यूं तो समझौते (Remarriage adjustments) की नींव पर कई रिश्ते निभाए जाते हैं, जिनमें से एक अहम् शादी भी है. पर जब पहली शादी असफल हो जाए या किसी अन्य कारण से पुनर्विवाह की नौबत आ जाए तो रिश्ते को निभाने के लिए दोनों पक्षों को काफ़ी एडजस्टमेंट करने पड़ते हैं. ऐसे में ज़रूरी है सफल वैवाहिक जीवन के लिए कुछ ख़ास पहलुओं पर ग़ौर करना. आइए, उन पर एक नज़र डालते हैं.
अपने दो साल के कड़वे, त्रासदीपूर्ण और दर्द भरे दांपत्य जीवन से हताश अनुभव को अंत में जब तलाक़ मिल गया तो उसने राहत की सांस ली. लगा जैसे काल कोठरी में रहने के बाद उसे आज़ादी मिल गई और वह भी अब खुली हवा में सांस ले सकती है. शादी से उसका विश्वास उठ चुका था. अब बस वह अपनी नौकरी के साथ अकेले ख़ुश रहना चाहती थी, लेकिन साल बीतते-बीतते उसे तन्हाई खलने लगी. इसी बीच उसके मनमोहक व्यक्तित्व से प्रभावित हो कई पुरुषों ने उसे पुनर्विवाह के लिए प्रपोज़ किया. माता-पिता ने भी बहुत समझाया, लेकिन वह अपनी अतीत की पीड़ादायक यादों से उबर नहीं पा रही थी. कहीं इस विवाह के बाद भी वैसा ही हुआ तो? पहली शादी में भी तो शुरू-शुरू में सब कुछ ठीक चल रहा था. लेकिन कुछ दिनों बाद ही सब कुछ बिखरने-सा लगा था. सहेलियां समझातीं कि सब पुरुष एक से नहीं होते और न ही सब जगह परिस्थितियां एक-सी होती हैं. लेकिन आख़िर क्या गारंटी कि इस दूसरी शादी में फिर से वही सारी परेशानियां न हों.
आसमां और भी हैं
कुछ लोग तो अकेले ही जीवन गुज़ारना पसंद करते हैं और वे कमोबेश अपने फैसले से संतुष्ट भी रहते हैं. किंतु कुछ के लिए बिना किसी साथी के जीवन गुज़ारना कठिन हो जाता है और वे फिर से घर बसाना चाहते हैं. प्रसिद्ध लेखिका शोभा डे ने अपनी पुस्तक स्पाउस में लिखा है- ‘ज़िंदगी में सबको दूसरा मौक़ा ज़रूर मिलना चाहिए और जब यह सामने हो तो इसे फौरन ले लेना चाहिए.’ वास्तव में यदि एक बार विवाह असफल होता है अथवा असमय ही जीवनसाथी का साथ छूट जाता है तो प्रत्येक व्यक्ति को हक़ है कि वह दुबारा विवाह करके नये सिरे से ज़िंदगी शुरू करे.
पुनर्विवाह से पहले ज़रूरी है प्लानिंग
यों तो विवाह नाम ही समझौते यानी कि एडजस्टमेंट का है, किन्तु पुनर्विवाह में ये बातें अधिक महत्वपूर्ण हो जाती हैं, क्योंकि पहली बार विवाह करने पर जहां एक-दूसरे की बहुत-सी कमियां तथा अवगुण दांपत्य के शुरुआती खुमार, दैहिक आकर्षण तथा सेक्स के नये-नये अनुभवों के बीच काफ़ी हद तक दब जाती हैं अथवा अनदेखी कर दी जाती हैं, वहीं पुनर्विवाह के मामले में इस तरह की गुंजाइश कम ही रहती है.
दोबारा विवाह करते समय पहले विवाह के कड़वे अनुभव अथवा उससे जुड़ी यादें उन्हें अक्सर पूर्वाग्राही बना देती हैं और वे अपने साथी की प्रत्येक गतिविधि को संदेह के घेरे में रखने लगते हैं. अत: यदि आप दोबारा घर बसाने जा रही हैं तो अपने भावी वैवाहिक जीवन की सफलता के लिए पहले से कुछ प्लानिंग ज़रूरी है.
कैसे बैठाएं तालमेल पुनर्विवाह के बाद
यह सच है कि दूसरी शादी को क़ामयाब बनाने के लिये बहुत मेहनत तथा गंभीरता से प्रयास करने पड़ते हैं, क्योंकि पुनर्विवाह में स़िर्फ दो व्यक्ति ही नहीं जुड़ते, बल्कि उनके साथ उनका पहला वैवाहिक अतीत भी जुड़ता है. अत: वैवाहिक जीवन की दूसरी पारी की शुरुआत ठोस धरातल पर करने के लिए आपको बहुत समझदारी से काम लेना होगा.
– गीता
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