. जिन पॉलिसीज़ व प्लान्स को आपने रिटायरमेंट को ध्यान में रखकर ख़रीदा है, उन्हें बीच में छोड़ना या निकालना न पड़े, इसका पक्का बंदोबस्त करें. साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि रिटायरमेंट के बाद भी आप योजना के अनुरूप केवल नियमित पैसे की ही निकासी करेंगे. उस व़क़्त कोई अतिरिक्त निकासी न करनी पड़े, इसके लिए एक आपातकालीन बैंक सेविंग अकाउंट ज़रूर रखें.
5. तमाम जोख़िमों का आकलन
हर व्यक्ति की लाइफ़ स्टाइल व ज़रूरतें अलग-अलग होती हैं, अत: आप भी अपनी जीवनशैली के अनुरूप ही उसी के हिसाब से संभावित जोखिम यानी ख़तरों का आकलन करें. अपनी लाइफ़ स्टाइल व इनकम के हिसाब से रिटायरमेंट प्लान बनाएं और उसमें तमाम संभावित जोखिमों से निपटने के उपाय भी शामिल करें. साथ ही अपने रिटयारमेंट प्लान में अपने जीवनसाथी और उसकी ज़रूरतों व जोख़िम को भी शामिल करें तथा उनके लिए भी बीमा व मेडिकल प्लान या पॉलिसीज़ ज़रूर ख़रीदें. किसी आकस्मिक ख़तरे, दुर्घटना या आर्थिक ज़रूरत से आप कैसे निपटेंगे, इसके लिए भी अलग से कुछ बचत या निवेश कर लें, जिन्हें आपातकालीन ज़रूरतों के व़क़्त निकाला जा सके. साथ ही जैसा कि पहले भी बताया गया है, मुद्रास्फीति, आयकर कटौती, बढ़ते ख़र्चों आदि जोखिमों का भी आकलन करना ज़रूरी है.
और हां, उम्र के इस पायदान पर रिटायरमेंट प्लानिंग के साथ-साथ आपको तमाम मौजूदा जिम्मेदारियां भी तो निभानी ही हैं, जैसे-अपना घर, बच्चों की पढ़ाई, उनकी शादी आदि. अत: इनकी प्लानिंग करना भी न भूलें, ताकि रिटायरमेंट के बाद आपकी परेशानियों में कोई इजाफ़ा न हो.
थर्टीज़ में क्या-क्या करें?
उम्र के इस पड़ाव पर रिटायरमेंट प्लानिंग के साथ-साथ इन बातों पर भी पूरा ध्यान देना ज़रूरी है-
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